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    परमाणु क्षमता बढ़ाने की तैयारी में भारत, विदेशी कंपनियों के लिए कानून आसान करने जा रही मोदी सरकार; क्या है प्लान?

    By Agency Edited By: Prince Gourh
    Updated: Fri, 18 Apr 2025 11:17 AM (IST)

    भारत अपने परमाणु दायित्व कानूनों को आसान बनाने की योजना बना रहा है ताकि उपकरण आपूर्तिकर्ताओं पर दुर्घटना से संबंधित जुर्माने की सीमा तय की जा सके। यह कदम मुख्य रूप से उन अमेरिकी कंपनियों को आकर्षित करने के लिए उठाया जा रहा है जो असीमित जोखिम के कारण पीछे हट रही हैं। यह प्रस्ताव 2047 तक परमाणु ऊर्जा उत्पादन क्षमता को 12 गुना बढ़ाकर 100 गीगावाट करना है।

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    परमाणु दायित्व कानून को आसान करेगा भारत (फाइल फोटो)

    रॉयटर्स, नई दिल्ली। भारत विदेशी खिलाड़ियों को आकर्षित करने के लिए परमाणु दायित्व कानूनों को आसान बनाने की योजना पर काम कर रहा है। सूत्रों के अनुसार भारत उपकरण आपूर्तिकर्ताओं पर परमाणु दुर्घटना से संबंधित जुर्माने की सीमा भी तय करेगा।

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    अमेरिका से बढ़ेगा व्यापार

    तीन सरकारी सूत्रों ने बताया कि भारत अपने परमाणु दायित्व कानूनों को आसान बनाने की योजना बना रहा है ताकि उपकरण आपूर्तिकर्ताओं पर दुर्घटना से संबंधित जुर्माने की सीमा तय की जा सके।

    यह कदम मुख्य रूप से उन अमेरिकी कंपनियों को आकर्षित करने के लिए उठाया जा रहा है जो असीमित जोखिम के कारण पीछे हट रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार का यह प्रस्ताव 2047 तक परमाणु ऊर्जा उत्पादन क्षमता को 12 गुना बढ़ाकर 100 गीगावाट करने के साथ-साथ अमेरिका के साथ व्यापार और टैरिफ वार्ता में भारत को बढ़ावा देने के लिए नवीनतम कदम है।

    'भारत को परमाणु ऊर्जा की है जरूरत'

    सूत्रों ने बताया कि परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा तैयार किए गए मसौदा कानून में 2010 के असैन्य परमाणु दायित्व क्षति अधिनियम के एक महत्वपूर्ण खंड को हटा दिया गया है, जो दुर्घटनाओं के लिए आपूर्तिकर्ताओं को असीमित उत्तरदायित्व के दायरे में लाता है।

    डेलॉइट साउथ एशिया के मुख्य विकास अधिकारी देबाशीष मिश्रा ने कहा, "भारत को परमाणु ऊर्जा की जरूरत है, जो स्वच्छ और आवश्यक है। दायित्व सीमा परमाणु रिएक्टरों के आपूर्तिकर्ताओं की बड़ी चिंता को दूर करेगी।"

    भारत-अमेरिका का कैसे बढ़ेगा व्यापार?

    भारत को उम्मीद है कि इन बदलावों से जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी और वेस्टिंगहाउस इलेक्ट्रिक कंपनी जैसी अमेरिकी कंपनियों की चिंताएं कम होंगी, जो दुर्घटनाओं के मामले में असीमित जोखिम के कारण आगे नहीं आ रही है।

    विश्लेषकों का कहना है कि संशोधित कानून का पारित होना इस साल भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते के लिए बातचीत के लिए महत्वपूर्ण है, जिसका उद्देश्य पिछले साल के 191 बिलियन डॉलर से 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 बिलियन डॉलर तक बढ़ाना है।

    क्या मिलेगा फायदा?

    सूत्रों के अनुसार, मोदी सरकार को जुलाई में शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र में संशोधनों को मंजूरी मिलने का भरोसा है। प्रस्तावित संशोधनों के तहत, दुर्घटना की स्थिति में आपूर्तिकर्ता से मुआवजा पाने का ऑपरेटर का अधिकार अनुबंध के मूल्य तक सीमित होगा।

    फिलहाल, कानून में यह परिभाषित नहीं किया गया है कि ऑपरेटर आपूर्तिकर्ताओं से कितना मुआवज़ा मांग सकता है और वह अवधि क्या होगी जिसके लिए विक्रेता को जवाबदेह ठहराया जा सकता है।

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