'वैश्विक सौर ऊर्जा मांग का हब बनेगा भारत', ISA की सालाना सभा में बोलीं राष्ट्रपति मुर्मु
राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि भारत 2050 तक स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्य हासिल करेगा और सौर ऊर्जा का केंद्र बनेगा। उन्होंने जलवायु परिवर्तन से लड़ने की प्रतिबद्धता जताई और सौर ऊर्जा को समावेशी विकास का स्त्रोत बताया। सभा में सौर वित्तपोषण और क्षमता निर्माण पर चर्चा हुई। मंत्री जोशी ने भारत की बढ़ती सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता पर प्रकाश डाला।

सौर ऊर्जा को वैश्विक चुनौतियों के समाधान के तौर पर चिन्हित किया (फाइल फोटो)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत वर्ष 2050 तक ना सिर्फ स्वच्छ ऊर्जा का महत्वाकांक्षी लक्ष्य हासिल करेगा बल्कि सौर ऊर्जा में वैश्विक मांग का केंद्र भी भारत ही होगा। यह बात राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) की आठवीं सालाना सभा के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने सौर ऊर्जा को वैश्विक चुनौतियों के समाधान के तौर पर चिन्हित करते हुए कहा कि भारत जलवायु परिवर्तन से लड़ने को प्रतिबद्ध है और इसके लिए वह दृढ़ कदम उठा रहा है। उन्होंने जोर दिया कि सौर ऊर्जा समावेशी विकास का स्त्रोत है, जो गरीबी उन्मूलन और ग्रामीण समृद्धि को बढ़ावा देगी।
'सोलर फॉर शी' पहल की सराहना की
मुर्मु ने 2050 तक भारत के लक्ष्यों का जिक्र करते हुए कहा कि देश न केवल अपने स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों को हासिल करेगा, बल्कि वैश्विक सौर मांग का केंद्र बनेगा। राष्ट्रपति मुर्मु ने आईएसए की 'सोलर फॉर शी' पहल की सराहना की जो महिलाओं को नीतियों, वित्तपोषण और कौशल विकास के माध्यम से सशक्त बनाएगी। सभा में 125 सदस्य देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए। यहां सौर वित्तपोषण, क्षमता निर्माण, कृषि में सौर ऊर्जा के प्रयोग और वैश्विक सौर सप्लाई चेन स्थापित करने के विषय पर गंभीर विमर्श हुआ।
राष्ट्रपति ने सहयोग पर बल देते हुए कहा कि सौर ऊर्जा से ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित होगी और सतत भविष्य बनेगा। यह संबोधन आईएसए की कार्यवाही का स्वर निर्धारित करेगा, जो सौर निवेश को 2030 तक बढ़ाने पर केंद्रित है।इस कार्यक्रम में एक सत्र को संबोधित करते हुए नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि भारत में सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन की क्षमता 2.57 लाख मेगावाट हो चुकी है। इसके साथ ही भारत दुनिया में चौथी सबसे बड़ी सौर बिजली उत्पादक देश बन चुका है।
यह वर्ष 2014 के मुकाबले तीन गुणा ज्यादा है। सौर उर्जा के लिए जरूरी उपकरणों के निर्माण में भी भारत की क्षमता लगातार बढ़ रही है। वर्ष 2014 में भारत में इन उपकरणों के सिर्फ 2,000 मेगावाट निर्माण क्षमता थी जो अब बढ़ कर 1.10 लाख मेगावाट हो चुका है। सोलर सेल्स की कोई निर्माण क्षमता भारत में नहीं थी जो अब 27 हजार मेगावाट है।

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