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    'वैश्विक उथल-पुथल के बीच भारत एक स्थिर प्रकाश स्तंभ की तरह', इंडिया मैरीटाइम वीक में बोले PM मोदी

    Updated: Wed, 29 Oct 2025 10:00 PM (IST)

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडिया मैरीटाइम वीक 2025 में भारत को वैश्विक उथल-पुथल के बीच एक स्थिर प्रकाश स्तंभ बताया। उन्होंने कहा कि भारत रणनीतिक स्वायत्तता और समावेशी विकास का प्रतीक है। सरकार जहाज निर्माण में 70,000 करोड़ का निवेश करेगी। शिवाजी महाराज के योगदान को याद करते हुए, उन्होंने बंदरगाहों के विकास और नाविकों की बढ़ती संख्या पर प्रकाश डाला।

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    भारत वैश्विक उथल-पुथल में स्थिर प्रकाश स्तंभ- PM मोदी

    राज्य ब्यूरो मुंबई, 29 अक्टूबर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे विश्व में दिखाई दे रही उथल-पुथल के बीच भारत को एक स्थिर प्रकाश स्तंभ की भांति बताते हुए कहा है कि 21वीं सदी में भारत का समुद्री क्षेत्र बड़ी तेजी और ऊर्जा के साथ आगे बढ़ रहा है। वह आज मुंबई के गोरेगांव स्थित नेस्को ग्राउंड में इंडिया मैरीटाइम वीक 2025 में मैरीटाइम लीडर्स कान्क्लेव को संबोधित कर रहे थे।

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    बुधवार को इस कान्क्लेव में बोलते हुए प्रधानमंत्री ने भारत के जीवंत लोकतंत्र एवं विश्वसनीयता को यह कहकर रेखांकित किया कि जब वैश्विक समुद्र अशांत होता है, तो दुनिया एक स्थिर प्रकाश स्तंभ की तलाश करती है। आज भारत उस भूमिका को मजबूती और स्थिरता के साथ निभाने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

    भारत वैश्विक उथल-पुथल में स्थिर प्रकाश स्तंभ

    इसी कड़ी में वैश्विक तनावों, व्यापार व्यवधानों एवं दुनिया की बदलती आपूर्ति श्रृंखलाओं के बीच मोदी ने कहा कि भारत रणनीतिक स्वायत्तता, शांति एवं समावेशी विकास का प्रतीक है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत की समुद्री और व्यापार पहल इस व्यापक दृष्टिकोण का अभिन्न अंग है। उन्होंने भारत के साथ मध्य-पूर्व आर्थिक गलियारे का उदाहरण देते हुए कहा कि यह गलियारा व्यापार मार्गों को पुनर्परिभाषित करेगा और स्वच्छ ऊर्जा एवं स्मार्ट लाजिस्टिक्स को बढ़ावा देगा।

    समावेशी समुद्री विकास पर भारत के फोकस पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह लक्ष्य केवल छोटे द्वीपीय विकासशील और अल्पविकसित देशों को प्रौद्योगिकी, प्रशिक्षण एवं बुनियादी ढांचे को सशक्त बनाकर ही प्राप्त किया जा सकता है। इस कड़ी में भारत के योगदान को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में निर्मित जहाज कभी वैश्विक व्यापार का एक अहम हिस्सा हुआ करते थे। उन्होंने अजंता की गुफा में दिखाए गए तीन मस्तूल वाले एक जहाज का जिक्र करते हुए कहा कि प्राचीन भारतीय कला में दिखाई देनेवाले इस डिजाइन को सदियों बाद अन्य देशों ने अपनाया।

    जहाज निर्माण में 70,000 करोड़ का निवेश

    जहाज निर्माण के क्षेत्र में की जा रही भारत की पहल की जानकारी देते हुए मोदी ने कहा कि भारत ने बड़े जहाजों को बुनियादी ढाँचा परिसंपत्ति का दर्जा दिया है। यह एक ऐसा नीतिगत फ़ैसला है जो सभी जहाज़ निर्माताओं के लिए नए रास्ते खोलेगा। इससे नए वित्तपोषण विकल्प उपलब्ध होंगे, ब्याज लागत कम होगी और ऋण तक पहुँच आसान होगी। इस सुधार को गति देने के लिए प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि सरकार लगभग 70,000 करोड़ का निवेश करेगी। यह निवेश घरेलू क्षमता बढ़ाएगा, दीर्घकालिक वित्तपोषण को बढ़ावा देगा, ग्रीनफ़ील्ड और ब्राउनफ़ील्ड शिपयार्ड के विकास को समर्थन देगा, उन्नत समुद्री कौशल का निर्माण करेगा और युवाओं के लिए लाखों रोज़गार पैदा करेगा।

    बंदरगाह विकास से दक्षता में सुधार

    प्रधानमंत्री ने नौवहन क्षेत्र में छत्रपति शिवाजी महाराज के योगदान को याद करते हुए कहा कि उन्होंने न केवल समुद्री सुरक्षा की नींव रखी, बल्कि अरब सागर के व्यापारिक मार्गों पर भारतीय शक्ति का भी प्रदर्शन किया। उन्होंने शिवाजी महाराज के इस दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला कि समुद्री सीमाएँ नहीं, बल्कि अवसरों के द्वार हैं, और भारत अब इसी सोच के साथ आगे बढ़ रहा है। भारत के बंदरगाह विकासशील देशों में विश्वस्तरीय मेगा बंदरगाहों का निर्माण कर रहा है। महाराष्ट्र के वधावन में 76000 करोड़ की लागत से एक बड़ा बंदरगाह बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत के बंदरगाह अब विकासशील देशों में सबसे कुशल बंदरगाहों में गिने जाते हैं और कई मामलों में, विकसित देशों के बंदरगाहों से बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं।

    कुछ प्रमुख आंकड़े साझा करते हुए उन्होंने बताया कि भारत में कंटेनरों का औसत ठहराव समय तीन दिनों से भी कम हो गया है, जो कई विकसित देशों से बेहतर है। जहाजों का औसत टर्नअराउंड समय छियानबे घंटे से घटकर केवल अड़तालीस घंटे रह गया है, जिससे भारतीय बंदरगाह वैश्विक शिपिंग लाइनों के लिए अधिक प्रतिस्पर्धी और आकर्षक बन गए हैं। भारत ने विश्व बैंक के लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक में भी उल्लेखनीय सुधार दिखाया है। उन्होंने समुद्री मानव संसाधन में भारत की बढ़ती ताकत पर ज़ोर देते हुए कहा कि पिछले एक दशक में भारतीय नाविकों की संख्या 1.25 लाख से बढ़कर तीन लाख से अधिक हो गई है, और आज नाविकों की संख्या के मामले में भारत दुनिया के शीर्ष तीन देशों में शामिल हो गया है।