'भारत को अगली पीढ़ी के परमाणु हथियार तैयार करने की जरूरत', पाकिस्तान के न्यूक्लियर टेस्ट के दावों पर बोले एक्सपर्ट
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पाकिस्तान पर परमाणु परीक्षण के दावे और रूस द्वारा परमाणु हथियारों के परीक्षण के बाद, भारत को भी अपनी परमाणु नीति पर पुनर्विचार करने की सलाह दी जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को नई पीढ़ी के छोटे और अधिक विनाशक परमाणु हथियार तैयार करने चाहिए।

ट्रंप ने दावा किया है कि पाकिस्तान भूमिगत परमाणु परीक्षण कर रहा है (फोटो: रॉयटर्स)
जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि पाकिस्तान भूमिगत परमाणु परीक्षण कर रहा है। रूस ने भी परमाणु क्षमता से लैस बुरेवेस्तनिक और पोसायडन का परीक्षण किया है। ट्रंप ने इसके जवाब में पेंटागन को भी परमाणु परीक्षण शुरू करने को कहा है। ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि क्या भारत को भी इस दिशा में प्रयास तेज कर देना चाहिए।
दुनियाभर में परमाणु परीक्षणों की होड़ एक बार फिर शुरू हो सकती है। विशेषज्ञों ने इस मौके का फायदा उठाने की बात कही है। बता दें कि भारत ने आखिरी बार 1998 में पोखरण में परमाणु परीक्षण किया था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत के पास लगभग 180 परमाणु हथियार हैं, जबकि पाकिस्तान के पास 170 परमाणु हथियार माने जाते हैं।
पाकिस्तान 2028 तक 200 परमाणु हथियार तैयार कर सकता है। साथ ही, पाकिस्तान को चीन से डीएफ-41 लंबी दूरी की आइसीबीएम मिल सकती है, जो स्वतंत्र रूप से कई लक्षित परमाणु हथियारों (एमआइआरवी) को ले जा सकती है, जिससे एक ही मिसाइल कई लक्ष्यों को भेदने की क्षमता रखती है।
चीन के पास चौंकाने वाला परमाणु हथियार
चीन के पास 600 परमाणु हथियार हैं, जिसे 2030 तक 1000 करने का लक्ष्य है। चीन के पास खास तौर पर फ्रैक्शनल आर्बिटल बंबार्डमेंट सिस्टम (एफओबीएस) की क्षमता है, जो किसी भी मिसाइल रक्षा प्रणाली को बेअसर कर सकती है। चीन ने 2021 में इसका परीक्षण किया था।
एफओबीएस ऐसी हथियार प्रणाली है जो एक परमाणु हथियार को पृथ्वी की आंशिक कक्षा में स्थापित करती है और फिर उसे एक अप्रत्याशित दिशा से लक्ष्य पर प्रहार करने के लिए वापस नीचे गिराती है ताकि वह मिसाइल किसी भी डिफेंस सिस्टम को दरकिनार कर सके। ये हथियार दिशा और समय बदल सकते हैं, यहां तक कि रडार से बचने के लिए दक्षिणी ध्रुव के ऊपर से भी उड़ सकते हैं, जबकि सामान्य लंबी दूरी की मिसाइलें आमतौर पर स्पष्ट दिशा अपनाती हैं।
ऐसे हथियार भारत के नवोदित मिसाइल डिफेंस सिस्टम, जैसे पृथ्वी डिफेंस व्हीकल (पीडीवी) को चकमा दे सकते हैं। ये भारत के दूसरे चरण की मिसाइल रक्षा प्रणाली है, जिसे अंतरिक्ष में ही दुश्मन देश की मिसाइल को नष्ट करने के लिए डिजाइन किया गया है। ये प्रणाली चौंकानेवाले पहले हमले में कमांड नोड्स और कंट्रोल सेंटर को ध्वस्त कर सकती है, जिससे भारत की प्रतिक्रिया क्षमता खराब हो सकती है।
इससे भारत की पहले प्रयोग न करने की नीति पर असर पड़ सकता है। ऐसे में कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को नई पीढ़ी के छोटे, हल्के लेकिन ज्यादा विनाशक क्षमता (किलोटन नहीं बल्कि मेगाटन) वाले परमाणु हथियार तैयार करने चाहिए।
क्या कहते हैं रक्षा विशेषज्ञ?
भारत के पूर्व सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल (रि) राज शुक्ला ने एक्स पर लिखा कि ट्रंप ने परमाणु परीक्षण शुरू करने की घोषणा की है। पुतिन ने परमाणु क्षमता से लैस क्रूज मिसाइल बुरेवेस्तनिक और पानी के अंदर चलनेवाली मिसाइल पोसाइडन का परीक्षण किया। क्या भारत को परमाणु स्थिति पर पुनर्विचार करने की जरूरत है।
उनके इस ट्वीट को बड़ी संख्या में सकारात्मक जवाब मिले हैं। वहीं, सेंटर फार सिक्योरिटी एंड डेवलपमेंट रिचर्स के संस्थापक प्रोफेसर हैप्पीमोन जैकब ने एक्स पर लिखा कि ट्रंप की घोषणा के बाद भारत के पास परमाणु परीक्षण दोबारा शुरू करने का उचित अवसर है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।