पेचौरा, समर, एल 7..., भारत के सामने कहीं नहीं टिक सकता पाकिस्तान, ये हथियार मजबूत करते हैं सुरक्षा कवच
भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर की घोषण हो गई है। इस बात की जानकारी भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से दी गई है। हाल के दिनों पाकिस्तान की ओर भारत की तरफ ड्रोन से निशाना साधा गया। भारत ने सभी ड्रोन और मिसाइल को नष्ट कर दिया है। भारत के मजबूत डिफेंस सिस्टम के आगे पाकिस्तान कहीं टिकते नजर नहीं आया।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान बिलबिला उठा और उसने भारत पर कई ड्रोन दागे। पाकिस्तान ने भारत के कई शहरों में सैकड़ों ड्रोन और मिसाइल से हमला किया। हालांकि भारत ने अपने मजबूत एयर डिफेंस नेटवर्क की मदद से इन सभी हमलों को नाकाम कर दिया। भारत के मजबूत डिफेंस सिस्टम के आगे पाकिस्तान के ड्रोन पस्त पड़ गए। आइए आपको उन डिफेंस सिस्टम के बारे में बताते हैं जो पाकिस्तानी ड्रोन और मिसाइलों को नष्ट करने के लिए काफी चर्चा में हैं।
पेचौरा सिस्टम
पेचौरा एस 125नेवा/पेचौरा के नाम से जाना जाता है। सदी के सातवें दशक से ही यह भारत के एयर डिफेंस नेटवर्क का अहम हिस्सा है। यह अन्मैन्ड एरियल व्हीहकल (यूएवी) सहित कई तरह के हवाई खतरों से निपटने में सक्षम है।
जानिए कैसे काम करता है पेचौरा
पेचौरा रूस में बना मीडियम रेंज का सतह से हवा में मार करने वाला मिसाइल एसएएम सिस्टम है। इसे कम से मध्यम ऊंचाई पर उड़ रहे लक्ष्य को निशाना बनाने के लिए डिजाइन किया गया है। पेचौरा सिस्टम की सफलता दर 92 प्रतिशत के करीब है।
वी 600 मिसाइल का करता है इस्तेमाल
पेचौरा सिस्टम में रडार गाइडेड मिसाइल लॉन्च और फायर कंट्रोल यूनिट शामिल है। आम तौर पर यह लक्ष्य पर हमला करने के लिए वी-600 मिसाइल का इस्तेमाल करता है। यह लक्ष्य को डिटेक्ट करने, ट्रैक करने और उसे लॉक करने के लिए 4आर90 यातागन रडार, पांच बैराबोलिक एंटिना का इस्तेमाल करता है। एक बार खतरे की पहचान हो जाने के बाद सिस्टम इसको इंटरसेप्ट करने और नष्ट करने के लिए मिसाइल लॉन्च कर सकता है।
जानिए खासियत
- 900 मीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से एक साथ दो लक्ष्य को तबाह करने की क्षमता।
- 20-25 किलोमीटर की ऊंचाई पर भी लक्ष्य को हमला करके नष्ट करने की क्षमता।
- 100 किलोमीटर दूर तक के लक्ष्य को डिटेक्ट करने की क्षमता रखता है।
SAMAR मिसाइल
SAMAR मिसाइल, भारत का छोटा लेकिन बेहद धाकड़ हथियार में से एक है। इसका पूरा नाम Surface to Air Missile for Assured Retaliation है। ये एक प्रकार का हथियार है जो आसमान से आने वाले सभी खतरों को नष्ट करने की क्षमता रखता है। समर एक प्रकार की छोटी दूरी का मिसाइल है, जो ड्रोन, हेलीकॉप्टर या दुश्मन के फाइटर जेट को पलक झपकते उड़ा देती है। इसे वायुसेना ने पुरानी रूसी मिसाइलों को मॉडिफाई कर के बनाया है। समर को वायुसेना का सुपरस्टार भी कहा जाता है।
जानिए कैसे काम करता है समर
बता दें कि समर का काम आसमान में दुश्मन के हवाई हमलों को रोकना है। जैसे अगर कोई ड्रोन या जेट भारत की सीमा पर घुसने की कोशिश करता है तो समर उसको ट्रैक कर के तुरंत नष्ट कर देते है। समर लद्दाख की ऊंची पहाड़ियों से लेकर मैदानी इलाकों में भी तैनात किया जा सकता है।
एल 70 एंटी एयरक्राफ्ट गन
एल-70 एक स्वीडन में बनी 40 मिमी एंटी- एयरक्राफ्ट गन है। भारत ने इसे अपग्रेड किया है। यह भारतीय सेना और वायुसेना के कम ऊंचाई वाले डिफेंस सिस्टम का हिस्सा है। इस एंटी एयरक्राफ्ट का लक्ष्य ड्रोन, हेलीकॉप्टर और कम ऊंचाई पर उड़ने वाले विमान होते हैं। इसकी रेंज 4 किलोमीटर है। वहीं, इसकी फायर क्षमता 300 मिनट तक है।
भारत के पास वर्तमान में 1000 से ज्यादा एल-70 गन हैं। एल-70 ने पाकिस्तानी ड्रोन को नष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। खास कर पंजाब और जम्मू कश्मीर में इसने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसकी सटीकता और तेज फायरिंग ने इसे प्रभावी बनाया था।
शिल्का (जेडएसयू-23-4)
जानकारी दें कि शिल्का सोवियत संघ में बनी स्व-चालित एंटी एयरक्राफ्ट गन है। इसमें 23 मीमी की चार तोपें होती हैं। यह भारतीय सेना की कम ऊंचाई वाले एयर डिफेंस नेटवर्क का हिस्सा है। इसकी रेंज 2.5 किलोमीटर है। इसकी क्षमता 4000 राउंड प्रतिमीनट की है। इसका लक्ष्य ड्रोन, हेलीकॉप्टर और कम ऊंचाई पर उड़ने वाले विमान होते हैं।
शिल्का की उच्च फायरिंग दर ने उधमपुर और अन्य क्षेत्रों में पाकिस्तानी ड्रोनों को नष्ट करने में मदद की है। इसकी गतिशीलता और रडार-आधारित ट्रैकिंग ने इसे युद्ध क्षेत्र में प्रभावी बनाया है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।