Independence Day 2023: कभी सैन्य उपकरणों के लिए अन्य देशों पर निर्भर था भारत, आज आत्मनिर्भर बन टॉप 4 में शामिल
Independence Day 2023 भारत सात दशकों से अधिक समय का सफर तय कर चुका है। कई जंग का भारत ने मजबूती के साथ सामना किया है और आज वो समय आ गया है जब हम हर क्षेत्र में अपनी उपलब्धियों पर गर्व सकते हैं। रहन-सहन के तरीके से लेकर रक्षा (Defence) और सुरक्षा तक देश कई तरह के बदलाव का गवाह बना है।
नई दिल्ली, जागरण डेस्क। भारत एक ऐसा देश है जो अमन और शांति के लिए जाना जाता है लेकिन जब भी बात इसके शान पर आती है तो भारत अपने दुश्मनों से भी निपटना जानता है। इस स्वतंत्रता के लिए भारत का संघर्ष देश के हरएक नागरिक की अदम्य साहस, समानता और न्याय के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है। वर्षों के औपनिवेशिक शासन, सामाजिक असमानता और राजनीतिक अधीनता से देश जब त्रस्त था तब इस स्वतंत्रता के लिए भारत का समर्पण एक विविध राष्ट्र की अपनी नियति निर्धारित करने की इच्छा का प्रतिनिधित्व करती है।
इस आजादी के लिए देश को बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है। भारत ने आजादी के बाद इन 75 सालों में कई उतार-चढ़ाव देखे और अनगिनत उपलब्धियां हासिल की। खान-पान से लेकर रक्षा (Defence) और सुरक्षा तक सभी क्षेत्रों में देश बदलाव की ओर बढ़ता चल रहा है। आज हम कई क्षेत्रों में आत्मनिर्भर हुए हैं। भारत ने अपनी पहचान वैश्विक मंच पर बढ़ाई है।
एक दौर वह भी था जब हम रक्षा क्षेत्र की हर छोटी-बड़ी जरूरतों के लिए दूसरे देशों के मोहताज थे। लेकिन अब इस क्षेत्र में भारत की स्थिति धीरे-धीरे बदल रही है। भारत ने 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने का जो लक्ष्य अपने लिए निर्धारित किया है उस ओर धीरे-धीरे ही सही लेकिन मजबूती के साथ आगे बढ़ रहा है।
भारत की अर्थव्यवस्था जैसे-जैसे मजबूत हो रही है, भारत रक्षा क्षेत्र के लिए जरूरी सामानों के आयात को कम कर रहा है और उसके लिए 'मेक इन इंडिया' अभियान के तहत घरेलू बुनियादी ढांचे का निर्माण पर ज़ोर दे रहा है। आयात कम करने का ये मतलब नहीं है कि उन सामानों की देश को जरूरत नहीं है या उन सामानों का प्रयोग हमने बंद कर दिया है बल्कि उन सामानों को अब भारत अपने देश में ही बनाने पर फोकस कर रहा है।
1947 में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से, भारत एक मजबूत और आत्मनिर्भर रक्षा क्षेत्र विकसित करने की अपनी महत्वाकांक्षा पर दृढ़ रहा है। भारत आज रक्षा के क्षेत्र में भी शानदार प्रगति की है। आज भारत में बने तेजस जैसे फाइटर जेट समेत कई लड़ाकू हथियार और उपकरण खरीदने में दुनिया के कई देश दिलचस्पी दिखा रहे हैं। भारत के पास आज राफेल जैसे लड़ाकू विमान हैं। आज दुनिया भारत को परमाणु हथियार से संपन्न देश कहती है।
इस लेख के माध्यम से हम रक्षा क्षेत्र में भारत द्वारा हासिल किए गए उपलब्धियों के बारे में चर्चा करेंगे, जिसमें प्रारंभिक चुनौतियों से लेकर दुनिया की अग्रणी सैन्य शक्तियों में से एक के रूप में इसकी वर्तमान स्थिति तक की यात्रा के बारे में जानेंगे।
क्या थी भारत की प्रारंभिक चुनौतियां?
स्वतंत्रता के बाद, भारत को रक्षा क्षेत्र में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। देश में स्वदेशी विनिर्माण क्षमताओं का अभाव था, सैन्य उपकरणों के लिए दूसरे देशों से आयात पर बहुत अधिक निर्भर था। हालांकि, 1958 में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) की स्थापना जैसी प्रमुख उपलब्धियों ने तकनीकी प्रगति के लिए एक मजबूत आधार प्रदान किया।
रणनीतिक साझेदारी से किया स्वदेशी उत्पादन
भारत ने धीरे-धीरे सैन्य उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के महत्व को पहचाना। देश ने विभिन्न देशों के साथ रणनीतिक साझेदारी बनाई और स्वदेशी अनुसंधान और विकास पहल को बढ़ावा देते हुए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौतों पर हस्ताक्षर किए। इससे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) सहित कई रक्षा उत्पादन इकाइयों की स्थापना हुई।
परमाणु क्षमताएं और मिसाइल प्रौद्योगिकी
1974 और 1998 में अपने परमाणु परीक्षणों के सफल संचालन के साथ रक्षा क्षेत्र में भारत की यात्रा को और गति मिली। इसने भारत को परमाणु-सशस्त्र देशों की लीग में खड़ा कर दिया, जिससे क्षेत्र में इसकी रणनीतिक स्थिति मजबूत हुई। इसके अतिरिक्त, अग्नि सीरीज, पृथ्वी और ब्रह्मोस जैसी भारत की स्वदेशी मिसाइल प्रौद्योगिकी विकास ने मिसाइल प्रणालियों में देश की शक्ति को प्रदर्शित किया।
रक्षा खरीद नीति और मेक इन इंडिया पहल
घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ाने की आवश्यकता को पहचानते हुए, भारत सरकार ने 2016 में रक्षा खरीद नीति पेश की। इस नीति ने आयात पर निर्भरता पर चिंताओं को संबोधित करते हुए स्वदेशी विनिर्माण, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और सहयोग के महत्व पर जोर दिया। इसके बाद, रक्षा उपकरणों के स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देने, निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए 'मेक इन इंडिया' पहल शुरू की गई।
अनुसंधान एवं विकास (Research and Development)
डीआरडीओ की स्थापना ने भारत के रक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। डीआरडीओ मिसाइल रक्षा प्रणालियों, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों और उन्नत रडार प्रणालियों सहित विभिन्न अत्याधुनिक तकनीकों को विकसित किया। शैक्षणिक संस्थानों और इस क्षेत्र में दक्ष निजी जानकारों के सहयोग के साथ रक्षा प्रौद्योगिकियों में स्वदेशी अनुसंधान और नवाचार के विकास को सुविधाजनक बनाया है।
भारत के पास है दुनिया की चौथी सबसे ताकतवर सेना
अभी कुछ दिनों पहले ही वैश्विक रक्षा से जुड़ी जानकारी पर नजर रखने वाली डाटा वेबसाइट ग्लोबल फायरपावर ने दुनिया की सबसे ताकतवर सेनाओं की सूची जारी कर दी है। सैन्य ताकत के इस सूची, 2023 में भारत को चौथे पायदान पर है। भारत के पास दुनिया की चौथी सबसे ताकतवर सेना है। भारत के पास हजारों की संख्या में टैंक है तो सेकड़ों की संख्या में लड़ाकू विमान है। भारत तोपखाना और मिसाइलों के मामले में भी धनी है और तेजी से आगे बढ़ रहा है।
अपनी प्रारंभिक चुनौतियों से लेकर वर्तमान उपलब्धियों तक, भारत के रक्षा क्षेत्र ने आत्मनिर्भर और तकनीकी रूप से उन्नत बनने में पर्याप्त प्रगति की है। रणनीतिक साझेदारी, स्वदेशी विनिर्माण और अनुसंधान एवं विकास ने भारत को वैश्विक रक्षा क्षेत्र में एक प्रमुख देशों के रूप में उभरने में सशक्त बनाया है।