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    'अपराधियों को न्याय के कटघरे में...', बांग्लादेश में हिंदू युवक की हत्या पर भारत ने क्या कहा?

    Updated: Sun, 21 Dec 2025 08:26 PM (IST)

    भारत ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू दीपू चंद्र दास की हत्या की निंदा करते हुए अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने की मांग की है। विदेश मंत्रालय न ...और पढ़ें

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    भारतीय विदेश मंत्रालय ने दी प्रतिक्रिया (फाइल फोटो)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत ने बांग्लादेश से अल्पसंख्यक हिंदू दीपू चंद्र दास की जघन्य हत्या के जिम्मेदारों को तुरंत न्याय के कटघरे में लाने की मांग की है। दीपू दास की पिछले दिनों एक उग्र भीड़ ने जिंदा जला कर मार डाला था। अब जो वीडियो सामने आये हैं उससे यह पता चल रहा है कि मारे जाने से पहले दास स्थानीय पुलिस के पास था।

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    ऐसे में सवाल उठ रहा है कि कहीं पुलिस ने उसे इस्लामिक कट्टरपंथियों को सौंप तो नहीं दिया था। रविवार को भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस मुद्दे पर पहली बार आधिकारिक बयान दिया है जिसमें अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर अपनी चिंता जताई है। साथ ही, भारत ने बांग्लादेश की विकसित हो रही जटिल स्थिति पर कड़ी नजर रखने की बात दोहराई है और अधिकारियों से लगातार संपर्क में रहकर अल्पसंख्यकों पर हमलों को रोकने के प्रयासों पर जोर दिया है।

    बांग्लादेश हाई कमीशन के सामने हुआ प्रदर्शन

    भारतीय विदेश मंत्रालय की यह प्रतिक्रिया तब आई है जब दिल्ली में बांग्लादेश हाई कमीशन के सामने 20 दिसंबर को 20-25 युवाओं ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने दास की हत्या के खिलाफ नारे लगाए और बांग्लादेश में सभी अल्पसंख्यकों की रक्षा की अपील की। पुलिस ने कुछ मिनटों में समूह को तितर-बितर कर दिया और इसमें कोई सुरक्षा उल्लंघन नहीं हुआ। बांग्लादेश उच्चायोग के समक्ष अभी भी भारतीय सुरक्षा बल तैनात हैं। जबकि उक्त घटनाक्रम को लेकर बांग्लादेश के मीडिया में लगातार प्रोपगंडा चलाया जा रहा है कि बांग्लादेश के उच्चायोग पर हमला कर दिया गया है

    विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि, 'हमने बांग्लादेशी मीडिया के कुछ हिस्सों में इस घटना को लेकर फैलाए जा रहे भ्रामक प्रचार पर ध्यान दिया है। तथ्य यह है कि 20 दिसंबर को नई दिल्ली स्थित बांग्लादेश उच्चायोग के सामने लगभग 20-25 युवा इकट्ठा हुए और मायमेंसिंह में दीपू चंद्र दास की जघन्य हत्या के खिलाफ नारे लगाए, साथ ही बांग्लादेश में सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की मांग की। किसी भी समय बाड़ तोड़ने या सुरक्षा स्थिति पैदा करने की कोई कोशिश नहीं की गई। मौके पर तैनात पुलिस ने कुछ मिनटों में समूह को तितर-बितर कर दिया। इन घटनाओं के दृश्य सबूत सार्वजनिक रूप से सभी के देखने के लिए उपलब्ध हैं। भारत अपने क्षेत्र में विदेशी मिशनों/पोस्टों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वियना कन्वेंशन के अनुसार प्रतिबद्ध है।'

    भारत ने दी प्रतिक्रिया

    इसके आगे उन्होंने कहा है कि, 'भारत बांग्लादेश में विकसित हो रही स्थिति पर करीबी नजर रखना जारी रखे हुए है। हमारे अधिकारी बांग्लादेशी अधिकारियों के संपर्क में हैं और उन्होंने अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों को लेकर अपनी गंभीर चिंता व्यक्त की है। हमने यह भी आग्रह किया है कि दास की बर्बर हत्या के अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाया जाए।'

    इस बीच, बांग्लादेश में भारत विरोधी भावनाओं में नरमी के कोई संकेत नहीं है। पिछले दो दिनों से ढाका और चट्टोग्राम स्थित भारतीय मिशनों के खिलाफ उग्र प्रदर्शन जारी है। हादी के जनाजे के बाद जब हिंसक भीड़ ने दोबारा बांग्लादेश के संसदीय भवन पर हमला किया तो वहां भी भारत विरोधी नारे लगाये जा रहे थे। इन घटनाओं के कारण भारत ने चट्टोग्राम में वीजा सेवाएं अनिश्चितकाल के लिए निलंबित कर दी हैं, जबकि ढाका में सेवाएं सीमित रूप से जारी हैं।

    सोशल मीडिया पर वायरल सामग्री में प्रदर्शनकारी शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग कर रहे हैं। दूसरी तरफ, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने इन भारत विरोधी प्रदर्शनों को शांत करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। सरकार ने भारतीय मिशनों पर हमलों की निंदा तक नहीं की है। बांग्लादेशी सोशल मीडिया पर लगातार इन हिंसक आंदोलन को सही ठहराया जा रहा है।

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