बच्चे स्कूल में ही अच्छे, बाल मजदूरी रोकने में मिल रही अभूतपूर्व सफलता
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय भारत सरकार की एक रिपोर्ट के अनुसार 2001 में देश में 5-14 उम्र के कुल 25.2 करोड़ बच्चे थे, जिनमें से 1.26 करोड़ बाल मजदूरी को मजबूर थे।
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। 1 मई को पूरी दुनिया में श्रमिक दिवस (लेबर डे) के रूप में मनाया जाता है। इस दिन दुनियाभर में मजदूरों की स्थिति पर चिंतन किया जाता है। सबसे ज्यादा चिंतन अगर किसी पर करने की जरूरत है तो वह बाल मजदूरी पर है। भारत के संदर्भ में अच्छी बात यह है कि यहां सरकारी नीतियां सही दिशा में आगे बढ़ रही हैं और देश बाल मजदूरी के उन्मूलन की तरफ तेजी से आगे बढ़ रहा है।
एक दशक में दो तिहाई कम हुए बाल मजदूर
साल 2001 और 2011 की जनगणना के अनुसार श्रम एवं रोजगार मंत्रालय भारत सरकार की एक रिपोर्ट जागरण को मिली। इस रिपोर्ट के अनुसार 2001 में देश में 5-14 उम्र के कुल 25.2 करोड़ बच्चे थे, जिनमें से 1.26 करोड़ बाल मजदूरी को मजबूर थे। अच्छी बात यह है कि साल 2011 की जनगणना में 2001 की तुलना में जबरदस्त कमी देखी गई। साल 2011 की जनगणना के अनुसार देश में कुल 43.53 लाख बच्चे बाल मजदूरी कर रहे थे।
इससे पहले साल 2004-05 में नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गेनाइजेशन (एनएसएसओ) के एक सर्वे के अनुसार देश में लगभग 90.75 लाख बाल मजदूर थे। इस सर्वे में भी अच्छी बात यह निकलकर आयी की 2001 की जनगणना के आधार पर बाल मजदूरों में 43.53 लाख की कमी आयी थी। इस सर्वे में दिखा की बाल मजदूरी खत्म करने के लिए सरकार की कोशिशें रंग दिखा रही हैं।
बाल मजदूरी में यूपी, महाराष्ट्र और बिहार अव्वल
साल 2011 की जनगणना के अनुसार बाल मजदूरी के लिहाज से उत्तर प्रदेश बच्चों के लिए सबसे खतरनाक जगह है। यहां 8.96 लाख बाल मजदूरी कर रहे थे, जबकि दूसरे नंबर पर स्थित महाराष्ट्र में 4.96 लाख बच्चे बाल मजदूरी में लिप्त थे। बिहार इस लिस्ट में तीसरे नंबर पर है और यहां 4.51 लाख बच्चे बाल मजदूरी कर रहे थे।
लक्ष्यद्वीप में सिर्फ 28 बाल मजदूर
साल 2011 की जनगणना में लक्ष्यद्वीप में सबसे कम बाल मजदूर पाए गए। यहां सिर्फ 28 बच्चे बाल मजदूरी में लिप्त थे। दमन और दीव में 774 और अंडमान निकोबार में 999 बच्चे बाल मजदूरी कर रहे थे।
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बाल मजदूरी पर संवैधानिक प्रावधान
धारा 21ए- शिक्षा का अधिकार कानून के तरह राज्य सरकार की तरफ से 6-14 साल के हर बच्चे को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा मुहैया कराई जाएगी।
धारा 24- कारखानों में बच्चों के काम पर निषेध - इस कानून के तहत भी 14 साल से कम उम्र के बच्चों को फैक्ट्रियों या किसी भी खतरनाक रोजगार में लगाने पर प्रतिबंध है।
सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश
- 10 दिसंबर 1996 को सुप्रीम कोर्ट ने दिशा-निर्देश दिए कि खतरनाक उद्योगों में लगे बच्चों को वहां से निकाला जाए और उन्हें किसी शिक्षण संस्थान में दाखिला दिलाया जाए।
- बच्चों को काम पर लगाने वाले संस्थान को हर बच्चे के लिए 20 हजार रुपये बच्चों की भलाई के लिए बनाए गए वेलफेयर फंड को देने होंगे।
- बाल मजदूरी से बचाए गए बच्चे के परिवार के एक सदस्य को रोजगार दिलाया जाए या ऐसे प्रत्येक बच्चे के लिए राज्य सरकार 5000 रुपये वेलफेयर फंड में जमा कराए।
- जो बच्चे खतरनाक कार्यों में नहीं लगे हैं, उनके काम पर नजर रखी जाए और सुनिश्चित किया जाए कि बच्चा 6 घंटे से ज्यादा काम न करे। इसके साथ ही कम से कम दो घंटे वह पढ़ाई भी करे। उस बच्चे की पढ़ाई पर आने वाला पूरा खर्चा उसके मालिक द्वारा वहन किया जाएगा।
पिछले कुछ सालों से बाल श्रम (निषेध और नियमन) अधिनियम, 1986 के तहत कार्रवाई के आंकड़े