हिमालय में मौजूद झीलों की अगले साल से निगरानी करेगा भारत, स्विस विशेषज्ञों के साथ पायलट प्रोजेक्ट पर कर रहा काम
हिमालय में मौजूद झीलों की अगले वर्ष से निगरानी की जाएगी। भारत में 56 जोखिम वाली ऐसी झीलें मौजूद हैं। भारत लोनाक झील और शाको चो झील में देश की पहली प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली स्थापित करने के लिए स्विस विशेषज्ञों के साथ पायलट प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। यह 90 मिनट पहले चेतावनी जारी कर सकता है। सिक्किम में हुए नुकसान के बाद इस पर बल दिया गया है।
रायटर, नई दिल्ली। हिमालय में मौजूद झीलों की भारत अगले वर्ष से निगरानी करेगा। भारत का लक्ष्य कुछ उच्च जोखिम वाली झीलों पर चेतावनी प्रणाली स्थापित करना है। भारत में 56 जोखिम वाली ऐसी झीलें मौजूद हैं। दो सप्ताह पहले पूर्वी हिमालय में ल्होनक झील के पानी से सिक्किम में हुए नुकसान के बाद इस पर बल दिया गया है।
90 मिनट पहले जारी होगी चेतावनी
भारत लोनाक झील और शाको चो झील में देश की पहली प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली स्थापित करने के लिए स्विस विशेषज्ञों के साथ पायलट प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। यह 90 मिनट पहले चेतावनी जारी कर सकता है।
56 जिलों को प्राथमिकता देने की जरूरत
भारत की राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्य कृष्णा एस.वत्स ने कहा कि हम ऐसी झीलों पर कुछ निगरानी प्रणालियां आजमाएंगे। वत्स ने कहा कि निगरानी प्रणाली स्थापित करने के लिए भारत में जोखिम वाली 56 ऐसी झीलों को प्राथमिकता देने की जरूरत है।
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अधिकारियों का प्रारंभिक लक्ष्य झीलों पर मौसम और पर्यावरण की निगरानी के लिए अगले साल तक चेतावनी प्रणाली स्थापित करना है। निगरानी के नतीजे के आधार पर बाद में पूरा सिस्टम स्थापित किया जाएगा।
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झीलों तक पहुंचने में होती है कठिनाई
वत्स ने कहा कि यह कहना आसान है, लेकिन पहाड़ों पर स्थित इन झीलों तक पहुंचने में कठिनाई होती है, जहां केवल गर्मियों में ही पहुंचा जा सकता है। ये बैटरी और सौर ऊर्जा से चलने वाली मानवरहित प्रणालियां होंगी। जलवायु परिवर्तन उच्च पर्वतीय क्षेत्रों को गर्म करता है और पिघले ग्लेशियरों से झीलें ओवरफ्लो हो सकती हैं।