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    India Vision 2020: देश का स्वर्ण दशक, अगले पांच साल में हम हरित ऊर्जा के सबसे बड़े उत्पादक होंगे

    By Sanjay PokhriyalEdited By:
    Updated: Mon, 15 Nov 2021 11:49 AM (IST)

    पूर्व राष्ट्रपति डा कलाम के पालिसी एवं टेक्नोलाजी सलाहकार एंव सीईओ कलाम सेंटर सृजन पाल सिंह ने बताया कि अगले पांच साल में हम हरित ऊर्जा के सबसे बड़े उत्पादक होंगे। सात साल में हम दुनिया की कुछ सबसे बड़ी कंपनियों वाले देश होंगे।

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    जलवायु पर्वितन, वैश्विक शांति, दवाओं की आपूर्ति और नैनोटेक्नोलाजी में दुनिया का मार्गदर्शन कर रहे होंगे।

    सृजन पाल सिंह।  अगर किसी चीज को आप दिल से चाहो तो पूरी कायनात उसे आपसे मिलाने के लिए शिद्दत से जुट जाती है। प्रसिद्ध उपन्यास अलकेमिस्ट में महान ब्राजीली गीतकार और लेखक पाओलो कोएलो की ये पंक्तियां भारत के संदर्भ में सच साबित होती दिख रही हैं। आज से कुछ दशक पहले एक युगदृष्टा ने भारत को लेकर एक सपना देखा था। विजन: 2020 नामक इस सपने में वैश्विक क्षितिज पर भारत के नये उदय के बारे में बताया गया था। ये सपना हमारे पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइलमैन एपीजे अब्दुल कलाम ने देखा था। उनके सपने को साकार करने के लिए कायनात जुट चुकी है। कोई भी अंतरराष्ट्रीय मंच हमारी बात सुनने के लिए न सिर्फ विवश है बल्कि उस पर प्रभावी कदम उठाकर वे इतरा भी रहे हैं।

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    हाल ही में अफगानिस्तान मसले पर भारत की अध्यक्षता में बुलाई बैठक में जिस तरह रूस, ईरान और सोवियत संघ का हिस्सा रहे पांच मध्य एशियाई देश शामिल हुए, उससे भारत दुनिया को यह संदेश देने में सफल रहा कि वह अपने पड़ोस में उभरी किसी गंभीर समस्या के समाधान में दखल देने में सक्षम है। महामारी से लड़ने की भारत की रणनीति और टीकों के कुशल प्रबंधन की दुनिया कायल हो चुकी है। ये कायनात की ही व्यवस्था है कि देश को एक ऐसा नेतृत्व मिला है जिसे पूरी दुनिया पसंद कर रही है। जिसकी बातों को लोग सुन रहे हैं। जिसकी नीतियों की सराहना हो रही है। बात चाहे विश्व योग दिवस के शुरू करने की हो, अंतरराष्ट्रीय सोलर एलायंस के गठन की हो या फिर हालिया जलवायु सम्मेलन में अपने जीरो उत्सर्जन का ऐतिहासिक लक्ष्य घोषित करके विश्व बिरादरी को चौंकाने की हो।

    एक विश्व, एक सूर्य और एक ग्रिड जलवायु परिवर्तन से लड़ने का अमोघ हथियार भारत ने ही सुझाया। अब हम पिछलग्गू नहीं हैं। बोलते हैं और दृढ़ता के साथ। दबाव में राष्ट्र हित से समझौता नहीं मंजूर है। चाहे जिस विचारधारा और देश से बात हो, हमारे द्विपक्षीय संबंधों में परस्पर पासंग रत्ती भर नहीं है। अर्थशास्त्र का नियम है कि एक रुपये को सौ बनाने में ज्यादा वक्त लगता है, लेकिन सौ को हजार करने में वक्त नहीं लगता है। हम सौ तक पहुंच चुके हैं। दुनिया की शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में शुमार हैं। विश्लेषक बता रहे हैं कि भविष्य में भारतीय अर्थव्यवस्था की चौकड़ी सबको हैरत में डालेगी। हमारी साफ्टपावर की दुनिया कायल है। तमाम बड़ी बहुदेशीय कंपनियों का नेतृत्व भारतीय हाथों में है। सुखद संयोग है कि हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं और देश करवट लेने को तैयार है। ऐसे में भारत के बदलते रुख-रसूख की यह तस्वीर देखना, समझना और आत्मसात करना आज हम सबके लिए बड़ा मुद्दा है।

    अर्थव्यवस्था की बढ़ती क्षमता

    भारत की अर्थव्यवस्था लगातार बढ़ रही है। तीन टिलियन डालर की जीडीपी के साथ भारत इस समय छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। हालांकि यदि खरीद क्षमता यानी परचेजिंग पावर पैरिटी (पीपीपी) आधार पर देखें तो भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। पीपीपी आधार पर भारत की जीडीपी 10 टिलियन डालर से ज्यादा है। 1991 से 2019 के बीच पीपीपी आधार पर भारत की जीडीपी एक टिलियन डालर से नौ टिलियन डालर पर पहुंच गई थी। 2050 तक पीपीपी आधार पर जीडीपी 43 टिलियन डालर पर पहुंच जाने का अनुमान है। उस समय तक भारत अमेरिका को पीछे छोड़ देगा।

    मैन्युफैक्चरिंग हब बन रहा भारत

    हाल ही में अमेरिका को पीछे छोड़कर भारत दुनिया का दूसरा सबसे आकर्षक मैन्युफैक्चरिंग डेस्टिनेशन बन गया है। रियल एस्टेट कंसल्टेंट कुशमैन एंड वेकफील्ड की रिपोर्ट में बताया गया है कि लागत के मोर्चे पर दक्षता की वजह से भारत को लेकर आकर्षण बढ़ा है। हाल में नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा था कि चीन की नकल करके दुनिया का नया मैन्युफैक्चरिंग हब नहीं बन सकता, उसे नई राह बनानी होगी। फिलहाल भारत उसी दिशा में बढ़ रहा है।

    करीब दो दशक पहले डा एपीजे अब्दुल कलाम ने टेक्नोलाजी इन्फार्मेशन फोरकास्टिंग एंड असेसमेंट काउंसिल (टीआईएफएसी) के नाम से बनी विशेष कमेटी के तहत देशभर से 500 विशेषज्ञों की टीम का नेतृत्व किया था। उन्होंने 2020 तक देश का पथ प्रदर्शन करने के लिए एक दस्तावेज तैयार किया था। 2020 तक भारत को दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ता हुआ देश और आर्थिक महाशक्ति बनाने का लक्ष्य था।

    उस समय देश मौजूदा समय से काफी अलग था। हमारे यहां बिजली की कमी थी। गर्मियों की रातें अक्सर बिना बिजली के बीता करती थीं। बहुत से बड़े शहरों के बीच भी हाईवे नहीं थे। इंटरनेट लक्जरी की श्रेणी में आता था। लगभग हर दवा और अच्छा कपड़ा आयातित था। हम हालीवुड फिल्मों में वहां की सड़कें, उपकरण और जीवनशैली देखकर प्रभावित हुआ करते थे।

    हालांकि यह हम भारतीयों की दृढ़ता ही थी कि हमने महत्वाकांक्षाओं को मरने नहीं दिया। भारत ने वैश्विक स्तर पर पहचान बनाने की चिंहुक बनाए रखी और लगातार उस दिशा में बढ़ता रहा। पिछले दो दशक में देश तेजी से बदला है। महामारी ने हमें आघात पहुंचाया, लेकिन इसने यह भी दिखाया कि भारत इन चुनौतियों से बाहर निकलने में किसी भी अन्य देश व समाज की तुलना में ज्यादा मजबूत है। 2020 में महामारी की शुरुआत के समय हमारी बड़ी चिंता थी कि मास्क, ग्लव्स और पीपीई कहां से आयात करें।

    साल बीतते-बीतते हम दुनिया के उन पांच देशों में शामिल हो चुके थे, जिनके पास इस महामारी के खिलाफ प्रभावी वैक्सीन थी। मई, 2021 में कई स्वनामधन्य विशेषज्ञ कह रहे थे कि भारत को अपनी पूरी आबादी के टीकाकरण में तीन साल का समय लग जाएगा। आज दूरदराज के गांवों समेत देश में 110 करोड़ से ज्यादा टीके लगाए जा चुके हैं। उत्तर प्रदेश ने 13 करोड़ से ज्यादा टीके लगा लिए हैं। राजनीति का चश्मा हटाकर देखें तो यह प्रशासनिक कुशलता का प्रमाण है, जिसे बायो-साइंस, उद्योग और आइटी का साथ मिला।

    जैसे-जैसे दुनिया महामारी से उबर रही है, लगभग सभी विशेषज्ञ मानने लगे हैं कि इस दशक में भारत सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था होगा। आज महज 10 साल पुरानी भारतीय कंपनी बायजूस एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के मूल्यांकन के साथ दुनिया की सबसे बड़ी एजुकेशन टेक्नोलाजी कंपनी बन गई है। दुनिया भारतीय युवाओं द्वारा संचालित कंपनियों में निवेश कर रही है। अकेले 2021 में भारत के स्टार्ट-अप्स में 2.25 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश आया है। किसी स्टार्ट-अप का मूल्यांकन 7,500 करोड़ रुपये (एक अरब डालर) से ऊपर निकलने पर उसे यूनीकार्न कहा जाता है। आज भारत में ऐसे 70 से ज्यादा यूनीकार्न हैं। इनमें से आधे इसी साल यूनीकार्न बने हैं। हम वैश्विक स्तर की कंपनियां स्थापित कर रहे हैं और इस पूरे दशक में यह क्रम बना रहेगा।

    एक अच्छी बात यह भी है कि अन्य आर्थिक प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले भारत का आर्थिक विकास पर्यावरण की दृष्टि से ज्यादा अनुकूल है। चीन में प्रति व्यक्ति सालाना कार्बन डाई आक्साइड उत्सर्जन 7.5 टन और अमेरिका में 15 टन है। वहीं भारत में यह दो टन से भी कम है। ग्लासगो में आयोजित सीओपी26 के दौरान पूरी दुनिया ने स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में भारत के प्रयासों की सराहना की। 2010 में बिजली की कमी का सामना कर रहे भारत में आज लगभग हर गांव में बिजली पहुंचा दी गई है। सौर ऊर्जा के मामले में भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।

    अपने विजन-2020 में डा कलाम ने ऐसे विकास की बात की थी, जिसमें समाज के हर वर्ग को खुशी मिले। 2019 में मात्र तीन करोड़ ग्रामीण घरों में नल से जल की आपूर्ति हो रही थी। नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक यह संख्या अब 8.48 करोड़ पर पहुंच गई है। हमने सबसे सस्ते डाटा के साथ दुनिया का सबसे बड़ा मोबाइल नेटवर्क तैयार कर लिया है। करोड़ों भारतीयों के पास इंटरनेट उपलब्ध है और लोग डिजिटल भुगतान कर रहे हैं। 45 प्रतिशत आबादी इंटरनेट के मामले में साक्षर हो गई है और इस मामले में हम चीन से आगे निकल गए हैं। 1.5 करोड़ किराना स्टोर अब डिजिटल भुगतान स्वीकार कर रहे हैं। असंगठित क्षेत्र भी तेजी से इसे अपना रहा है।

    इस दशक में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के तौर पर भारत वैश्विक आर्थिक विकास का नेतृत्व करेगा। हमारा वक्त आ गया है। हमें बड़े सपनों पर फोकस करना होगा। मतभिन्नता पर टकराव से बचना होगा। टिकाऊ सरकार और निर्णायक नेतृत्व भी जरूरी होगा।

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