India-US ट्रेड डील पर जल्द लग सकती है मुहर, अगले चरण की बातचीत के लिए रवाना होगा भारतीय दल
भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) को लेकर सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं। वाणिज्य मंत्रालय का एक दल बातचीत के लिए अमेरिका जा रहा है। नवंबर तक पहले चरण के समझौते की उम्मीद है, जिससे भारतीय वस्तुओं पर लगे शुल्क में कटौती हो सकती है। भारत ने अमेरिका से पेट्रोलियम पदार्थ खरीदने की पेशकश की है और कृषि उत्पादों पर भी चर्चा जारी है। समझौते से भारत-अमेरिका ट्रेड डील को बढ़ावा मिलेगा।

अगले चरण की बातचीत के लिए अमेरिका दौरे पर जा रहा दल (फोटो: रॉयटर्स)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौता (बीटीए) को लेकर बनी दूरियां तेजी से कम होती दिख रही है। इस सप्ताह वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों का एक दल बीटीए के अगले चरण की बातचीत के लिए अमेरिका के दौरे पर जा रहा है।
सूत्रों का कहना है कि इस साल नवंबर तक दोनों देशों के बीच बीटीए के पहले चरण पर समझौते की पूरी उम्मीद है। समझौता होने से भारत पर अमेरिका की तरफ से लगाए गए 50 प्रतिशत के भारी शुल्क में कटौती होगी जिससे अमेरिका के बाजार में भारतीय वस्तु के निर्यात में पहले की तरह तेजी का रुख कायम हो सकता है।
बीटीए को लेकर पांच चरण की वार्ता पूरी
इस साल 27 अगस्त से अमेरिका ने भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा की थी। दोनों देशों के बीच बीटीए को लेकर पांच चरण की वार्ता हो चुकी है और अब छठे चरण की वार्ता होगी। रूस से तेल खरीदने के कारण अमेरिका की तरफ से भारत पर जुर्माने के रूप में अलग से 25 प्रतिशत का शुल्क लगाए जाने के बाद बीटीए पर प्रगति रूक गई थी, लेकिन पिछले महीने वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के अमेरिका दौरे और अमेरिका के मंत्री के भारत दौरे से हालात बदलता हुआ दिख रहा है।
भारत ने अमेरिका से पेट्रोलियम पदार्थ व प्राकृतिक गैस खरीदने की पेशकश की है। दोनों देशों के बीच निवेश को लेकर भी चर्चा चल रही है। अमेरिका भारत के कृषि बाजार में भी प्रवेश चाहता है। अमेरिकी मक्के और सोयाबीन पर लगने वाले शुल्क में भारत कटौती कर सकता है, लेकिन जेनेटिकली मोडिफाइड रूप में भारत इन वस्तुओं को स्वीकार नहीं करेगा।
चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से लेकर अगस्त तक भारत से अमेरिका होने वाले निर्यात में बढ़ोतरी तो हो रही है, लेकिन अगस्त की बढ़ोतरी दर इस साल मई-जून के मुकाबले कम हो गई है। सितंबर से अमेरिका होने वाले निर्यात पर फर्क दिख सकता है। जानकारों का कहना है कि 50 प्रतिशत के शुल्क के जारी रहने पर भारत का निर्यात निश्चित रूप से प्रभावित होगा और अमेरिका से व्यापार समझौता होने पर भारतीय निर्यात नई ऊंचाई हासिल कर सकता है।
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