'खालिस्तान समर्थकों को लेकर सख्ती दिखाएं कनाडा व ब्रिटेन', दिल्ली-ओटावा की बैठकों में दिखा भारत का कड़ा रुख
खलिस्तान समर्थकों की हिंसक गतिविधियों पर पहले भारत को आश्वासन देना और बाद में चुप्पी साध लेना। यह ब्रिटेन और कनाडा सरकार की पुरानी आदत है। अब भारत ने इन दोनों को दो टूक कह दिया है कि इस तरह के टालू रवैये से काम नहीं चलेगा।

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। खलिस्तान समर्थकों की हिंसक गतिविधियों पर पहले भारत को आश्वासन देना और बाद में चुप्पी साध लेना। यह ब्रिटेन और कनाडा सरकार की पुरानी आदत है। अब भारत ने इन दोनों को दो टूक कह दिया है कि इस तरह के टालू रवैये से काम नहीं चलेगा।
कनाडा व ब्रिटेन के आश्वासन के बाद भी संतुष्ट नहीं भारत
भारत के साथ द्विपक्षीय रिश्तों के भविष्य को देखते हुए इन देशों को खालिस्तानी आतंकियों की गतिविधियों पर लगाम लगानी ही होगी। ब्रिटेन को तो यहां तक कहा है कि उसके वीजा नियमों की आड़ में भारत में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने वाले लोगों को लेकर उसकी चिंताओं का समाधान करना होगा। इन दोनों देशों की तरफ से अभी तक मिले आश्वासन को लेकर भारत संतुष्ट नहीं है।
भारत और ब्रिटेन के गृह मंत्रालयों के बीच हुई बैठक
दरअसल, नई दिल्ली में भारत और ब्रिटेन के गृह मंत्रालयों के बीच बैठक थी, जिसमें भारत का यह कड़ा तेवर देखने को मिला है। बैठक में भारतीय दल का प्रतिनिधित्व गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने किया, जबकि ब्रिटिश दल की अगुआई वहां के गृह विभाग में स्थाई सचिव मैथ्यू राइक्राफ्ट ने किया। दोनों तरफ से और भी कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
वीजा नियमों का गलत इस्तेमाल नहीं रोक पा रही ब्रिटिश सरकार
भारत की तरफ से दो टूक बता दिया गया है कि खालिस्तान समर्थकों की गतिविधियों को लेकर ब्रिटिश सरकार ने अभी तक जो कदम उठाए हैं, उन्हें संतोषजनक नहीं माना जा सकता। भारत की चिंता जस की तस है। भारत ने कहा कि ब्रिटिश सरकार अपने ही वीजा नियमों का गलत इस्तेमाल नहीं रोक पा रही। खालिस्तान के समर्थन के नाम पर लोग वहां शरणार्थी वीजा हासिल कर रहे हैं और फिर ना सिर्फ भारत के खिलाफ हिंसा कर रहे हैं, बल्कि यहां आतंकी घटनाओं को भड़काने में भी संलिप्त हैं।
खालिस्तानी संगठनों की गतिविधियों को उठाया गया
पूर्व में भारत ने खालिस्तान समर्थकों की गतिविधियों की स्पष्ट जानकारी ब्रिटिश सरकार से साझा की थी, तब भी उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई थी। दूसरी तरफ, ओटावा में भारत और कनाडा के विदेश मंत्रालयों के बीच मंत्रणा हुई है, जिसमें हिंद-प्रशांत क्षेत्र जैसे मुद्दे के अलावा खालिस्तानी संगठनों की गतिविधियों को उठाया गया है। कनाडा के समक्ष भी भारत ने साफ किया है कि उसके हितों को नुकसान पहुंचाने में जुटे खालिस्तान समर्थकों की गतिविधियों पर उसे रोक लगानी होगी।
बैठक में उठा हिंद-प्रशांत क्षेत्र का मुद्दा
बैठक में वाणिज्यिक रिश्तों, विज्ञान व तकनीक के क्षेत्र में सहयोग, शिक्षा जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। विदेश मंत्रालय की तरफ से जानकारी दी गई है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र का मुद्दा भी उठा है और भारत की अगुआई में हो रही जी-20 बैठक को लेकर भी चर्चा हुई है। पूर्व में भी भारत ने खालिस्तान के मुद्दे का कनाडा में हो रहे राजनीतीकरण पर अपनी आपत्ति जताई है। पिछले दिनों कनाडा में कई जगहों पर भारत विरोधी प्रदर्शनों के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था कि कनाडा सरकार के आश्वासन से अब काम नहीं चलेगा, उसे दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी होगी।
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