काउंडर ड्रोन सिस्टम से लेकर लाइट वेट रडार तक… एयर डिफेंस सिस्टम को मजबूत करने में जुटी सेना
रूस-यूक्रेन युद्ध इजरायल-हमास लड़ाई से लेकर अजरबैजान-आर्मीनिया के संघर्ष में ड्रोन व काउंटर ड्रोन ने युद्ध के मैदान को नए सिरे से परिभाषित किया है। भारतीय सेना अपने एयर डिफेंस सुरक्षा प्रणाली को बेहतर करने के लिए ड्रोन किल सिस्टम यानि ड्रोन पर ड्रोन या ड्रोन पर रॉकेट के साथ ड्रोन किल सिस्टम को अपनाने पर विचार कर रही है। पुराने गन को भी बदलने की तैयारी है।

संजय मिश्र, जागरण, नई दिल्ली। भारतीय सेना अपने एयर डिफेंस सुरक्षा प्रणाली में आमूल-चूल बदलाव को गति देने में जुट गई है और इसके लिए नई मिसाइलों को शामिल करने से लेकर पुराने गन को बदलने की तैयारी में है।
वहीं ड्रोन के आने से बढ़ी सुरक्षा चुनौतियों को देखते हुए सेना अपने ड्रोन और काउंटर ड्रोन को अपने एयर डिफेंस का बेहद मजबूत हिस्सा बनाने की दिशा में आगे बढ़ चुकी है। इस क्रम में ड्रोन किल सिस्टम यानि ड्रोन पर ड्रोन या ड्रोन पर रॉकेट के साथ ड्रोन किल सिस्टम को अपनाने पर विचार हो रहा है।
एयर डिफेंस सिस्टम होगा चौकस
वाहन माउंटेड काउंटर ड्रोन सिस्टम पर भी गौर किया जा रहा है, जो ट्रैक माउंटेड है और इसमें 64 रॉकेट हैं। लेजर से एक किमी दूरी तक प्रहार से लेकर हाई पावर माइक्रोवेव (एचपीएम) के जरिये एयर डिफेंस सिस्टम को सेना चौतरफा चौकस करेगी।
सेना एयर डिफेंस की मजबूती के लिए पुराने गनों के साथ रडारों को भी बदला जाएगा और इसमें आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) को चुनौतियों को भांपने से लेकर उसके अनुरूप सटीक जवाबी हमले के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।
ड्रोन व काउंटर ड्रोन का बढ़ा महत्व
- रूस-यूक्रेन युद्ध, इजरायल-हमास लड़ाई से लेकर, सऊदी आर्मको तेल भंडार पर 2019 में हुए हमले से लेकर अजरबैजान-आर्मीनिया के संघर्ष में ड्रोन व काउंटर ड्रोन ने जिस तरह युद्ध के मैदान को नए सिरे से परिभाषित किया है, उसके मद्देनजर विश्व में सामरिक मोर्चे पर एयर डिफेंस की मजबूती बेहद महत्वपूर्ण हो गई है।
- जाहिर तौर पर भारतीय सेना अपने एयर डिफेंस आधुनिकीकरण में इनसे हासिल अनुभवों के रणनीतिक इनपुट को अहमियत देगी। इसीलिए ड्रोन-काउंटर ड्रोन को अपने एयर डिफेंस का बेहद ताकतवर रक्षा कवच ही नहीं, जवाबी हमले का अचूक हथियार बनाने पर जोर दिया जा रहा है।
- हाइटेक हो रहे जंग के मैदान में एयर डिफेंस को अभेद्य बनाए जाने को समय की जरूरत बताते हुए सेना एयर डिफेंस के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल सुमेर इवान डी'कुन्हा ने शुक्रवार को अनौपचारिक बातचीत के दौरान कहा कि ड्रोन-काउंटर ड्रोन की चुनौतियों से निपटने के लिए सबसे जरूरी हो गया है कि इसकी टोह लेकर लक्ष्य तक आने से पहले ही हवा में नष्ट कर दिया जाए।
- वहीं विस्फोटकों के साथ काउंटर ड्रोन के जरिये दुश्मन पर हमले की क्षमता में बढ़ोतरी भी बेहद अहम है। इन चुनौतियों को देखते हुए सेना एयर डिफेंस ने डिटेक्शन, पहचान तथा विध्वंस की त्रिस्तरीय रणनीति के तहत नए साजो-समान खरीदने से लेकर उपकरणों को अपग्रेड करने की कार्ययोजना को आगे बढ़ाया है।
लो-लेवल लाइट वेट रडार भी जरूरी
लेफ्टिनेंट जनरल सुमेर के अनुसार सबसे छोटे और नैनो ड्रोन की टोह लेने की क्षमता में इजाफा किया जा रहा है अैर सबसे पहले डीजेआई माविक के समान 0.001एम2 के आरसीएस वाले सबसे छोटे ड्रोन का पता लगाने की क्षमता को देखना है। इसके लिए लो-लेवल लाइट वेट (एलएलएलआर) रडार हासिल करने की प्रक्रिया में हैं।
आपातकालीन खरीद के हिस्से के रूप में एलएलएलआर आरडीआरएस खरीदा जा चुका है, जो ग्रेनेड के बिना माविक ड्रोन को पकड़ने में सक्षम हैं। इसके लिए रडारों की तैनाती का दायरा भी बढ़ाए जाने पर विचार कर रहे हैं, जिसमें पहाड़ों और घाटियों के इलाके भी शामिल होंगे। लक्ष्य है कि ड्रोन की टोह 6-7 किमी पहले ही लगा लिया जाए, ताकि सटीक जवाबी वार का पर्याप्त समय मिल जाए।
पुराने एयर डिफेंस गन को बदला जाएगा
- बीईएल और डीआरडीओ द्वारा विकसित एकीकृत ड्रोन डिटेक्शन एंड इंटरडिक्शन सिस्टम (आईडीडीएंडआईएस) को इसके लिए शामिल किया जा चुका है। अब लेजर को शामिल करने के साथ एक किमी दूर तक हाई पावर माइक्रोवेव के लिए खरीद की अधिसूचना जारी होने वाली है। सेना एयर डिफेंस की क्षमता में इजाफा के लिए काउंटर अनमैन्ड एयरक्राफ्ट सिस्टम पहले ही शामिल हो चुका है।
- पुराने एयर डिफेंस गन को बदलकर 220 स्मार्ट एएमएन स्वदेशी गन का ट्रायल इसी साल जुलाई में शुरू होकर दिसंबर तक चलेगा। परीक्षण के दौरान ये गन मुफीद साबित हुए तो पुराने एल 70 और जेडयू-23 मिमी को बदलने के लिए मई-जून 2026 खरीद टेंडर जारी किए जाएंगे। एयर डिफेंस की बड़ी जिम्मेदारी भारतीय वायुसेना के हाथों में है, मगर सेना एयर डिफेंस की रणकौशल में अपनी अहम रणनीतिक भूमिकाएं हैं।
- इसीलिए एयर डिफेंस की प्रहार क्षमता में इजाफा के लिए गोला-बारूद, गन के साथ 8-10 किलोमीटर की रेंज वाली मिसाइल का भंडार बढ़ाया जाएगा। इस क्रम में आकाश मिसाइल की दो रेजिमेंट के गठन की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
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