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    रक्षा क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि, इंडियन आर्मी खरीदेगी 2,408 नाग मार्क-2 एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलें

    Updated: Wed, 22 Oct 2025 11:48 PM (IST)

    भारतीय सेना 2,408 नाग मार्क-2 एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलें और 107 एनएएमआइसीए-2 वाहन खरीदेगी। यह मिसाइलें भारत डायनेमिक्स लिमिटेड द्वारा निर्मित हैं और तीसरी पीढ़ी की हैं। परीक्षणों में, मिसाइलों ने सटीकता से लक्ष्यों को नष्ट किया। सरकार छह गश्ती नौकाएं भी खरीदेगी, जिनमें 60% स्वदेशी सामग्री होगी, जिनका उपयोग निगरानी के लिए किया जाएगा।

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    इंडियन आर्मी खरीदेगी 2,408 नाग मार्क-2 एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलें (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। स्वदेशी हथियार प्रणालियों बड़ी सफलता के तौर पर भारतीय सेना 2,408 नाग मार्क-2 एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलें खरीदने जा रही है। इनके साथ 107 एनएएमआइसीए-2 ट्रैक्ड वाहन भी खरीदे जाएंगे। एनएएमआइसीए-2 वाहन के साथ नाग मार्क-2 पिछली प्रणाली का उन्नत संस्करण है। इसमें यूजर्स के सुझाव पर कई बदलाव और सुधार किए गए हैं।

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    रक्षा मंत्रालय 23 अक्टूबर को होने वाली रक्षा खरीद परिषद की महत्वपूर्ण बैठक में सेना के प्रस्ताव को मंजूरी दे सकता है। इन मिसाइलों का निर्माण भारत डायनेमिक्स लिमिटेड करती है। स्वदेश विकसित नाग मार्क-2 तीसरी पीढ़ी की एंटी-टैंक फायर-एंड-फारगेट गाइडेड मिसाइल है। इसके मूल्यांकन परीक्षण इस वर्ष जनवरी में पोखरण फील्ड रेंज में भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में सफलतापूर्वक किए गए थे।

    लक्ष्यों को सटीकता से किया नष्ट

    तीनों परीक्षणों के दौरान मिसाइल प्रणालियों ने अधिकतम और न्यूनतम रेंज के सभी लक्ष्यों को सटीकता से नष्ट कर दिया। इससे उनकी मारक क्षमता प्रमाणित हुई। परीक्षणों के दौरान नाग मिसाइल कैरियर संस्करण-2 का भी मूल्यांकन किया गया। इसके बाद डीआरडीओ और उसकी उत्पादन एजेंसियों ने संपूर्ण हथियार प्रणाली को भारतीय सेना में शामिल करने के लिए तैयार किया।

    छह गश्ती नौकाएं खरीदने की योजना

    सरकार सशस्त्र बलों के लिए तीव्र गति की छह गश्ती नौकाएं खरीदने की योजना बना रही है। इनका इस्तेमाल निगरानी और टोही उद्देश्यों के लिए किया जाएगा। नौकाओं की खरीद के लिए जारी किए गए अनुरोध प्रस्ताव (आरएफपी) से यह जानकारी मिली है। आरएफपी में दर्ज खरीद के प्रमुख पहलुओं और समयसीमा के अनुसार, इसमें न्यूनतम स्वदेशी सामग्री 60 प्रतिशत होनी चाहिए।

    इन गश्ती नौकाओं का इस्तेमाल संघर्ष क्षेत्र में गश्त और निगरानी के लिए भी किया जाएगा। (अलग-अलग समाचार एजेंसी के इनपुट के साथ)

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