जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली: भारत भविष्य में किस तरह से प्रगति करेगा यह बहुत हद तक भारतीय तकनीक से निर्धारित होगा। यही नहीं भारत की कूटनीति को तय करने में भी तकनीक की अहम भूमिका होगी। भारत उन्हीं देशों के साथ साझेदारी बढ़ाएगा जो भारत को तकनीक देंगे या भारत से तकनीक को साझा करेंगे और भारतीय तकनीक को बाजार उपलब्ध कराएंगे। यह बात विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को ग्लोबल टेक्नोलॉजी सम्मेलन को संबोधित करते हुए कही।

तकनीक विकास के राजनीतिक आयाम
जयशंकर ने दो टूक कहा कि भारत तकनीक विकास को लेकर अब निरपेक्ष रहने की रणनीति पर कायम नहीं रह सकता क्योंकि तकनीक विकास के अब बड़े महत्वपूर्ण राजनीतिक आयाम भी है। जयशंकर ने वर्ष 2020 में चीन के साथ उपजे तनाव की तरफ संकेत करते हुए कहा कि, “भारत में हम दो वर्ष पहले ही इस बात को लेकर चिंतित हुए हैं कि हमारा डाटा कहां सेव किया जा रहा है। इसे कौन रख रहा है और कैसे इसका इस्तेमाल कर रहा है। यह बहुत ही अहम सवाल है''। आगे उन्होंने कहा कि “तकनीक के राजनीतिक पहलू को कभी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। आज के प्रतिस्पद्र्धात्मक वैश्विक माहौल में इसकी अहमियत ज्यादा बढ़ गई है। तकनीक ही नए रिश्ते व साझेदारियों को सुगठित करने में अहम भूमिका निभाएगा। तकनीक को अब सिर्फ आर्थिक मुद्दा नहीं मानना चाहिए बल्कि एक राजनीतिक विशेषज्ञ के तौर पर मैं इसे एक रणनीतिक मुद्दा है।''
पश्चिमी देशों की व्यवस्था का अंत
जयशंकर ने कहा कि, तकनीकी विकास के वैश्विक असर के संदर्भ में उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों ने जो वैश्विक व्यवस्था बनाई थी अब उसका अंत हो रहा है। तकनीक को लेकर भारत समेत दूसरे देश भी आत्मनिर्भर होने की कोशिश कर रहे हैं और इसका नई वैश्विक व्यवस्था पर काफी असर होगा। तकनीक नए समीकरण बना रही है। भारत क्वाड संगठन का सदस्य है और यह सगंठन तकनीक को लेकर काफी काम कर रहा है। क्वाड के तहत भारत भी इंडो पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (आइपीईएफ) के तहत काम कर रहा है जो सप्लाई चेन से जुड़ी समस्याओं व दूसरे तकनीक से जुड़े मुद्दों पर काम कर रहा है।
साझेदारियों में हित को महत्व देगा भारत
जयशंकर ने कहा कि, भारत इन साझेदारियों में यह देखेगा कि उसका हित कहां सुरक्षित है, कौन देश भारत को तकनीक साझा कर रहा है और कौन देश भारत को बाजार उपलब्ध करा रहा है। भारत में जिस तरह से तकनीक पर काम रहा है उसको लेकर विकासशील देशों खास तौर पर अफ्रीकी देशों में और लातिनी अमेरिकी देशों की दिलचस्पी है। जी-20 देशों के संगठन की अध्यक्षता करते हुए भी भारत इस बात का ख्याल रखेगा कि विकासशील व अविकसित देशों के हितों से जुड़़े मुद्दों को जगह मिले।
