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    'भारत नहीं चाहता मध्यस्थता...', मार्को रूबियो ने पाकिस्तान को कर दिया था साफ; ट्रंप का दावा निकला झूठा

    Updated: Tue, 16 Sep 2025 11:30 PM (IST)

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद सीजफायर होने पर पाकिस्तान को उम्मीद थी कि अमेरिका की मध्यस्थता से भारत के साथ बातचीत शुरू होगी। विदेश मंत्री ईशाक दार ने बताया कि अमेरिकी विदेश मंत्री रुबियो ने उन्हें साफ़ तौर पर कहा कि भारत द्विपक्षीय मुद्दों में तीसरे पक्ष की मध्यस्थता नहीं चाहता।

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    पाक विदेश मंत्री दार ने अल जजीरा टीवी चैनल को दिया इंटरव्यू (फाइल फोटो)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर से पाकिस्तान के हौसले पस्त तो थे लेकिन जब दोनों देशों के बीच सीजफायर हुआ तो पाकिस्तान को उम्मीद थी कि अमेरिका की मध्यस्थता से भारत के साथ द्विपक्षीय वार्ता का दौर फिर शुरू होगा। कुछ इस तरह की उम्मीद दोनों देशों के साथ संपर्क कर रहे ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों ने भी पाकिस्तान को दी थी।

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    लेकिन बाद में अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री और उप प्रधानमंत्री ईशाक दार को साफ तौर पर बता दिया कि भारत ने वार्ता से मना कर दिया है क्योंकि वह द्विपक्षीय मुद्दों में तीसरे पक्ष की मध्यस्थता नहीं चाहता।

    ट्रंप के दावे की खोली पोल

    इस बात का खुलासा विदेश मंत्री दार ने अल जजीरा टीवी चैनल को दिए गए एक साक्षात्कार में किया है। पाक विदेश मंत्री का बयान यह भी बताता है कि सीजफायर करने का फैसला भारत ने किसी दबाव में नहीं किया था जैसा कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार दावा करते रहते हैं। अगर अमेरिका का दबाव होता तो पाक सरकार के साथ द्विपक्षीय वार्ता के लिए भी भारत आगे बढ़ता।

    दार ने कहा है कि, जब 10 मई, 2025 को सुबह सीजफायर का आफर मेरे पास विदेश सचिव रुबियो के जरिए आया तो बताया गया कि जल्द ही भारत के साथ किसी तटस्थ जगह पर द्विपक्षीय वार्ता होगी। 25 जुलाई को वाशिगटन में जब मैं रूबियो से वाशिंगटन में मिला तो पूछा कि द्विपक्षीय वार्ता का क्या हुआ तो उन्होंने बताया कि भारत ने किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता से इनकार कर दिया है क्योंकि वह इसे द्विपक्षीय मामला मानता है।

    तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को तैयार पाक

    उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पाकिस्तान तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को लेकर तैयार है। दार ने आगे कहा है कि पाकिस्तान एक शांतिप्रिय देश है। हम मानते हैं कि सिर्फ वार्ता से ही बात आगे बढ़ सकती है। लेकिन इसके लिए दोनों देशों का तैयार होना जरूरी है। जब तक भारत इसके लिए तैयार नहीं होता, हम उस पर दबाव नहीं बना सकते।

    सनद रहे कि पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ अपनी समस्याओं को लेकर भारत का पुराना स्टैंड है कि दोनों देशों के बीच किसी भी मुद्दे का द्विपक्षीय वार्ता से ही समाधान निकाला जाना चाहिए। भारत किसी भी तरह से तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप के खिलाफ है। हालांकि भारत इस नीति पर भी अडिग है कि पाकिस्तान के साथ संबंधों को सुधारने को लेकर वार्ता तभी होगी जब वह आतंकवादी गतिविधियों को पनाह देने की नीति बंद करे।

    इस बारे में विदेश मंत्रालय से जब भी पूछा गया तो यह जवाब दिया गया है कि भारत को जब विश्वास हो जाएगा कि पाकिस्तान की तरफ से आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा नहीं दिया जा रहा है तभी वार्ता की शुरुआत होगी।

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