'चीन के साथ व्यापार को बढ़ावा, मध्यपूर्व के देशों पर फोकस...', पियूष गोयल ने बताया ट्रंप के टैरिफ से कैसे डील कर रही मोदी सरकार
अमेरिकी टैरिफ वार के बीच भारत वैकल्पिक बाजारों की तलाश में जुटा है। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कतर के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर बात की। उन्होंने चीन के साथ व्यापार असंतुलन को कम करने के उपायों पर भी चर्चा की जिसमें घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को प्रोत्साहन देना शामिल है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वैश्विक आर्थिक और कूटनीतिक दुनिया में जारी हलचल के दौर में अमेरिकी टैरिफ वार ने उथल पुथल को और बढा दिया है। ऐसे में विश्व के सभी प्रमुख देश विशेष रूप से अपने व्यापार कारोबार को इस अनिश्चितता से उबारने के लिए बेहद सक्रिय हो गए हैं और भारत भी वैकल्पिक बाजारों के अवसर बनाने के लिए कई देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते को सिरे चढाने में जुट गया है।
इस सिलसिले में मध्यपूर्व के आर्थिक रूप से संपन्न देश कतर के साथ एफटीए समेत व्यापार को मजबूत बनाने के लिए यहां के आधिकारिक दौरे पर आए केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने दोहा में इन मुददों पर दैनिक जागरण के एसोसिएट एडिटर संजय मिश्र से खास बातचीत की।
अमेरिकी टैरिफ का भारत पर कितना असर?
अमेरिकी टैरिफ का भारतीय व्यापार कारोबार पर किस तरह का प्रभाव पड़ा है क्या इसका आकलन सरकार ने किया है। अभी पांच अक्टूबर से दूसरा टैरिफ लगा है और ये भी कुछ चीजों पर है सभी पर नहीं। इसमें मछली को लेकर समस्या अभी थी जिस पर यूरोपीय संघ के 108 रजिस्टेशन लाइसेंस मिलने के कारण अब हम वैकल्पिक मार्केट में ज्यादा संभावनाएं तलाश रहे हैं। वैसे जीएसटी घटाने से भी भारत में मांग को बल मिला है जिससे टेक्सटाइल और लेदर सेक्टर में कुछ न कुछ राहत मिली है। हम दुनिया भर के अन्य मार्केट में भी विकल्प तलाश रहे हैं। टैरिफ से निर्यात पर पडे प्रतिकूल असर को देखते हुए क्या निर्यातकों को कोई पैकेज देने की तैयारी है। अभी चर्चाएं चल रही है मगर तात्कालिक रूप से इसका कोई प्लान नहीं है।
चीन के साथ व्यापार को लेकर चिंता
चीन के साथ हमारे व्यापार असंतुलन को लेकर चिंताएं जताई जाती रहीं है इसे कम करने के लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं। हम व्यापार असंतुलन के मसले का निरंतर आकलन करते हैं। व्यापार असंतुलन में जो चीजे आती हैं वो हमारी अर्थव्यवस्था के लिए आवश्यक हैं। जैसे फार्मा के लिए पीआई या केएसम आते हैं। मुझे लगता है कि जितना ज्यादा मैन्यूफैक्च¨रग को प्रोत्साहन देंगे उतना बेहतर है। इसीलिए हम पीएलआई स्कीम लेकर आए और अभी नेशनल मैन्यूफैक्च¨रग मिशन के तहत कुछ सेक्टर पर फोकस कर रहे हैं और यह हमारी प्राथमिकता है। लेकिन चीन भी एक बडा मैन्यूफैक्चरिंग देश है और उनकी स्केल बहुत बडी है। लागत प्रतिस्पर्धा बहुत ज्यादा है तो स्वाभाविक है कि उनसे मुकाबला करने के लिए हमें अपने इंडस्टरी के स्केल को बडा करना होगा। हम गुणवत्ता के आधार पर मार्केट पर कब्जा करेंगे।
टैरिफ वार और भूराजनीतिक उथल पुथल का दौर
मौजूदा टैरिफ वार तथा भूराजनीतिक उथल पुथल के दौर में सबसे तेज अर्थव्यवस्था की भारत की गति को बनाए रखना कितना चुनौतीपूर्ण है। भारत की अर्थव्यवस्था में बहुत सकारात्मकता है। हमने पहले छह महीने के निर्यात आंकडे देखे हैं जो पिछले साल के पहले छह महीने के मुकाबले चार पांच प्रतिशत उपर ही हैं। जीडीपी पहली तिमाही में 7.8 प्रतिशत की ग्रोथ थी दूसरी तिमाही का आंकडा भी जल्द देखने को मिलेगा। चुनौतियां तो दुनिया में सभी के लिए है मगर मुझे लगता है कि भारत की अपनी खुद की जो क्षमता और डिमांड तथा घरेलू अर्थव्यवस्था की जो ताकत है वह हमारी गति को बनाए रखेगी।
जीएसटी घटाने से जो घरेलू खपत बढेगा
इंफ्रास्टरक्चर पर जो काम हो रहे हैं और जीएसटी घटाने से जो घरेलू खपत बढेगा इन सबसे के आधार पर भारत दुनिया में लगातार सबसे तेजी से बढने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा। - अर्थव्यवस्था की चुनौतियों को देखते हुए देश में न्यू सेट आफ आर्थिक सुधारों की मांग उठ रही है, क्या सरकार इस दिशा में आगे बढेगी। प्रधानमंत्री ने इस बारे में कहा है और अभी इस पर विचार विमर्श हो रहा है। हम सभी तरह के सुझावों का इस दिशा में स्वागत कर रहे हैं। सभी चैंबर आफ कामर्स, निर्यातक, इपीसीज, स्माल स्केल इंडस्टी एसोसिएशन, एमएसएमई सेक्टर, किसान संगठन सब से हम कह रहे कि अपने सुझाव दें। देश में इस समय टरांसफरमेटिव रिर्फाम्स का मूड बना हुआ है और हम उसके लिए तैयार हैं।
मिडिल ईस्ट देशों के साथ व्यापार पर वार्ता
कतर समेत मध्यपूर्व के कुछ देशों से अलग अलग मुक्त् व्यापार समझौते की वार्ताएं हो रही है मगर गल्फ कोओपरेशन कांउसिल यानि जीसीसी के छह देशों के साथ साझा एफटीए की पहल कहां रूक गई।हम समझौते के टर्म आफ रेफरेंस पर सहमत नहीं हो पाए। वे जैसा चाहते थे भारत को स्वीकार नहीं था इसलिए बात आगे नहीं बढी। क्या सरकार विशेष आर्थिक जोन एसईजेड कानून में कुछ बदलाव पर विचार कर रही है।इसको लेकर कुछ सुझाव के प्रस्ताव हैं जिस पर चर्चा चल रही है। लेकिन घरेलू इंडस्टरी को कोई नुकसान न हो यह हमे देखना होगा। साथ ही साथ कई चीजें जो हम आयात करते हैं अगर वो एसईजेड से मिल सकती हैं और आयात कम होता है तो अच्छा होगा। इससे देश में नौकरियां भी बनेंगी और विदेशी मुद्रा भी बचेगी। एक तरह से भारत के लिए इसमें दोहरा लाभ है।
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