कौन होते हैं DGMO जिनकी बातचीत के बाद हुआ भारत-पाक में सीजफायर? जानिए कितनी होती है इनकी सैलरी
भारत-पाकिस्तान के बीच शनिवार को सीजफायर का एलान हो गया। डीजीएमओ. सेना का एक अहम पद है। भारत के डीजीएमओ लेफ्टिनेंट राजीव घई हैं। लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने अक्टूबर 2024 को DGMO के पद पर ज्वाइन किया था। इस महत्वपूर्ण पदभार को संभालने से पहले वह चिनार कॉर्प्स के जनरल ऑफिसर कमांडिंग GOC के पद पर रह चुके हैं।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत-पाकिस्तान के बीच शनिवार को सीजफायर का एलान हो गया। दोनों देशों के डीजीएमओ (Director General Military Operations) के बीच बातचीत हुई। बातचीत के बाद सीजफायर का एलान किया गया। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने जानकारी दी कि 12 मई को फिर से दोनों देशों के DGMO की मुलाकात होगी।
आइए जान लें कि महानिदेशक मिलिट्री ऑपरेशन (DGMO) क्या है?
दरअसल, यह सेना का एक अहम पद है। भारत के डीजीएमओ लेफ्टिनेंट राजीव घई हैं। लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने अक्टूबर 2024 को DGMO के पद पर ज्वाइन किया था। इस महत्वपूर्ण पदभार को संभालने से पहले, वह चिनार कॉर्प्स के जनरल ऑफिसर कमांडिंग GOC के पद पर रह चुके हैं।
बता दें कि डीजीएमओ की देखरेख में ही सारे सैन्य अभियान होते हैं। DGMO भारतीय सेना के एक सीनियर लेफ्टिनेंट जनरल 3-स्टार रैंक का अधिकारी होते हैं। DGMO की निगरानी में ही किसी भी प्रकार के सैन्य अभियान को अंजाम दिया जाता है।
युद्ध के दौरान सैन्य अभियान से जुड़े हर एक फैसले डीजिएमओ ही लेते हैं। वहीं, युद्ध के दौरान रणनीति बनाना भी डीजीएमओ ही बनाता है। DGMO सीधे आर्मी चीफ को रिपोर्ट करता है।
सैन्य अभियान से जुड़ी हर जानकारी डीजीएमओ के पास होती है। इसके अलाव खुफिया एजेंसियों के साथ भी डीजीएमओ समन्वय रखता है। युद्ध शुरू होने से लेकर युद्धविराम तक, डीजीएमओ हर सैन्य कार्रवाई का फैसला लेता है।
भारतीय सेना में DGMO का चुनाव सेना प्रमुख और रक्षा मंत्रालय मिलकर करते हैं। 7वें वेतन आयोग के हिसाब से लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई की बेसिक सैलरी ₹1,82,200 से ₹2,24,100 प्रति माह तक हो सकती है।
(लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई की फाइल फोटो)
क्या होता है सीजफायर का मतलब?
वहीं, अब ये समझ लें कि सीजफायर यानी युद्धविराम क्या होता है। दरअसल, सीजफायर का असली मतलब दो देशों के बीच सीजफायर होता है। इसके लागू होने के तुरंत बाद से दोनों देशों के बीच जारी संघर्ष पर अस्थाई और स्थाई तौर पर रोक लग जाती है।
गौरतलब है कि सीजफायर के लिए किसी भी तरह की संधि की जरूरत नहीं होती है, बल्कि इसके लागू होना फैसला दोनों देशों की आपसी सहमति पर निर्भर रहता है।
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