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    माइनस डिग्री में भारतीय सैनिकों को मिलेगी गर्मआहट, LAC के पास Green Bunker किए जा रहे तैयार; अब छूटेंगे दुश्मनों के पसीने

    Updated: Tue, 19 Mar 2024 01:57 PM (IST)

    सुरक्षा के लिए भारत के युवा जवान बंकरों में छिपकर रहते है। दुश्मनों पर अपनी पैनी नजर रखनी हो या ठंड से बचना हो यह बंकर जवानों की जिंदगी को बचाकर रखता है। इसी के तर्ज पर भारत LAC पर ग्रीन बंकर बनाने की योजना बना रहा है।मीडिया रिपोर्टों के अनुसार भारत दर्जनों बंकरों का निर्माण कर रहा है। बंकरों में चीन सीमा पर कम से कम 120 सैनिक रहेंगे।

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    माइनस डिग्री में भारतीय सैनिकों को मिलेगी गर्मआहट (Image: Representative)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। Green Bunkers at LAC: देश की रक्षा करने के लिए भारतीय सेना अपनी जान की बाजी लगा देते हैं। एक सैनिक बनने के लिए कड़ी ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है, तब जाकर वह एक आर्मी का जवान कहलाता है। यह वहीं जवान है जो सबसे ठंडी से लेकर सबसे गर्म तापमान वाले क्षेत्रों में बिना किसी परेशानी से तैनात रहते है। सियाचिन ग्लेशियर से लेकर अरुणाचल प्रदेश में हमारी सेना का पाकिस्तान और चीन दोनों पर नजर रखती हैं।

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    अपनी सुरक्षा के लिए भारत के युवा जवान बंकरों में छिपकर रहते है। दुश्मनों पर अपनी पैनी नजर रखनी हो या ठंड से बचना हो, यह बंकर जवानों की जिंदगी को हमेशा बचाकर रखता है। इसी के तर्ज पर भारत LAC पर ग्रीन बंकर बनाने की योजना बना रहा है।

    क्या है ग्रीन बंकर?

    मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, भारत दर्जनों बंकरों का निर्माण कर रहा है। इन बंकरों में चीन सीमा पर कम से कम 120 सैनिक रहेंगे। इन बंकरों की खास बात यह होगी की सभी सैनिक शून्य से नीचे के तापमान पर भी जंग लड़ने के सक्षम होंगे।

    क्यों बनाए जा रहे ऐसे बंकर?

    चीन और पाकिस्तान के साथ हालिया युद्धों के बीच, भारतीय सैनिकों को अक्सर अत्यधिक ठंड और कठोर मौसम की स्थिति का सामना करना पड़ा है। इसी के मद्देनजर गृह मंत्रालय को इन विशेष इन्सुलेटेड बंकरों को चालू करने का फैसला लिया गया है। बता दें कि पहले के बंकर ज्यादातर लकड़ी या कंक्रीट के ढांचे के होते थे जो रेत की बोरियों से ढके होते थे जो कि कठोर जलवायु या दुश्मन से भिड़ने के लिहाज से कम सुरक्षा के होते थे।

    कैसे होंगे ये बंकर?

    नए बंकर काफी आरामदायक होंगे। सोलर पैनल के जरिए इन बंकरों में एयर कंडीशनिंग चलाए जाएंगे जो सैनिकों को गर्म रखने में मदद करेगी। 100 से अधिक सैनिकों के लिए शून्य से 30 डिग्री सेल्सियस नीचे तापमान का सामना करने के लिए यह बंकर काफी सुरक्षित होंगे।

    समुद्र तल से 15,000 फीट की ऊंचाई वाले इस क्षेत्र में बिजली की व्यवस्था नहीं है। इसी को देखते हुए इमारतों या बंकरों को सौर तापीय, सौर फोटोवोल्टिक और भू-तापीय ताजी हवा प्रौद्योगिकी जैसी हरित सुविधाओं का उपयोग करके डिजाइन किया गया है। यह बंकर के अंदर का तापमान बाहर से अधिक करने में सक्षम होगा।

    आईटीबीपी लुकुंग की सीमा चौकी पर तैयार किया गया यह

    भारत चीन के साथ 3,488 किमी लंबी विवादित सीमा साझा करता है। इसमें पूर्वी लद्दाख में 1,597 किमी, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में 545 किमी, सिक्किम में 220 किमी और अरुणाचल प्रदेश में 1,126 किमी बॉर्डर शामिल है। सेना के सूत्रों ने कहा कि देश ने पहले ही पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लेह में आईटीबीपी लुकुंग की सीमा चौकी पर लगभग 27,000 वर्ग फुट की एक स्थायी एकीकृत सीओवाई (कंपनी) स्तर की इमारत का निर्माण कर लिया है।

    9 मार्च को पीएम मोदी ने किया था सेला सुरंग का उद्घाटन

    केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आईटीबीपी जवानों के लिए 2016 में पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च किया था। सेना के मुताबिक, डीआरडीओ ने 'प्रोजेक्ट ध्रुव' के तहत मनोवैज्ञानिक थकान से निपटने के लिए अत्याधुनिक बंकर भी डिजाइन किए हैं। 9 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सेला सुरंग का उद्घाटन ऐसी ही एक उन्नत परियोजना है।

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