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    अब हर भूकंप-मुक्त राज्य में लगेगा नया परमाणु ऊर्जा संयंत्र! सरकार ने क्‍यों बनाया प्‍लान; यूपी-बिहार किस कैटेगरी में आते हैं?

    Updated: Tue, 10 Jun 2025 07:37 PM (IST)

    केंद्र सरकार ने परमाणु ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए भूकंप प्रभावित क्षेत्र-पांच से बाहर के प्रत्येक राज्य में कम से कम एक परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने की घोषणा की है। 2047 तक परमाणु ऊर्जा क्षमता को 8000 मेगावाट से बढ़ाकर 1 लाख मेगावाट करने का लक्ष्य है। क्‍या है सरकार का प्‍लान किन कंपनियों को मिलेंगे अवसर?

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    India to Expand Nuclear Power: परमाणु ऊर्जा का बड़ा विस्तार। प्रतीकात्‍मक फोटो

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने एलान किया है कि देश में परमाणु ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए देश के हर वैसे राज्य जो भूकंप प्रभावित क्षेत्र -पांच (सबसे ज्यादा गंभीर भूकंप वाले क्षेत्र) में नहीं आते हैं, वहां कम से कम एक परमाणु ऊर्जा संयंत्र लगाए जाएंगे।

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    परमाणु ऊर्जा संयंत्र इसलिए लगाए जाएंगे ताकि भविष्य में जब ताप बिजली संयंत्रों को पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाएगा, तब परमाणु ऊर्जा जैसे विश्वसनीय व पर्यावरण को बहुत कम नुकसान पहुंचाने वाले ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता रहे।

    सरकार ने इस साल के आम बजट में वर्ष 2047 तक परमाणु ऊर्जा क्षमता को मौजूदा 8000 मेगावाट से बढ़ा कर एक लाख मेगावाट करने का लक्ष्य रखा है। इसके तहत देश में कई छोटे-छोटे परमाणु ऊर्जा रिएक्टर आधारित संयंत्र लगाने जाने की संभावना है।

    कब से नहीं लगेंगे ताप बिजली संयंत्र?

    बिजली मंत्री खट्टर ने बताया कि साल 2037 के बाद में ताप बिजली संयंत्र नहीं लगाए जाएंगे। यह वर्ष 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य को हासिल करने के लिए किया जाएगा। ऐसे में जिन जिन राज्यों में ताप बिजली संयंत्र हटाए जाएंगे, वहां परमाणु ऊर्जा संयंत्र लगाए जा सकेंगे। भूकंप प्रभावित क्षेत्र -पांच का ध्यान रखा जाएगा। इसमें निजी क्षेत्र की कंपनियों को भी काफी मौका मिलेगा।

    सरकारी आंकड़ों में देखा जाए जो जम्मू व कश्मीर, गुजरात का कुछ हिस्सा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार के कुछ हिस्से भूकंप के सबसे संभावित क्षेत्र हैं।

    वैसे अभी देश के कुछ चुनिंदा राज्यों जैसे महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, राजस्थान, उत्तर प्रदेश में ही परमाणु ऊर्जा संयंत्र हैं। इनकी संयुक्त उत्पादन क्षमता 8,000 मेगावाट से कुछ कम ही है। जबकि सरकार ने 12 हजार मेगावाट क्षमता को मंजूरी दे रखी है।