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कोरोना की तीसरी लहर से पहले ही विपरीत परिस्थितियों के लिए खुद को कर रहा तैयार भारत

भारत ने कोरोना महामारी की दूसरी लहर का भयावह रूप देखा है। हर किसी के जहन में वो समय न भूलने वाले बुरे सपने की तरह है। लेकिन अब तीसरी लहर की आशंका के मद्देनजर देश खुद को तैयार कर रहा है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 07 Sep 2021 02:08 PM (IST)Updated: Tue, 07 Sep 2021 02:08 PM (IST)
कोरोना की तीसरी लहर से पहले ही विपरीत परिस्थितियों के लिए खुद को कर रहा तैयार भारत
अप्रैल और मई में भारत ने महामारी का खौफनाक चेहरा देखा था

नई दिल्‍ली (रायटर्स)। भारत में इस वर्ष अप्रैल और मई में कोरोना महामारी का जो भयानक दौर झेला है वो दौर फिर से न आए इसके लिए खुद को तैयार कर रहा है। महामारी की दूसरी लहर के दौरान इन दो माह में राजधानी दिल्‍ली समेत देश के दूसरे राज्‍यों के कई अस्‍पतालों में आक्‍सीजन खत्‍म हो गई थी। देश के कई राज्‍यों से आक्‍सीजन किल्‍लत की खबर सामने आई थी और उस वक्‍त की तस्‍वीर आज भी शरीर में सिहरन पैदा कर देती है।

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राजधानी का सर गंगा राम अस्‍पताल भी इन हालातों से अलग नहीं था। लेकिन अब ऐसा न हो इसके लिए इस अस्‍पताल में व्‍यापक तैयारियां की गई है। इसके तहत इस अस्‍पताल ने न सिर्फ आक्‍सीजन की स्‍टोरेज कैपेसिटी को पचास फीसद तक बढ़ा दिया है बल्कि करीब एक किलोमीटर लंबी पाइप लाइन के जरिए इसको सीधे ही कोविड आईसीयू तक पहुंचाने का प्रबंध किया गया है।

इस अस्‍पताल के मेडिकल डायरेक्‍टर सतेंद्र कातोच का कहना है कि ऐसे उपकरण भी यहां पर लगाए गए हैं जिनसे आक्‍सीजन की फ्लो कम न हो सके। इसके अलावा आनसाइट आक्‍सीजन उत्‍पादन प्‍लांट के भी आदेश दे दिए गए हैं। इनमें से ज्‍यादातर यूरोप में बने हुए हैं जिनको आने में अभी कुछ समय लगेगा। गौरतलब है कि पूरी दुनिया कोरोना वायरस के म्‍यूटेंट की खबरों को लेकर चिंतित है। डाक्‍टर अरुण प्रकाश के मुताबिक महामारी की दूसरी लहर के दौरान अस्‍पताल में मरीजों के लिए 600 अतिरिक्‍त बेड लगाए गए थे। वो बताते हैं कि इस दौरान हर रोज करीब 500 मरीजों को भर्ती के लिए वेटिंग लिस्‍ट में डाला जा रहा था। उनकी निगरानी में यहां का वाररूम काम कर रहा था।

पूरे भारत की बात करें तो देश के लगभग सभी अस्‍पतालों में इस दौरान अतिरिक्‍त बेड की व्‍यवस्‍था की गई है। साथ ही आक्‍सीजन सप्‍लाई की मात्रा को बढ़ाने की तरफ भी कदम बढ़ाए गए हैं। पूरे देश में ही आक्‍सीजन के उत्‍पादन को करीब 50 फीसद तक बढ़ाने की तरफ विचार किया जा रहा है। इसका अर्थ है कि हर रोज 15000 टन आक्‍सीजन का उत्‍पादन किया जाएगा। लिंडे कंपनी का कहना है कि वो किसी भी तरह के हालातों से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

यदि देश में आक्‍सीजन की मांग बढ़ती है तो वो विदेशों से इसकी सप्‍लाई को जारी रखेगी। इस कंपनी के साउथ ईस्‍ट हैड मनोज वाजपेयी का कहना है कि दूसरी लहर के दौरान कई तरह की परेशानियां सामने आई थीं। इसमें उत्‍पादन, इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर और लाजिस्टिक भी शामिल है। कोरोना की तीसरी लहर के मद्देनजर जानकारों का ये भी मानना है कि जिस तरह से वायरस म्‍यूटेट कर रहा है उसके लिए वैक्‍सीन न पाए बच्‍चों का बचाव बेहद जरूरी है।


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