Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बांग्लादेश के आंतरिक हालात पर है भारत की नजर, मौजूदा युनूस सरकार की विदेश नीति और सुरक्षा व्यवस्था चिंता का विषय

    Updated: Sun, 20 Oct 2024 06:52 AM (IST)

    बांग्लादेश के मौजूदा आतंरिक हालात उलझे हुए हैं और राजनीतिक पार्टियों का उहा-पोह भी साफ दिखाई दे रहा है। भारत के कूटनीतिक रणनीतिकार मान रहे हैं कि अभी इंतजार करने की नीति ही सर्वश्रेष्ठ है लेकिन उन्हें इस बात का पक्का भरोसा है कि वहां के भावी राजनीतिक घटनाक्रम में भारत के हितों को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा। भारत बांग्लादेश के हालात पर पैनी नजर बनाये हुए है।

    Hero Image
    बांग्लादेश के आतंरिक हालात पर है भारत की नजर

     जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पड़ोसी देश बांग्लादेश से पूर्व पीएम शेख हसीना को सत्ता से बेदखल किये हुए ढ़ाई महीने हो गये हैं लेकिन वहां की अंतरिम सरकार अभी तक दीर्घकालिक प्रशासन का कोई रोडमैप नहीं दे पाई है। बांग्लादेश के मौजूदा आतंरिक हालात उलझे हुए हैं और राजनीतिक पार्टियों का उहा-पोह भी साफ दिखाई दे रहा है। इसके बावजूद भारत नाउम्मीद नहीं है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    भारत के कूटनीतिक रणनीतिकार मान रहे हैं कि अभी इंतजार करने की नीति ही सर्वश्रेष्ठ है लेकिन उन्हें इस बात का पक्का भरोसा है कि वहां के भावी राजनीतिक घटनाक्रम में भारत के हितों को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही भारत बांग्लादेश के हालात पर पैनी नजर बनाये हुए है।

    बांग्लादेश की केंद्र सरकार का सारा काम अस्थाई तौर पर हो रहा

    सूत्रों का कहना है कि बांग्लादेश की आंतरिक स्थिति में पिछले दो महीने में कोई बदलाव नहीं आया है। राजनीतिक अस्पष्टता पहले की तरह ही है। प्रोफेसर मोहम्मद युनूस की अगुवाई अंतरिम सरकार की तरफ से चुनाव कराने या प्रशासन का कोई रोडमैप नहीं दिया गया है। मौजूदा पुलिस, चुनावी व्यवस्था आदि में बदलाव के लिए समितियां गठित की गई हैं। जबकि संविधान में भी संशोधन करने के लिए अलग से समिति गठित करने पर विचार हो रहा है। बांग्लादेश की केंद्र सरकार का सारा काम अस्थाई तौर पर हो रहा है।

    कैबिनेट से दो मंत्रियों को हटाने की मांग

    सरकार की आर्थिक नीति, विदेश नीति या सुरक्षा व्यवस्था को लेकर नीति सामने नहीं आ पाई है। पूर्व विपक्षी नेता बेगम खालिदा जिया की राजनीतिक पार्टी बीएनपी के भीतर भी इसको लेकर बेचैनी है। इसी हफ्ते बीएनपी के सदस्यों ने प्रो. युनूस से मुलाकात कर उनसे आगामी चुनाव पर स्थिति स्पष्ट करने और अपने कैबिनेट से दो मंत्रियों को हटाने की मांग की है।

    इनकी तरफ से कुछ न्यायधीशों को हटाने व ब्यूरोक्रेसी से भी लोगों को निलंबित करने की मांग की गई है। उक्त सूत्रों के मुताबिक यह बता रहा है कि प्रोफेसर युनूस के साथ बीएनपी के रिश्ते बहुत मधुर नहीं है। दूसरी तरफ, पूर्व पीएम हसीना को सत्ता से बाहर करने में अहम भूमिका निभाने वाले जमाते-इस्लामी की तरफ से भी अंतिरम सरकार पर दबाव बनाने का दबाव है।

    जल्द हों चुनाव

    यह बताया जा रहा है कि जमात के लोग अंतरिम सरकार की जगह जल्द से जल्द निर्वाचित सरकार के गठन के पक्ष में है। पिछले दिनों अंतरिम सरकार के साथ बैठक में बीएनपी और जमात दोनों की तरफ से जल्द से जल्द चुनाव कराने की मांग रखी गई है। जबकि अंतरिम सरकार का तर्क है कि जब तक हर स्तर पर सुधारों का एजेंडा लागू नहीं किया जाता, तब तक चुनाव प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का कोई मतलब नहीं है।

    वैसे यह भी उल्लेखनीय तथ्य है कि अंतरिम सरकार ने आवामी लीग (पूर्व पीएम हसीना की पार्टी) और पूर्व पीएम हसीना की सरकार में शामिल दूसरे राजनीतिक दलों को विमर्श के लिए नहीं बुलाया है। कूटनीतिक सूत्रों का कहना है कि जिस तरह की स्थिति बन रही है उससे लगता है कि पड़ोसी देश में राजनीतिक अस्थिरता काफी लंबे समय तक चल सकती है।

    बीमार व्यक्तियों को भी समय पर वीजा देने में समस्या आ रही

    उधर, भारतीय उच्चायोग की गतिविधियां बहुत ही सीमित है। सुरक्षा दृष्टिकोण से भारत ने वहां से अपने काफी सारे राजनयिकों को वापस बुला लिया है जिससे वीजा देने संबंधी प्रक्रिया भी काफी सीमित हो गई है। मांग के मुताबिक बीमार व्यक्तियों को भी समय पर वीजा देने में समस्या आ रही है। जब तक अंतरिम सरकार सुरक्षा प्रबंध को चाक-चौबंद नहीं करेगी, भारत के लिए सामान्य वीजा सेवा देना मुश्किल है।