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    भारत का पहला प्राइवेट ऑर्बिटल राकेट 'विक्रम-1' तैयार, अगले साल होगी लॉन्चिंग; खासियत देख दुश्मनों के उड़ेंगे होश

    Updated: Thu, 27 Nov 2025 11:30 PM (IST)

    देश का पहला ऑर्बिटल राकेट 'विक्रम-1' उपग्रहों को कक्षा में स्थापित करने के लिए तैयार है, जिसकी लॉन्चिंग 2026 तक होने की उम्मीद है। पीएम मोदी ने इसके अनावरण पर कहा कि भारत उपग्रह लॉन्चिंग में दबदबा बनाएगा। स्काईरूट एयरोस्पेस द्वारा निर्मित, यह राकेट 300 किलो तक के उपग्रहों को ले जा सकता है और हर महीने एक राकेट बनाने की क्षमता रखता है। कंपनी इसमें 1000 करोड़ रुपये का निवेश करेगी।

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    भारत का पहला प्राइवेट ऑर्बिटल राकेट विक्रम-1 तैयार अगले साल होगी लॉन्चिंग (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश का पहला ऑर्बिटल राकेट 'विक्रम-1' उपग्रहों को कक्षा में स्थापित करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। उम्मीद है कि दो महीने के भीतर यानी साल 2026 तक इसके जरिये उपग्रहों की लांचिग की जा सकती है।

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    ये राकेट एक बार में 300 किलो वजन तक के उपग्रहों को अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित कर सकता है। पीएम नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को इस राकेट का अनावरण किया और कहा कि देश उपग्रह लांचिंग के क्षेत्र में अपना दबदबा कायम करने के लिए तैयार है। वहीं, कंपनी का दावा है कि वह हर महीने ऐसा एक आर्बिटल राकेट तैयार कर सकती है।

    विक्रम-1 की खासियत

    'विक्रम-1' राकेट को तैयार करने में स्काईरूट एयरोस्पेस को चार साल का वक्त लगा। इसमें एकसाथ कई उपग्रहों को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करने की क्षमता है। इसे पूरी तरह कार्बन फाइबर से तैयार किया गया है, जिससे ये उत्कृष्ट स्ट्रेंथ-टु-वेट प्रदर्शन कर सकेगा।

    इसमें 3डी प्रिंटेड हाइपरगोलिक इंजन लगाए गए हैं। इसके साथ ही राकेट को कलाम 1200 बूस्टर स्टेज से भी लैस किया गया है। इस बूस्टर स्टेज को उन्नत कार्बन कंपोजिट से तैयार किया गया है। गौरतलब है कि 2022 में भारत के पहले प्राइवेट राकेट- विक्रम-एस- को लांच कर कंपनी ने इतिहास रच दिया था। ये सब-आर्बिटल राकेट था।

    इस राकेट में इस्तेमाल की गई तकनीक ने स्काईरूट के बड़े आर्बिटल क्लास राकेट, विक्रम-1, के विकास का मार्ग प्रशस्त किया। स्काईरूट एयरोस्पेस के सह संस्थापक और सीओओ नाग भारत ढाका ने बताया कि अगले दो महीने में तेज और आन-डिमांड अंतरिक्ष लांचिंग सुविधा प्रदान करने के लिए कंपनी 1000 करोड़ रुपये निवेश करेगी।

    देश की नई उम्मीद हैं जेन-जी- पीएम मोदी

    अंतरिक्ष स्टार्टअप स्काईरूट एयरोस्पेस के इनफिनिटी परिसर के उद्घाटन और राकेट के अनावरण अवसर पर पीएम नरेन्द्र मोदी ने नई टेक्नोलाजी की रचना करने के लिए जेन-जी पेशेवरों की प्रशंसा की। पीएम ने कहा कि जेन-जी इंजीनियर, जेन-जी डिजाइनर, जेन-जी कोडर और जेन-जी विज्ञानी नई टेक्नोलाजी की रचना कर रहे हैं।

    उन्होंने कहा कि आज भारत के अंतरिक्ष इकोसिस्टम में प्राइवेट सेक्टर तेजी से उभर रहा है। 300 से अधिक अंतरिक्ष स्टार्टअप इस क्षेत्र को नई उम्मीद दे रहे हैं। पीएम मोदी ने कहा कि इनफिनिटी कैंपस भारत के नए विचारों, नवाचार और बड़ी युवा ताकत का प्रति¨बब है। युवाओं का नवाचार, जोखिम उठाने की क्षमता और उद्यमशीलता नई ऊंचाइयां छू रहे हैं।

    उन्होंने कहा कि भारत की निजी अंतरिक्ष प्रतिभा दुनिया भर में अपनी पहचान खुद बना रही है। आज, भारत का अंतरिक्ष सेक्टर वैश्विक निवेशकों के लिए आकर्षक गंतव्य बन चुका है। आज, छोटे उपग्रहों की मांग दुनियाभर में तेजी से बढ़ रही है।

    उन्होंने कहा कि परमाणु क्षेत्र को भी प्राइवेट सेक्टर के लिए खोलने की योजना पर तेजी से काम हो रहा है। उन्होंने अंतरिक्ष यात्रा के शुरुआती दौर का भी उल्लेख किया, जब राकेट के पुर्जे साइकिलों पर रखकर ले जाए जाते थे और उनसे सबसे भरोसेमंद लांच व्हीकल तैयार किए जाते थे।

    क्या है स्काईरूट एयरोस्पेस

    स्काईरूट एयरोस्पेस का इनफिनिटी कैंपस दो लाख वर्गफीट दायरे में विकसित किया गया है। इसमें मल्टिपल लांच व्हीकल की डिजाइनिंग, डेवलपिंग, इंटीग्रेटिंग व टेस्टिंग के लिए अत्याधुनिक सुविधा प्रदान की गई है। कंपनी को आइआइटी के पूर्व छात्रों, पवन चंदना और भारत ढाका के साथ-साथ भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व विज्ञानियों ने मिलकर स्थापित किया है। ढाका ने कहा कि स्काईरूट के जरिये 1000 रोजगारों का भी सृजन हुआ है।

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