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    ब्रह्मोस से भी घातक के-6 हाइपरसोनिक मिसाइल बना रहा भारत, कराची तक मार करने में होगी सक्षम; परीक्षण जल्द

    Updated: Fri, 27 Jun 2025 07:31 AM (IST)

    के-6 हाइपरसोनिक मिसाइल को हैदराबाद स्थित डीआरडीओ की एडवांस्ड नेवल सिस्टम्स लैबोरेटरी में विकसित किया जा रहा है। यह मिसाइल ब्रह्मोस से भी घातक होगी। इसे विशेष रूप से उन्नत एस-5 श्रेणी की परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बियों के लिए डिजाइन किया गया है। अरिहंत से बड़ी परमाणु ऊर्जा चालित एस-5 पनडुब्बी 12 मीटर लंबी, दो मीटर चौड़ी होगी और दो से तीन टन तक वारहेड ले जाने में सक्षम होगी।

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    ब्रह्मोस से भी घातक के-6 हाइपरसोनिक मिसाइल बना रहा भारत (फाइल फोटो)

    जेएनएन, नई दिल्ली। हिंद महासागर में भारत की ताकत और बढ़ने वाली है। के-6 हाइपरसोनिक मिसाइल को हैदराबाद स्थित डीआरडीओ की एडवांस्ड नेवल सिस्टम्स लैबोरेटरी में विकसित किया जा रहा है।

    के6 मिसाइल ब्रह्मोस से भी घातक होगी

    यह मिसाइल ब्रह्मोस से भी घातक होगी। इसे विशेष रूप से उन्नत एस-5 श्रेणी की परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बियों के लिए डिजाइन किया गया है। अरिहंत से बड़ी परमाणु ऊर्जा चालित एस-5 पनडुब्बी 12 मीटर लंबी, दो मीटर चौड़ी होगी और दो से तीन टन तक वारहेड ले जाने में सक्षम होगी।

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    रिपोर्ट के अनुसार इस मिसाइल का परीक्षण जल्द होने की उम्मीद है। सबमरीन लांच्ड बैलिस्टिक मिसाइल (एसएलबीएम) के-6 को पनडुब्बियों से लांच किया जा सकेगा। के-6 मिसाइल विकसित होने के बाद भारत की उन देशों की सूची में शामिल हो जाएगा जिनके पास हाइपरसोनिक मिसाइल है।

    मिसाइल पारंपरिक और परमाणु दोनों तरह के हथियार ले जा सकती है


    यह मिसाइल पारंपरिक और परमाणु दोनों तरह के हथियार ले जा सकती है। इस समय अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन के पास हाइपरसोनिक मिसाइल है। रिपोर्ट के अनुसार के-6 एसएलबीएम 7.5 मैक (लगभग 9,261 किलोमीटर प्रति घंटे) की गति से दुश्मनों को निशाना बना सकती है।

    कराची तक मार करने में सक्षम

    जरूरत पड़ने पर पाकिस्तान का आर्थिक केंद्र कराची इस मिसाइल का रणनीतिक लक्ष्य हो सकता है। के-6 मिसाइल की मारक क्षमता 8,000 किलोमीटर होगी।

    मिसाइल की ये होगी रेंज

    भारत ने पहले के-3 (1,000 से 2,000 किलोमीटर की रेंज), के-4 (3,500 किलोमीटर की रेंज) और के-5 (5,000 से 6,000 किलोमीटर की रेंज) एसएलबीएम का परीक्षण किया है। के-4 और के-5 को पहले ही नौसेना में शामिल किया जा चुका है।