Cheetah Safari: मध्य प्रदेश के कूनो में खुलेगी देश की पहली चीता सफारी, 17 सितंबर को हो सकता है शिलान्यास
चीतों को लेकर वन्यजीवों प्रेमियों व पर्यटकों के रुझान को जिंदा रखने के लिए राज्य सरकार की पहल पर केंद्र सरकार ने अब कूनो में ही एक चीता सफारी बनाने का ...और पढ़ें

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चीता प्रोजेक्ट में पहले ही साल छह चीतों और भारतीय भूमि पर जन्मे तीन शावकों की मौत ने भले ही प्रोजेक्ट से जुड़ी भावी योजनाओं पर पानी फेर दिया है, लेकिन चीतों को लेकर वन्यजीवों प्रेमियों व पर्यटकों के रुझान को जिंदा रखने के लिए राज्य सरकार की पहल पर केंद्र सरकार ने अब कूनो में ही एक चीता सफारी बनाने का फैसला लिया है, जो करीब 180 हेक्टेयर का होगा। जिसके लिए अलग से कुछ पालतू चीते लाए जाएंगे।
लोगों में चीतों को लेकर बनी रहेगी दिलचस्पी
फिलहाल केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (CJAI) ने इसकी मंजूरी दे दी है। चीता सफारी बनाने की यह पहल इसलिए की गई है, ताकि वहां पर्यटन से जुड़ी गतिविधियां शुरू हो सके। इससे इस क्षेत्र का विकास होगा। साथ ही लोगों में चीतों को लेकर दिलचस्पी बनी रहेगी।
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वैसे तो चीता प्रोजेक्ट के तहत कूनो नेशनल पार्क में लाए गए चीतों को ही कुछ समय के बाद पर्यटकों के लिए खोलने की योजना बनाई गई थी। हालांकि, कई चीतों की ताबड़तोड़ मौतों के बाद इस योजना को अब टाल दिया गया है। जिसमें चीतों को बसाने व उनकी आबादी को बढ़ाने से जुड़े प्रोजेक्ट को अलग रखा जाएगा।
वहीं, पर्यटन से जुड़ी गतिविधि को सफारी तक सीमित रखा जाएगा। सफारी में रखे जाने वाले चीते पालतू किस्म के होंगे। इन्हें केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण की मदद से अफ्रीकी देशों से लाया जाएगा। देश में चीता की यह पहली सफारी होगी।

चीता सफारी के लिए क्षेत्र को किया गया चिन्हित
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, मध्य प्रदेश के कूनो में चीता सफारी बनाने के लिए क्षेत्र को चिन्हित कर लिया गया है। 17 सितंबर को इसकी नींव भी रखी जा रखती है। इसके साथ ही कूनो में चीता को लेकर एक शोध केंद्र और एक अत्याधुनिक संग्रहालय भी बनाया जाएगा।
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वैसे भी एक देश से दूसरे देश में चीतों को बसाने से जुड़ा यह अनुभव दूसरे अभयारण्यों में इन्हें बसाने के साथ पूरी दुनिया के लिए भी मददगार बनेगा। शोध केंद्र चीतों से जुड़ी सभी तथ्यपरक जानकारियों को जुटाएंगा।
वहीं, अत्याधुनिक संग्रहालय में चीतों से जुड़े पूरे इतिहास को आसानी से जाना और समझा जा सकेगा। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश सरकार ने हाल ही में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय और केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण को भेजा था।

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