लैटिन अमेरिका और कैरेबियन के साथ भारत की नेचुरल बॉन्डिंग, मेरे पास सभी विदेश मंत्रियों का नंबर: जयशंकर
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि लैटिन अमेरिका और कैरेबियन के साथ भारत का वार्षिक व्यापार आगे और बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि प्रमुख वैश्विक मुद्दों पर लैटिन अमेरिका और कैरेबिया के अधिकांश देशों के विचार भारत के समान हैं।

नई दिल्ली, एजेंसी। लैटिन अमेरिकी और कैरेबियन देशों के साथ भारत की नेचुरल बॉन्डिंग है। प्रमुख वैश्विक मुद्दों पर भी हमारे हित आपस में जुड़े हुए हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि नई दिल्ली का ध्यान व्यापार, निवेश और जलवायु परिवर्तन सहित कई क्षेत्रों में दो-तरफा विस्तार करने पर रहा है। जयशंकर ने एक कार्यक्रम में कहा कि लैटिन अमेरिका और कैरेबियन के साथ भारत का वार्षिक व्यापार की मात्रा 50 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक है और यह आगे बढ़ रहा है।
आगे बढ़ रहा है द्विपक्षीय व्यापार
उन्होंने कहा, "हमारे चार बड़े व्यापार खाते अमेरिका, चीन, यूरोपीय संघ और आसियान हैं। इन देशों से वार्षिक व्यापार लगभग 100 से 110-115 अरब डॉलर के बीच है। इसलिए उस परिप्रेक्ष्य में अगर देखें, तो लैटिन अमेरिकी और कैरेबियन पहले से ही व्यापार भागीदारों के उच्चतम रेट से लगभग आधे पर आ गया है और यह आगे बढ़ रहा है।
प्रमुख वैश्विक मुद्दों पर हमारे और आपके विचार समान- जयशंकर
जयशंकर ने कहा, "प्रमुख वैश्विक मुद्दों पर लैटिन अमेरिका और कैरेबिया के अधिकांश देशों के विचार भारत के समान हैं। आप में से कई लोग यह भी जानते होंगे कि वर्षों से हमने वास्तव में विदेशों में बहुत सारी विकास साझेदारी की है। जाहिर है ये सभी विकासशील देशों के साथ हैं। संख्या और मूल्य के संदर्भ में उनमें से ज्यादातर हमारे आस-पास के क्षेत्र हैं।" उन्होंने कहा कि लैटिन अमेरिका और कैरेबियन के साथ हमारे संबंध पहले से ही हैं। हमारे पास क्रेडिट की 40 लाइनें हैं और मोटे तौर पर हमारी प्रतिबद्धता इन परियोजनाओं में लगभग 90 करोड़ डॉलर है।
लगभग सभी विदेश मंत्रियों का है वॉट्सऐप नंबर
मैं आपको यह भी बताना चाहता हूं कि कुछ विदेश मंत्रियों को छोड़कर मुझे लगता है कि मेरे पास लैटिन अमेरिका और कैरेबियन में लगभग हर किसी का व्हाट्सएप नंबर है। यहां तक कि कोविड के दौरान शायद एक भी मंत्री नहीं था, जिनके लिए मेरे पास कम से कम एक बार बात नहीं की थी। तो मैं यहां अपने वॉट्सऐप कौशल का प्रदर्शन नहीं कर रहा हूं। मैं आपको आज यह बता रहा हूं कि मंत्री समय निकालते हैं और एक दूसरे से बात करते हैं। शायद इससे कुछ बाहर निकल सके, जो प्रासंगिक हो।
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