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    हिंद महासागर में माह के अंत में भारत करेगा ब्रह्मोस की आतिशबाजी, तीनों सेनाएं मिसाइलों से भेदेंगी लक्ष्य

    By Bhupendra SinghEdited By:
    Updated: Sun, 15 Nov 2020 07:16 PM (IST)

    ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल को पनडुब्बी से पानी के जहाज से विमान से या जमीन से भी छोड़ा जा सकता है। चीन से तनाव के बीच भारत ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों के ताबड़तोड़ परीक्षण हिंद महासागर में करने वाला है।

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    ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल को पनडुब्बी से, विमान से या जमीन से भी छोड़ा जा सकता है।

    नई दिल्ली, एएनआइ। चीन से जारी तनाव के बीच भारत इसी माह के अंत तक अपनी ताकत को आजमाने के लिए ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों के ताबड़तोड़ परीक्षण करने वाला है। नवंबर के आखिरी हफ्ते में तीनों सशस्त्र सेनाएं हिंद महासागर क्षेत्र में स्वदेशी मिसाइलों को लांच करेंगी।

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    महीने के अंत में थल सेना, नौसेना और वायुसेना करेंगे ब्रह्मोस के कई परीक्षण

    सरकारी सूत्रों के अनुसार इस महीने के अंत में थल सेना, नौसेना और वायुसेना ब्रह्मोस के कई परीक्षण करेंगे। इनका मकसद हिंद महासागर में इन मिसाइलों से कई लक्ष्यों को भेदना होगा। ब्रह्मोस के इन परीक्षणों से मिसाइल प्रणाली के प्रदर्शन में और सुधार आएगा और यह सांकेतिक रूप में पड़ोसी देशों को हद में रहने की चेतावनी का भी काम करेगा।

    डीआरडीओ की विकसित मिसाइल का रेंज 298 से बढ़ाकर 450 किमी किया

    ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) की विकसित इस मिसाइल का रेंज हाल ही में 298 किमी से बढ़ाकर 450 किमी किया गया है। कम दूरी की रैमजेट, सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल विश्व में अपनी श्रेणी में सबसे तेज गति वाली है। इसे पनडुब्बी से, पानी के जहाज से, विमान से या जमीन से भी छोड़ा जा सकता है। यह रूस की पी-800 ओंकिस क्रूज मिसाइल की प्रौद्योगिकी पर आधारित है। ब्रह्मोस के समुद्री तथा थल संस्करणों का पहले ही सफलतापूर्वक परीक्षण किया जा चुका है। भारतीय सेना, वायुसेना एवं नौसेना को सौंपा जा चुका है। इसने भारत को मिसाइल तकनीक में अग्रणी देश बना दिया है।

    देश की उत्तरी सीमाओं पर ब्रह्मोस से सुसज्जित युद्धक विमानों की स्क्वाड्रन तैनात

    हाल ही में भारतीय वायुसेना ने पंजाब में हलवारा एयरबेस से सुखोई-30 विमानों में ब्रह्मोस मिसाइल को लैस करके बंगाल की खाड़ी में स्थित एक पुराने युद्धपोत को निशाना बनाया था। मिसाइल के इस परीक्षण का मकसद तमिलनाडु के तंजावुर स्थित वायुसैनिक अड्डे पर ब्रह्मोस मिसाइलों की एक स्क्वाड्रन को तैयार करना था। चीन से तनाव के बीच गलवान में भारतीय जवानों के शहीद होने के बाद उत्तरी सीमाओं पर भी ब्रह्मोस से सुसज्जित युद्धक विमानों की स्क्वाड्रन तैनात की गई है। पिछले ही महीने भारतीय नौसेना ने भी युद्धपोत आइएनएस चेन्नई से ब्रह्मोस मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। गहरे समुद्र में इसका परीक्षण 400 किलोमीटर से भी अधिक दूरी के लिए किया गया है।

    ब्रह्मोस सुपरसॉनिक मिसाइल के निर्यात के लिए बाजार तैयार

    भारत अब इस सुपरसॉनिक मिसाइल के निर्यात के लिए भी बाजार तैयार करने के लिए कटिबद्ध है। पिछले दो महीनों में डीआरडीओ ने नई और मौजूदा मिसाइल प्रणाली का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। हाल ही में डीआरडीओ ने शौर्य मिसाइल प्रणाली को भी विकसित किया है जिसकी मारक क्षमता 800 किलोमीटर तक है। यह तकनीकी रूप से हाइपरसोनिक मिसाइल प्रणाली पर आधारित है।