आर्कटिक के लिए नीति बनाने में जुटा भारत, प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है धरती का उत्तरी छोर
भारत ने सोमवार को अपना 40 वां अंटार्कटिका अभियान शुरू किया। अभियान के सदस्य 40 साल से जारी सिलसिले को आगे बढ़ाने के मकसद से मंगलवार को गोवा से रवाना ह ...और पढ़ें

नई दिल्ली, एजेंसियां। प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न धरती के उत्तरी छोर आर्कटिक के लिए भारत ने अपनी नीति का मसौदा तैयार कर लिया है। यहां पर बर्फ के नीचे तेल, गैस और खनिज पदार्थो के बड़े भंडार हैं। इन्हें प्राप्त करने के लिए दुनिया के कई देश प्रयासरत हैं और वहां पर अपनी मौजूदगी बना रहे हैं।
आर्कटिक पहुंचने के लिए अब नया रास्ता भी बन गया है। वहां पर उत्तरी अमेरिका और उत्तरी यूरोप से रवाना होकर पहुंचा जा सकता है। सरकार आर्कटिक नीति को अंतिम रूप देने के लिए उस पर जनता की राय भी जान रही है। यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद नीति को अंतिम रूप दिया जाएगा और उसे सार्वजनिक किया जाएगा। सरकार के 15 से ज्यादा मंत्रालय और संस्थाएं नीति बनाने और उसे क्रियान्वित करने की प्रक्रिया से जुड़ी हुई हैं।
भारत का 40 वां अंटार्कटिका अभियान
भारत ने सोमवार को अपना 40 वां अंटार्कटिका अभियान शुरू किया। अभियान के सदस्य 40 साल से जारी सिलसिले को आगे बढ़ाने के मकसद से मंगलवार को गोवा से रवाना होंगे। 40 वें अभियान दल में कुल 43 सदस्य शामिल हैं। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अनुसार चार्टर्ड आइस-क्लास जहाज एमवी वासिली गोलोवनिन 30 दिन में यात्रा पूरी कर अंटार्कटिका पहुंचेगा। दल के सदस्यों को छोड़कर यह जहाज अप्रैल में वापस भारत आएगा। कोविड महामारी के चलते अभियान दल को खास सतर्कता के साथ रवाना किया जा रहा है। अंटार्कटिका में भी दल के सदस्यों के लिए खास इंतजाम होंगे। भारत का अंटार्कटिका अभियान 1981 में शुरू हुआ था। वहां पर भारत के तीन स्थायी शोध शिविर हैं। इनके नाम- दक्षिण गंगोत्री, मैत्री और भारती हैं।

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