एशिया और प्रशांत क्षेत्र में 12वें रीजनल 3आर व सर्कुलर इकोनॉमी फोरम की मेजबानी के लिए भारत तैयार
केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि तीन दिवसीय सम्मेलन में 500 से अधिक अंतरराष्ट्रीय और घरेलू प्रतिभागियों के भाग लेने की उम्मीद है। इस फोरम में पूर्ण सत्र देश-विशिष्ट चर्चाएं थीम-आधारित गोलमेज सम्मेलन आयोजित होंगे। इसमें नॉलेज शेयरिंग और नेटवर्किंग के अवसर मिलेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि प्रतिनिधियों को ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन सुविधाओं के तकनीकी क्षेत्र के दौरे करने का अवसर मिलेगा।

नई दिल्ली। भारत एशिया और प्रशांत क्षेत्र में 12वें रीजनल 3आर और सर्कुलर इकोनॉमी फोरम की मेजबानी करेगा। यह फोरम 3 से 5 मार्च 2025 को जयपुर के राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित किया जाएगा। यह कार्यक्रम "एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सतत विकास लक्ष्यों और कार्बन तटस्थता को प्राप्त करने की दिशा में सर्कुलर समाजों को साकार करने" की थीम पर केंद्रित होगा। केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने मंगलवार को नई दिल्ली के राष्ट्रीय मीडिया सेंटर इस कार्यक्रम के बारे में जानकारी दी। इस फोरम में 3आर का अर्थ है रिड्यूस (कम करना), रीयूज (पुनः उपयोग करना) और रीसाइकिल (पुनर्चक्रण) है।
केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि तीन दिवसीय सम्मेलन में 500 से अधिक अंतरराष्ट्रीय और घरेलू प्रतिभागियों के भाग लेने की उम्मीद है। इस फोरम में पूर्ण सत्र, देश-विशिष्ट चर्चाएं, थीम-आधारित गोलमेज सम्मेलन आयोजित होंगे। इसमें नॉलेज शेयरिंग और नेटवर्किंग के अवसर मिलेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि प्रतिनिधियों को ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन सुविधाओं के तकनीकी क्षेत्र के दौरे करने और जयपुर में प्रमुख विरासत स्थलों को देखने का अवसर भी मिलेगा।
इस दौरान एक समर्पित ‘इंडिया पैवेलियन’ 3आर और सर्कुलर इकोनॉमी डोमेन में भारत की उल्लेखनीय पहलों और उपलब्धियों को प्रदर्शित करेगा। इस पैवेलियन में प्रमुख मंत्रालयों और राष्ट्रीय मिशनों की प्रदर्शनियां होंगी, जो सतत विकास के लिए भारत के समग्र सरकारी दृष्टिकोण को दर्शाती हैं। यह मंत्रियों और राजदूतों की राउंड टेबल डायलॉग, मेयर्स डायलॉग, पॉलिसी डायलॉग और CITIIS 2.0 कार्यक्रम के तहत समझौतों पर हस्ताक्षर जैसे सत्रों के साथ इंटरैक्टिव नॉलेज शेयरिंग के केंद्र के रूप में भी काम करेगा।
फोरम एक अंतर्राष्ट्रीय ‘3आर व्यापार और प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी’ की मेजबानी करेगा, जो 40 से अधिक भारतीय और जापानी व्यवसायों और स्टार्ट-अप्स को बेस्ट प्रेक्टिस, आइडिया और सॉल्यूशन को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच प्रदान करेगा, जो क्रॉस-लर्निंग को प्रोत्साहित करते हुए सर्कुलरिटी और 3आर सिद्धांतों का समर्थन करते हैं। केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने बताया कि फोरम में भारत भर के गैर सरकारी संगठनों और स्वयं सहायता समूहों द्वारा वेस्ट से वेल्थ बनाने की पहल को भी प्रदर्शित किया जाएगा, जो स्थिरता के साथ उद्यमिता और कम्युनिटी इंगेजमेंट को बढ़ावा देगा।
मनोहर लाल ने बताया कि 12वां फोरम एशिया-प्रशांत देशों में संसाधन-कुशल, सर्कुलर अर्थव्यवस्था में परिवर्तन को सक्षम करने के लिए जयपुर में हुई घोषणा को अपनाने के साथ खत्म होगा और इसे अगले मेजबान देश को सौंप दिया जाएगा। जयपुर घोषणा (2025-34) हनोई घोषणा (2013-23) पर आधारित है और इसका उद्देश्य भाग लेने वाले देशों को 3आर और सर्कुलर अर्थव्यवस्था नीतियों और कार्यक्रमों को विकसित करने के लिए एक रूपरेखा प्रदान करना है।
यूएनसीआरडी द्वारा 2009 में शुरू किए गए क्षेत्रीय 3आर और सर्कुलर इकोनॉमी फोरम का उद्देश्य एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सरकारी अधिकारियों को 3आर (कम करना, पुनः उपयोग करना, पुनर्चक्रण करना) और 3आर में बेस्ट प्रेक्टिस को साझा करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करना है। पिछला फोरम 2023 में कंबोडिया द्वारा आयोजित किया गया था। भारत ने इससे पहले 2018 में फोरम की मेजबानी की थी, जब 8वां संस्करण इंदौर में आयोजित किया गया था।
12वें क्षेत्रीय फोरम का नेतृत्व आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के स्वच्छ भारत मिशन-शहरी द्वारा जापान के पर्यावरण मंत्रालय, यूएन ईएससीएपी, यूएनसीआरडी, यूएनडीएसडीजी और यूएनडीईएसए के सहयोग से राजस्थान सरकार के समर्थन से किया जा रहा है।
एशिया-प्रशांत क्षेत्र पर केंद्रित इस फोरम का उद्देश्य आने वाले वर्षों में 3आर और सर्कुलर अर्थव्यवस्था पर नीतियों और कार्यों को आकार देने में सदस्य देशों का मार्गदर्शन करना है। 38 आमंत्रित सदस्य देशों, भारत सरकार के 15-लाइन मंत्रालयों, लगभग सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों, 60 से अधिक शहरों, 40 से अधिक स्टार्ट-अप व बिजनेस और 3 दिनों में लगभग 120 वक्ताओं की भागीदारी के साथ, यह फोरम नीति चर्चा, सहयोग और ज्ञान के आदान-प्रदान के लिए एक मंच के रूप में काम करेगा। इन साझेदारियों को बढ़ावा देकर, यह एक सर्कुलर अर्थव्यवस्था और सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की प्राप्ति की दिशा में प्रगति को गति देगा।

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