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'परमाणु हमले पर बदली भारत की नीति, पाक को नहीं दिया जाएगा पहला मौका'

पहले परमाणु हमला करने की नीति में अब भारत की सोच में बदलाव आ चुका है। अब पाकिस्‍तान से युद्ध की सूरत में भारत उसे हमला करने का पहला मौका नहीं देगा।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sat, 01 Apr 2017 11:10 AM (IST)Updated: Sun, 02 Apr 2017 06:39 PM (IST)
'परमाणु हमले पर बदली भारत की नीति, पाक को नहीं दिया जाएगा पहला मौका'

वाशिंगटन (जेएनएन)। भारत और पाकिस्‍तान के आपसी संबंधों के बारे में तो सभी जानते हैं। दोनों देशों के बीच भविष्य में युद्ध की सूरत में भारत की जो पूर्व में नीति रही है उससे भी पूरी दुनिया अच्‍छे से वाकिफ है। दोनों पड़ोसी देश परमाणु संपन्‍न भी हैं, लेकिन अब भारत की पहले हमला नहीं करने की नीति में बदलाव आता दिखाई दे रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि युद्ध की सूरत में भारत, पाकिस्‍तान पर परमाणु हमला करने से पीछे नहीं हटेगा। इतना ही नहीं वह यह भी मानते हैं कि भारत की इस बदली हुई नीति में पाकिस्‍तान पर होने वाला परमाणु हमला इतना व्‍यापक होगा कि वह फिर कभी उठ नहीं सकेगा।

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इस संबंध में अमेरिकी अखबार न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स में एक लेख छपा है। लेख में कहा गया है भारत की नीति में अब स्‍पष्‍ट तौर पर बदलाव आ चुका है। इसमें अमेरिका के पूर्व राष्‍ट्रपति रोनाल्‍ड रेगन द्वारा वर्ष 1984 में दिए गए एक बयान का जिक्र किया है। जिसमें उन्‍होंने कहा था कि परमाणु युद्ध को कभी जीता नहीं सकता है और न ही इसको कभी लड़ा जाना चाहिए। उनके दिए इस बयान का आशय इस तरह के युद्ध से होने वाली हानि से था, जिसको जापान के हिरोशिमा और नागासाकी में साफतौर पर देखा गया था। लेकिन तब से लेकर अब वक्‍त काफी बदल चुका है।

परमाणु हमले को लेकर भारत की नीति भले ही अब बदल रही हो, लेकिन दुनिया के दूसरे परमाणु शक्ति संपन्न देशों की सोच इस बारे में पहले से ही बदली हुई है। पाकिस्तान पर अपनी परमाणु ताकत की आड़ में आतंकवाद को एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने का भी आरोप है, जिससे भारत लंबे समय से परेशान है। ऐसी सूरत में भारत के सब्र का बांध टूट सकता है। वह परमाणु हथियारों को पहले इस्तेमाल न करने की अपनी नीति की दोबारा से समीक्षा कर सकता है, ताकि पाकिस्‍तान की किसी अगली हरकत से पहले ही उसको करारा जवाब दिया जा सके।

गौरतलब है कि पिछले दिनों रक्षा मंत्री के पद पर रहते हुए मनोहर पर्रीकर ने भी इसी तरह का बयान दिया था। उनका कहना था कि पाकिस्‍तान से युद्ध की सूरत में भारत अब परमाणु हमला करने से पीछे नहीं हटेगा। उनके इस बयान ने समूची दुनिया में खलबली मचा दी थी, हालांकि बाद में उन्‍होंने इसको अपनी निजी राय बताया था। भारत की इस ओर बदलती नीति का इशारा उन्‍होंने पिछले साल नवंबर में दिया था।

इसके बाद पूर्व विदेश सचिव शिवशंकर मेनन ने भी माना कि किसी परमाणु ताकत संपन्न देश के खिलाफ भारत परमाणु हथियार कब इस्तेमाल करेगा, इससे जुड़ी स्थितियां साफ नहीं हैं। इन तमाम बयानों के बाद इस सोच को बल मिला है कि भारत की नीति में स्‍पष्‍ट तौर पर बदलाव आ रहा है। अखबार के मुताबिक विशेषज्ञ अब यह सोचने लगे हैं कि क्या भारत परमाणु हथियारों के इस्तेमाल के सिद्धांतों को नई दिशा दे रहा है?

युद्ध में परमाणु हमले का विकल्‍प खुले रखने वाली इन अटकलों को उस वक्त और ज्यादा बल मिला, जब मेसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी में एक कांफ्रेंस के दौरान इस मामले के विशेषज्ञ विपिन नारंग ने अपनी राय इस विषय पर रखी। वाशिंगटन में आयोजित इंटरनेशनल न्यूक्लियर पॉलिसी कांफ्रेंस अपनी बात रखते हुए उनका कहना था कि भारतीय उप महाद्वीप के घटनाक्रम और पाकिस्तान द्वारा जंग के मैदान में इस्तेमाल हो सकने वाले परमाणु हथियार विकसित करने की लगातार कोशिशें भारत के रुख में बड़ा बदलाव कर सकती हैं। उनके मुताबिक, भारत परमाणु हथियारों के इस्तेमाल से जुड़ी 'पहले इस्‍तेमाल न करने की नीति' को छोड़कर इसमें बदलाव कर सकता है। अगर उसे लगता है कि पाकिस्तान उसके खिलाफ किसी भी तरह का न्यूक्लियर हमला करने की योजना बना रहा है तो ऐसी सूरत में वह पहले ही उस पर परमाणु हमला कर सकता है। 

अखबार के मुताबिक यदि ऐसा होता है तो यह हमला पारंपरिक हमलों की तरह नहीं होगा। भारत इस हमले में पाकिस्‍तान के कम दूरी वाले परमाणु हथियारों को ही तबाह करने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि वह एक बड़ा और व्‍यापक हमला कर पाकिस्‍तान की कमर तोड़ देगा। नारंग के मुताबिक भारत के इस हमले का मकसद पाकिस्‍तान में मौजूद समस्‍त परमाणु हथियारों के जखीरे को खत्‍म करना होगा। इसके पीछे भारत की सोच बेहद साफ होगी कि पाकिस्‍तान पर बार बार छोटे-छोटे हमले करने की बजाए एक बार में ही उसका काम तमाम कर दिया जाए।

ऐसा इसलिए भी हो सकता है कि क्‍योंकि जब तक पाकिस्‍तान के पास इस तरह के हथियार मौजूद रहेंगे तब तक भारत को डर के साए में जीना पड़ेगा, जिससे वह बचना चाहेगा। लेख के मुताबिक इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि भारत अब पाकिस्तान को पहले हमला करने का मौका नहीं देगा। न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स द्वारा इसका जिक्र करने से पहले इंस्टिट्यूट ऑफ एनालेसिस एंड स्‍टडीज के एक लेख में इस तरह की बातों का जिक्र किया गया था। इसमें साफतौर पर कहा गया है कि वर्ष 2014 में केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद पहले परमाणु हमला न करने की भारत की नीति में बदलाव के स्‍पष्‍ट संकेत सरकार की तरफ से दिए गए थे।

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