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    पहलगाम हमले के बाद भारत ने US में हायर की है लॉबी फर्म? MEA ने दिया सीधा जवाब; पढ़ें कैसे काम करती है ये कंपनियां

    पहलगाम हमले के बाद भारत ने फिर एक अमेरिकी लॉबिंग कंपनी की सेवाएँ ली हैं। विदेश मंत्रालय के अनुसार यह परंपरा 1949 से चली आ रही है जब भारत ने पहली बार रोजेन एंड फ्रेड को हायर किया था। भारत सरकार अमेरिका में अपना पक्ष रखने के लिए इन कंपनियों को आवश्यकतानुसार नियुक्त करती है। 2007 में परमाणु समझौते के दौरान भी ऐसा किया गया था।

    By Jagran News Edited By: Piyush Kumar Updated: Thu, 22 May 2025 08:10 PM (IST)
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    विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने अमेरिकी लॉबिंग कंपनी को लेकर दी जानकारी।(फाइल फोटो)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पहलगाम में पर्यटकों पर आतंकवादियों के कायराना हमले के बाद भारत ने एक बार फिर एक अमेरिकी लॉबिंग कंपनी की सेवा लेने का समझौता किया है। लेकिन भारत के लिए अमेरिका में लॉबिंग फर्म की सेवा लेने की परंपरा बहुत ही पुरानी है।

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    असलियत में भारत ने पहली बार आजादी मिलने के दो वर्ष बाद ही वर्ष 1949 में एक अमेरिकी कंपनी रोजेन एंड फ्रेड की सेवा ली थी। उसके बाद से अभी तक सात बार अलग-अलग अवधि के लिए अमेरिकी लॉबिंग कंपनियों को हायर कर चुकी है। यह जानकारी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने गुरुवार को दी।

    उन्होंने स्वीकार किया कि भारत इन कंपनियों की सेवा अपना पक्ष मजबूती से अमेरिका में रखने के लिए लेता है और यह अमेरिका में स्थित विदेशी दूतावासों के बीच बहुत ही सामान्य परंपरा है।

    'इन कंपनियों को अपनी जरूरत के हिसाब से ठेके पर रखती है भारतीय दूतावास'

    जायसवाल ने कहा कि “ यह कोई नई परंपरा नहीं है। पिछले कई दशकों से और 1950 के दशक के बाद लगातार कई सरकारों के कार्यकाल में ऐसा किया गया है। इन कंपनियों को भारतीय दूतावास अपनी जरूरत के हिसाब से ठेके पर रखती है। इसकी जानकारी सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध भी है। वर्ष 2007 में परमाणु समझौते के दौरान भारत के पक्ष को मजबूत करने के लिए भी ऐसा किया गया था। इस तरह की परंपरा अमेरिका में स्थित दूसरी अन्य दूतावासों में भी सामान्य है।''

    उन्होंने आगे बताया कि, “वर्ष 1949 में रोजेन एंड फ्रेड, वर्ष 1954 में शेलर, बटलर एसोसिएट्स, 1958 में मॉस एडवर्ड के, वर्ष 1969 से 1974 के बीच सैंडर्स एंड डेम्पेसी, वर्ष 1981-83 के बीच बैरोन, कैनगिं कंपनी, 1992-93 में इंटरनेशनल डेवलपमेंट सिस्टम्स, वर्ष 2005 से अभी तक बीजीआर गवर्नमेंट अफेयर्स एलएलसी की सेवाएं ली जा रही हैं।''

    जायसवाल ने जो नाम बताये हैं उसके अलावा भी कई दूसरे फर्म को भारत अमेरिका में अपने हितों के पक्ष में लॉबिंग करने के लिए हायर करता है। इस तरह की चार कंपनियों या व्यक्तियों की सेवाएं अभी ली जा रही हैं। इसमें जैसन मिलर भी शामिल हैं जो अमेरिका के प्रसिद्ध राजनीतिक सलाहकार हैं और उन्हें राष्ट्रपति ट्रंप के काफी करीबी माना जाता है।

    भारत उनसे रणनीतिक मशविरा के अलावा पब्लिक रिलेशंस सर्विस भी ले रहा है। भारत के अलावा पाकिस्तान भी लगातार अमेरिका में इस तरह के ला¨बग फर्म को अपने पक्ष में प्रचार कराने के लिए ठेके पर रखता है। पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक राष्ट्रपति ट्रंप के दो पुराने सहयोगियों की तरफ से स्थापित कंपनी जैवलिए एडवाइजर्स एलएलसी को शाहबाज शरीफ की सरकार ने हाल ही में ठेके पर रखा है।

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