चीन और अमेरिका से आगे निकला भारत, 17 करोड़ लोगों को हुआ सीधा फायदा; जानिए क्या है पूरा मामला
विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार आर्थिक समानता के मामले में भारत अमेरिका और चीन से आगे निकल गया है। 2011-12 से 2022-23 के बीच असमानता में कमी आई है जिससे भारत दुनिया का चौथा सबसे समान देश बन गया है। गिनी इंडेक्स में भारत का स्कोर 25.5 है जो चीन (35.7) और अमेरिका (41.8) से काफी बेहतर है।

पीटीआई, नई दिल्ली। आर्थिक समानता के मामले में भारत अमेरिका और चीन से भी आगे निकल गया है। विश्व बैंक की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2011-12 और 2022-23 के बीच भारत में असमानता में उल्लेखनीय कमी आई है, जिससे यह वैश्विक स्तर पर चौथा सबसे अधिक समानता वाला देश बन गया है।
विश्व बैंक के आंकड़ों का हवाला देते हुए एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि यह अत्यधिक गरीबी में तेज गिरावट के अतिरिक्त है, जो 2011-12 में 16.2 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 2.3 प्रतिशत हो गई है।
भारत से बेहतर स्कोर वाले केवल तीन देश
सरकार ने असमानता में कमी का श्रेय पिछले एक दशक के दौरान अपनाई गई विभिन्न योजनाओं को दिया है। समानता की माप करने वाले 'गिनी इंडेक्स' में भारत से बेहतर स्कोर वाले केवल तीन देश स्लोवाक गणराज्य, स्लोवेनिया और बेलारूस हैं। गिनी इंडेक्स किसी देश की आबादी में आय वितरण को मापकर समानता का स्तर निर्धारित करता है। गिनी इंडेक्स को 1912 में इतालवी सांख्यिकीविद् कोराडो गिनी द्वारा विकसित किया गया था।
चीन से आगे निकला भारत
भारत की स्थिति चीन, अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों से काफी बेहतर है। भारत का गिनी सूचकांक 25.5 है, जो इसे दुनिया का चौथा सबसे अधिक समानता वाला देश बनाता है। गिनी इंडेक्स यह समझने में मदद करता है कि किसी देश में घरों या व्यक्तियों के बीच आय और संपत्ति किस तरह समान रूप से वितरित की जाती है। इसका मान शून्य से 100 तक होता है। शून्य स्कोर का मतलब है पूर्ण समानता, जबकि 100 स्कोर का मतलब है कि एक व्यक्ति के पास सारी आय और संपत्ति है। इसलिए इसका मतलब है पूर्ण असमानता।
विश्व बैंक की रिपोर्ट में क्या कहा गया?
- गिनी इंडेक्स जितना अधिक होगा, कोई देश उतना ही असमान होगा। भारत का स्कोर चीन (35.7) और अमेरिका (41.8) से बहुत कम है। सरकार ने इस उपलब्धि का श्रेय पिछले एक दशक में गरीबी के स्तर में तेजी से आई कमी को दिया है।
- विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले दशक में 17.10 करोड़ भारतीयों को अत्यधिक गरीबी से बाहर निकाला गया है। प्रतिदिन 2.15 डालर से कम पर जीवन यापन करना जून 2025 तक अत्यधिक गरीबी की वैश्विक सीमा थी।
- भारत में ऐसे लोगों की हिस्सेदारी 2011-12 में 16.2 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में केवल 2.3 प्रतिशत रह गई। यह बदलाव दिखाता है कि भारत ने आर्थिक विकास को सामाजिक समानता के साथ जोड़ने में लगातार प्रगति की है।
- आय समानता की दिशा में भारत की प्रगति को कई सरकारी योजनाओं का समर्थन प्राप्त है। इन योजनाओं का उद्देश्य वित्तीय पहुंच में सुधार करना, कल्याणकारी योजनाओं का लाभ जनता तक पहुंचाना और कमजोर तबके का समर्थन करना है।
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