भारत ने पाकिस्तान के लिए दिखाई दरियादिली! तनाव के बीच PAK को किस चीज की दी चेतावनी?
भारत ने पाकिस्तान को मानवीय आधार पर जम्मू-कश्मीर में भारी बारिश से नदियों में संभावित बाढ़ की चेतावनी दी है। इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग के माध्यम से यह सूचना पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय को दी गई। यह चेतावनी सिंधु जल समझौते के तहत नहीं है जिसे भारत ने पहलगाम हमले के बाद निलंबित कर दिया था। पाकिस्तान ने भी बाढ़ के मद्देनजर आपातकालीन अलर्ट जारी किया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बेहद तनावपूर्ण संबंधों के बावजूद भारत ने मानवीय आधार पर एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए पाकिस्तान को जम्मू-कश्मीर में भारी बारिश के कारण नदियों में संभावित बाढ़ की चेतावनी दी है। यह सूचना इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग के माध्यम से रविवार (24 अगस्त) को पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय को दी गई।
खास बात यह है कि यह चेतावनी 1960 के सिंधु जल समझौते (आइडब्लूटी) के तहत नहीं बल्कि पूरी तरह मानवीय आधार पर साझा की गई। भारत ने अप्रैल, 2025 में पहलगाम में पाकिस्तान पोषित आतंकवादियों की तरफ से किये गये नृशंस हत्या के बाद उक्त समझौते को निलंबित कर दिया है।
कश्मीर के कई हिस्सों में भारी नुकसान हुआ
अधिकारियों ने बताया कि यह पहली बार है कि जब ऐसी जानकारी सिंधु जल आयुक्तों के बजाय भारतीय उच्चायोग के माध्यम से दी गई है। पिछले कुछ हफ्तों से भारत के जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में लगातार तेज बारिश हो रही है। इससे कश्मीर के कई हिस्सों में भारी नुकसान हुआ है।
साथ ही उन सभी नदियों की स्थिति भी चिंताजनक बनी हुई है जो भारत से होते हुए पाकिस्तान जाती हैं। वैसे अधिकारियों ने यह भी कहा है मानवीय आधार दी गई इस जानकारी के बहुत मायने नहीं निकालने चाहिए। भौगोलिक तौर पर उच्च स्थिति में होने की वजह से भारत की तरफ से इस तरह की जानकारी देना लाजिमी है।
दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध अभी सबसे निचले स्तर पर
इसके बावजूद यह कदम उस समय उठाया गया जब दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध अभी सबसे निचले स्तर पर हैं। पहलगाम हमले के बाद भारत ने मई 2025 में पाकिस्तान के कई शहरों में स्थित आतंकी शिविरों पर मिसाइलों से हमला कर उन्हें काफी ज्यादा नुकसान पहुंचाया हैं।
पाकिस्तान के कुछ समाचार पत्रों के मुताबिक भारत ने चेनाब और सतलुज जैसी नदियों में अचानक जल प्रवाह में वृद्धि की सूचना दी है। इसके बाद पाकिस्तान में आपातकालीन अलर्ट जारी किए गए हैं।
जम्मू-कश्मीर में हाल की बाढ़ ने कम से कम 60 लोगों की जान ली है, जबकि पाकिस्तान में जून 2025 से मॉनसून की बारिश ने 80 से अधिक लोगों की मौत और लाखों को प्रभावित किया है। दोनों देशों में बाढ़ ने कृषि, बुनियादी ढांचे और आजीविका को भारी नुकसान पहुंचाया है। भारत का यह कदम, भले ही राजनयिक तनाव के बीच उठाया गया हो, क्षेत्रीय सहयोग और मानवीय संवेदनशीलता को दर्शाता है।बताते चलें कि सिंधु जल समझौता वर्ष 1960 से हाल के महीनों तक लागू रहा है।
इसके तहत भारत और पाकिस्तान के बीच सतलुज, ब्यास, रावी (पूर्वी नदियाँ) और सिंधु, झेलम, चेनाब (पश्चिमी नदियाँ) के जल बंटवारे को नियंत्रित करता है। इस समझौते के तहत भारत को पूर्वी नदियों का पूर्ण उपयोग करने का अधिकार है जबकि पश्चिमी नदियों का अधिकांश जल पाकिस्तान को मिलता है।
समझौता तीन युद्धों और कई राजनयिक विवादों के बावजूद दशकों तक कायम रहा लेकिन अप्रैल 2025 में पहलगाम में 26 नागरिकों की हत्या के बाद भारत ने इसे निलंबित कर दिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तब कहा था, “खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।'' इस निलंबन के कारण बाढ़ से संबंधित जानकारी सामान्य रूप से आयुक्तों के माध्यम से साझा करने की प्रक्रिया रुक गई है।
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