रूस से कुल आयात का 40 फीसद क्रूड ले रहा भारत, बना रूसी कच्चे तेल का सबसे बड़ा खरीददार
भारत रूस के कच्चे तेल का सबसे बड़ा खरीददार बन चुका है। आइइए की बुधवार को जारी रिपोर्ट बताती है कि भारत अपनी जरूरत का 40 फीसद कच्चा तेल रूस से खरीद रहा है। भारत और चीन मिल कर रूस के कुल कच्चे तेल का 70 फीसद खरीद रहे हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली: भारत रूस के कच्चे तेल का सबसे बड़ा खरीददार बन चुका है। अंतरराष्ट्रीय एनर्जी एजेंसी (आइइए) की बुधवार को जारी रिपोर्ट बताती है कि भारत अपनी जरूरत का 40 फीसद कच्चा तेल सिर्फ रूस से खरीद रहा है। भारत और चीन मिल कर रूस के कुल कच्चे तेल का 70 फीसद खरीद रहे हैं। इस रिपोर्ट में इस बात का भी संकेत है कि जब से अमेरिका व पश्चिमी देशों ने रूस में उत्पादित कच्चे तेल की सीमा तय की है उसके बाद भारत व दूसरे देशों को रूस से कम कीमत पर क्रूड की आपूर्ति हो रही है।
रूस को हतोत्साहित करने की कोशिश
यही वजह है कि फरवरी, 2023 में रूस को इसके पिछले महीने के मुकाबले क्रूड निर्यात से 2.7 अरब डॉलर की कम आय हुई है। यह एक वर्ष पहले के मुकाबले 42 फीसद कम है। रिपोर्ट यह भी बताती है कि यूक्रेन युद्ध के बाद रूस के तेल निर्यात को हतोत्साहित करने की काफी कोशिश की गई है लेकिन उसका बहुत असर नहीं हुआ है। आइइए वैश्विक स्तर पर ऊर्जा उत्पादन व उपभोग के क्षेत्र में शोध करने वाली सबसे प्रतिष्ठित एजेंसी मानी जाती है। रिपोर्ट में विश्व में क्रूड की मौजूदा आपूर्ति के संदर्भ में कहा गया है कि अभी मांग की तुलना में आपूर्ति ज्यादा है और यह स्थिति अगले छह महीनों तक बनी रहेगी।
एशियाई देश खरीद रहे रूसी तेल
रूस की तरफ से कच्चे तेल की आपूर्ति में पांच लाख बैरल प्रति दिन की आपूर्ति कम करने के बावजूद बाजार में आपूर्ति बढ़ी है। कनाडा और अमेरिका की तरफ से कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ा दिया गया है। रूस में उत्पादित क्रूड का बहुत बड़ा हिस्सा एशियाई देश आदि खरीद रहे हैं। रूस के तेल में सबसे ज्यादा रूचि भारत दिखा रहा है। लेकिन इन देशों की तरफ से रूस से काफी ज्यादा मात्रा में क्रूड खरीद को ज्यादा दिनों तक बरकरार नहीं रखा जा सकता।
अभी स्थिर ही रहेगा वैश्विक बाजार
रिपोर्ट में संकेत है कि कच्चे तेल की कीमत वैश्विक बाजार में अभी स्थिर ही रहेगी। यह भारत के लिए शुभ संकेत है। भारत में अप्रैल, 2022 के बाद से घरेलू बाजार में पेट्रोल व डीजल की खुदरा कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। इस दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत एक समय तक 130 डॉलर प्रति बैरल तक गया था। अभी यह घट कर 80 डॉलर से भी नीचे चला गया है।