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    Voting Right's for Women: पहले महिलाओं को नहीं था वोट देने का हक, भारत इस मायने में है कई यूरोपीय देशों से आगे

    By Babli KumariEdited By: Babli Kumari
    Updated: Thu, 20 Jul 2023 05:42 PM (IST)

    Womens suffrage in World आज के समय में मतदान में महिलाओं का प्रतिशत लगातार बढ़ता जा रहा है और कहीं-कहीं तो पुरुषों से भी ज्यादा हैलेकिन हमेशा से ऐसा नहीं था। हालत ऐसी थी कि कई देशों में महिलाओं को वोट देने तक का अधिकार नहीं था और इस हक को पाने के लिए उन्होंने कई संघर्ष किए।20 जुलाई 1906 को फिनलैंड में महिलाओं को वोट देने का अधिकार मिला।

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    Voting Right's for Women महिलाओं के लिए पहली बार मतदान का अधिकार

    नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। Women's Suffrage in World: भारत ही नहीं दुनियाभर में महिलाओं से प्रायः लिंग के अनुरूप ही व्यवहार की उम्मीद की जाती है और उन्हें राजनीति में कदम रखने से हतोत्साहित किया जाता रहा है। किसी भी लोकतांत्रिक देश में राजनीतिक न्याय का मतलब राजनीतिक प्रक्रिया में हर एक व्यक्ति को अपनी बात कहने, अपना मत व्यक्त करने का समान अधिकार प्राप्त होना है।

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    सामाजिक मानदंड और रूढ़िवादिता यह कहती है कि महिलाओं को पत्नियों एवं माताओं के रूप में अपनी भूमिकाओं को प्राथमिकता देनी चाहिये, जबकि राजनीति को प्रायः पुरुषों के आधिपत्य वाला क्षेत्र माना जाता है। ऐसा मैं आपसे इसलिए कह रही हूं, क्योंकि मतदान जैसे महत्वपूर्ण अधिकारों से दुनियाभर की महिलाओं को कई सालों तक वंचित रखा गया है। भारत ही नहीं, विश्वभर की स्त्रियों को अपनी पहचान बनाने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा है। उनके इस संघर्ष में सबसे बड़ी बाधा लैंगिंक असमानता है। वैसे तो, किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में सबसे महत्वपूर्ण अधिकार मत देने का अधिकार होता है, लेकिन अगर ऐसा कहा जाए कि राजनीतिक व्यवस्थाएं पितृसत्तात्मक विचार के आधार पर गढ़ी जाती रहीं, इसलिए उनमें महिलाओं का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित नहीं हो पाया तो यह लेशमात्र भी गलत नहीं होगा।

    जब महिलाओं के अधिकारों की बात आती है, तो सबसे आम मुद्दों में से एक महिलाओं का मताधिकार भी है। सामाजिक रूप से, वोट देने के अधिकार को अक्सर निश्चित स्वतंत्रता के बराबर माना जाता है। वोट देने का अधिकार लैंगिक समानता की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम माना गया है।

    आज के समय में मतदान में महिलाओं का प्रतिशत लगातार बढ़ता जा रहा है और कहीं-कहीं तो पुरुषों से ज्यादा भी है। लेकिन यह हमेशा से ऐसा नहीं था। हालत ऐसी थी कि कई देशों में महिलाओं को वोट देने तक का अधिकार नहीं था और इस हक को पाने के लिए उन्होंने कई संघर्ष किए। दुनियाभर के देशों में महिलाओं को मतदान का अधिकार पाने के लिए बड़ी लड़ाई लड़नी पड़ी है।

    भारत ने आजादी के बाद पहले ही दिन से हर महिला को मतदान का अधिकार दिया। भारत जिस दिन आजाद हुआ, उसी दिन से महिलाओं को वोटिंग का अधिकार मिल गया था। अमेरिका को देश की महिलाओं को वोट देने का अधिकार देने में 100 साल से भी ज्यादा का समय लग गया था। ब्रिटेन को तो एक सदी का समय लग गया। कुछ ऐसा ही था न्यूजीलैंड भी, जहां 10 साल के संघर्ष के बाद महिलाओं को वोटिंग का अधिकार मिल पाया था।

    न्यूजीलैंड दुनिया का पहला देश है, जिसने सबसे पहले महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिया था। 19वीं सदी के अंत में फिनलैंड, आइसलैंड, स्वीडन और कुछ ऑस्ट्रेलियाई उपनिवेशों और पश्चिमी अमेरिकी राज्यों में महिलाओं को सीमित मतदान अधिकार प्राप्त हुए। 20 जुलाई 1906 को फिनलैंड में, एक नए चुनावी कानून को मंजूरी दी गई, जिससे महिलाओं को दुनिया में वोट देने का पहला और समान अधिकार की गारंटी मिली। फिनलैंड की महिलाएं यूरोप में वोट देने का अधिकार प्राप्त करने वाली पहली महिला मतदाता बनीं। आइए जानते हैं कि यूरोप और दुनिया के बाकी देशों ने महिलाओं को कब वोटिंग राइट दिए-

    न्यूज़ीलैंड ने रचा इतिहास

    महिलाएं मानव जाति का आधे से अधिक हिस्सा हैं और जीवन के सभी क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। किसी भी राष्ट्र के विकास की वास्तविकता की जांच न केवल उसके आर्थिक विकास में बल्कि महत्वपूर्ण रूप से वहां की महिलाओं की स्थिति में भी निहित होती है। इस बात को समझते हुए 19 सितंबर, 1893 को गवर्नर लॉर्ड ग्लासगो ने एक नए चुनावी अधिनियम पर हस्ताक्षर कर इसे कानून बना दिया। इस ऐतिहासिक कानून के परिणामस्वरूप, न्यूजीलैंड संसदीय चुनावों में महिलाओं को वोट देने का अधिकार देने वाला दुनिया का पहला संप्रभु देश बन गया।

    महिलाओं को वोट देने वाला पहला यूरोपीय देश बना फिनलैंड

    फिनलैंड 1906 में अधिक प्रगतिशील देशों की लीग में शामिल होने वाला पहला यूरोपीय देश था। इस देश को पहले फिनलैंड का ग्रैंड डची कहा जाता था। महिलाओं को पहले स्वीडिश और रूसी शासन के तहत मतदान का अधिकार प्राप्त था, लेकिन 1906 के फैसले के बारे में अनोखी बात यह थी कि फिनलैंड ने जहां महिलाओं को मताधिकार दिया, वहीं यह दुनिया का पहला देश बन गया जिसने महिलाओं को संसद में खड़े होने का अधिकार भी दिया।

    रोम के वेटिकन सिटी में महिलाओं को वोट देने का नहीं है अधिकार 

    दुनिया में केवल एक ही देश बचा है जिसने अभी भी महिलाओं को वोट देने का अधिकार नहीं दिया है। वो है वेटिकन सिटी। रोम में वेटिकन सिटी, दुनिया का आखिरी स्थान है जो अभी भी महिलाओं को मतदान करने का अधिकार नहीं देता है। रोमन कैथोलिक चर्च का केंद्र नए पोप के चुने जाने पर केवल कार्डिनलों को वोट देने की अनुमति देता है। हालांकि इसका मतलब यह भी है कि सभी पुरुषों को वोट देने का अधिकार नहीं है, वेटिकन सिटी चुनावों में महिलाएं किसी भी कार्यकारी या विधायी पद पर रहने में असमर्थ हैं जबकि पुरुष कार्डिनल बन सकते हैं।