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    भारत-सिंगापुर के बीच चार बड़े समझौतों पर लगी मुहर, भविष्य के लिए बनाया ये रोडमैप

    Updated: Thu, 05 Sep 2024 06:45 PM (IST)

    India Singapore Relation भारत व सिंगापुर के बीच सेमीकंडक्टर में इकोसिस्टम स्थापित करने हेल्थ सेक्टर प्रौद्योगिकी व वाणिज्यक क्षेत्र की जरूरत के हिसाब से युवा श्रम को प्रशिक्षण देने और डिजिटल क्षेत्र से जुड़े चार सहयोग समझौतों पर हस्ताक्षर हुए हैं। दोनों देश के बीच हुए समझौतों के साथ ही भारत व सिंगापुर ने साउथ चाइना सी में मौजूदा तनाव के खात्मे के लिए आचार-संहिता बनाने पर जोर दिया।

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    भारत सिंगापुर के बीच चार अहम समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। (File Photo)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पीएम नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि वह भारत में कई सिंगापुर बनाना चाहते हैं। यह बात उन्होंने गुरुवार को सिंगापुर के पीएम लौरेंस वोंग के साथ हुई द्विपक्षीय वार्ता के दौरान कही। दोनों नेताओ ने भारत और सिंगापुर के मौजूदा रणनीतिक साझेदारी संबंधों को दर्जा बढ़ा कर समग्र रणनीतिक साझेदारी करने का फैसला किया।

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    चार अहम समझौतों पर हस्ताक्षर

    तीन हफ्तों के भीतर हिंद प्रशांत क्षेत्र का दूसरा देश है जिसके साथ भारत ने अपने रिश्तों की दर्जा बढ़ाया है। पिछले पखवाड़े 20 अगस्त, 2024 को भारत और मलेशिया के बीच ऐसी ही सहमति बनी थी। इसका मतलब यह हुआ कि इन देशों के साथ भारत रक्षा, कारोबार, सैन्य, संचार जैसे क्षेत्रों में एक दूसरे के हितों की रक्षा करने में सहयोग दें। मोदी और वोंग की अगुवाई में दोनों देशों के बीच चार अहम समझौतों पर हस्ताक्षर भी हुए हैं।

    ब्रुनेई की यात्रा के बाद पीएम मोदी बुधवार को सिंगापुर पहुंचे थे। गुरुवार को उनकी पीएम वोंग और राष्ट्रपति थर्मन शन्मुगरत्नम के साथ मुलाकात की। जबकि दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की अगुवाई में आधिकारिक वार्ता हुई।

    भारत में बनेंगे कई सिंगापुर

    वोंग सिंगापुर में चौथी पीढ़ी के प्रधानमंत्री हैं जिस पर पीएम मोदी ने उन्हें खास तौर पर बधाई दी। मोदी ने कहा कि मुझे विश्वास है फोर-जी (चौथी पीढ़ी) के नेतृत्व में, सिंगापुर और अधिक तेजी से प्रगति करेगा। सिंगापुर केवल एक पार्टनर-देश नहीं है। सिंगापुर, हर विकासशील देश के लिए एक प्रेरणा है। हम भी भारत में अनेकों सिंगापुर बनाना चाहते हैं। और मुझे खुशी है कि हम इस दिशा में मिलकर प्रयास कर रहे हैं।

    • पीएम मोदी की यात्रा के बाद भारत व सिंगापुर की तरफ से जारी संयुक्त बयान में चीन के आक्रामक रवैये से साउथ चीन सी की मौजूदा स्थिति की तरफ सीधा इशारा किया गया है और इस क्षेत्र के सभी देशों और दूसरे अन्य देश जो इससे जुड़े हुए नहीं हैं, उनके लिए एक आचार संहिता बनाने की मांग की गई है।
    • यह आचार संहिता अंतरराष्ट्रीय कानून व संयुक्त राष्ट्र की समुद्र से जुड़े नियम (यूएनक्लोज) के तहत बनाने की बात कही गई है ताकि इस क्षेत्र में शांति, स्थिरता, सुरक्षा और आजादी सुनिश्चित हो। दोनों ने सभी पक्षों को बगैर किसी ताकत का इस्तेमाल किये शांतिपूर्ण तरीके से विवाद का निपटान करने का आग्रह किया है।
    • वैश्विक शांति व स्थिरता के लिए आतंकवाद को सबसे बड़ा खतरा बताते हुए दोनों देशों ने कहा है कि इसे किसी भी सूरत में जायज नहीं ठहराना चाहिए। आतंकवाद के खिलाफ दोनों देशों के बीच सहयोग और बढ़ाया जाएगा।
    • पीएम मोदी ने सिंगापुर में तमिल भाषा के प्राचीन कवि थिरुवल्लुवर केंद्र स्थापित करने की भी घोषणा की। उन्होंने सिंगापुर को भारत की एक्ट ईस्ट नीति का सूत्रधार बताया।
    • रणनीतिक संबंधों के 10 वर्षों के दौरान द्विपक्षीय कारोबार के दोगुना होने और सिंगापुर से भारत में होने वाले निवेश के तीन गुणा बढ़ कर 150 अरब डॉलर होने का जिक्र किया। इसके साथ ही रिश्तों का दर्जा समग्र रणनीतिक साझेदारी करने पर खुशी जताई।
    • भारत और सिंगापुर की सरकारों ने चार-चार कैबिनेट मंत्रियों का एक विशेष समूह गठित किया है जो द्विपक्षीय सहयोग का नया एजेंडा तैयार करेगा। इसकी दूसरी बैठक पिछले हफ्ते हुई थी।

    भविष्य का रोडमैप तैयार

    इस समूह ने चार क्षेत्रों में सहयोग का रोडमैप तैयार किया है जिस पर हस्ताक्षर हुए हैं। बाद में दोनों देशों की तरफ से जारी संयुक्त बयान में बताया गया है कि पीएम मोदी और पीएम वोंग ने पहले से ही मजूबत हो रहे रक्षा संबंधों को और आगे व विस्तारित करने का समर्थन किया है। साथ ही दोनों देशों के बीच वर्ष 2016 में हुए आर्थिक समझौते (सीपा) में संशोधन करने को लेकर हो रही वार्ता को शीघ्र संपन्न करने का निर्देश दिया है।

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