'दूसरों को उपदेश देने का कोई नैतिक आधार नहीं', राम मंदिर ध्वजारोहण पर पाकिस्तान को भारत की दो टूक
विदेश मंत्रालय ने राम मंदिर के ध्वजारोहण पर पाकिस्तान के बयान की आलोचना की है। मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान, जिसका अल्पसंख्यकों पर अत्याचार का इतिहास रहा है, उसे उपदेश देने का कोई अधिकार नहीं है। प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने पाकिस्तान को अपने मानवाधिकार रिकॉर्ड पर ध्यान देने की सलाह दी और कहा कि भारत ऐसे बयानों को खारिज करता है।

अयोध्या राम मंदिर में ध्वजारोहण कार्यक्रम में पीएम मोदी, सीएम योगी और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। विदेश मंत्रालय (MEA) ने राम मंदिर झंडा फहराने के समारोह पर पाकिस्तान के हालिया बयान पर उसे आड़े हाथों लेते हुए कहा कि इस्लामाबाद, जिसका कट्टरता और अपने अल्पसंख्यकों पर दबाव का लंबा रिकॉर्ड रहा है, उसे दूसरों को उपदेश देने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि “पाकिस्तान को दिखावटी उपदेश देने के बजाय अपने खराब मानवाधिकार रिकॉर्ड पर ध्यान देना चाहिए।”
'जिसका दागदार रिकॉर्ड वो उपदेश न दे'
रणधीर जायसवाल ने वीकली ब्रीफिंग के दौरान कहा, “हमने रिपोर्ट की गई बातों को देखा है और उन्हें उसी बेइज्जती के साथ खारिज करते हैं जिसके वे हकदार हैं। एक ऐसे देश के तौर पर जिसका अपने अल्पसंख्यकों के साथ कट्टरता, दमन और सिस्टेमैटिक बुरे बर्ताव का गहरा दागदार रिकॉर्ड है, पाकिस्तान के पास दूसरों को लेक्चर देने का कोई नैतिक हक नहीं है।”
उन्होंने कहा, "पाकिस्तान को पाखंडी उपदेश देने के बजाय अपने अंदर झांककर अपने खराब मानवाधिकार रिकॉर्ड पर ध्यान देना चाहिए।"
राम मंदिर ध्वजारोहण पर पाकिस्तान ने की थी टिप्पणी
विदेश मंत्रालय की यह टिप्पणी तब आई जब पाकिस्तान ने हाल ही में अयोध्या में राम मंदिर पर झंडा फहराने का विरोध किया। पाकिस्तान ने कहा कि यह कदम कथित तौर पर धार्मिक अल्पसंख्यकों पर बढ़ते दबाव और मुस्लिम विरासत को मिटाने की कोशिश का हिस्सा है।

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