ट्रंप के टैरिफ वार के बीच भारत लिख रहा ग्लोबल गेम की नई स्क्रिप्ट, वांग यी आएंगे दिल्ली; जयशंकर करेंगे रूस का दौरा
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वार के बाद भारत वैश्विक मंच पर कूटनीति से अमिट छाप छोड़ने की तैयारी में है। चीनी विदेश मंत्री वांग यी जल्द ही भारत दौरे पर आएंगे जिसके बाद विदेश मंत्री एस. जयशंकर रूस जाएंगे। इन मुलाकातों का महत्व तब और बढ़ जाता है जब अमेरिका के साथ रिश्तों में तल्खी देखी जा रही है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वार के बाद अब भारत ने वैश्विक पटल पर डिप्लोमेसी की अमिट छाप छोड़ने का प्लान तैयार कर लिया है।
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, अगले हफ्ते चीनी विदेश मंत्री वांग यी भारत के दौरे पर आ रहे हैं। ये दौरा तब होगा जब इसके कुछ ही दिन बाद भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर रूस के दौरे पर होंगे।
ये दोनों मुलाकातें भारत के लिए बेहद नाजुक वक्त पर हो रही हैं, जब अमेरिका के साथ व्यापारिक और राजनयिक रिश्तों में तल्खी देखी जा रही है। वांग यी 18 अगस्त को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से विशेष प्रतिनिधि तंत्र के तहत बात करेंगे।
यह मुलाकात पिछले साल दिसंबर में डोभाल के बीजिंग दौरे का अगला कदम है। इसके साथ ही, यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अगस्त के आखिर में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के लिए चीन दौरे की तैयारियों का हिस्सा भी है।
सीमा विवाद पर नजर, रिश्तों में गर्माहट की उम्मीद
पिछले साल 23 अक्टूबर को रूस के कजान शहर में मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद भारत-चीन रिश्तों में कुछ सुधार देखने को मिला। दोनों देशों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैन्य गतिरोध खत्म करने का समझौता किया था। इसके बाद सीमा विवाद को सुलझाने और रिश्तों को सामान्य करने के लिए कई तंत्रों को फिर से शुरू करने पर सहमति बनी। वांग यी का यह दौरा उसी दिशा में एक कदम है।
मॉस्को में जयशंकर की बड़ी जिम्मेदारी
वांग यी के दौरे के कुछ ही दिन बाद, 21 से 23 अगस्त तक जयशंकर मॉस्को में होंगे। वहां वे रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग (आईआरआईजीसी-टीईसी) की बैठक की सह-अध्यक्षता करेंगे।
इस बैठक में व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग पर गहन चर्चा होगी। भारत और रूस के बीच पुराना और गहरा रिश्ता रहा है, और यह दौरा उस रिश्ते को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का मौका देगा।
हालांकि, भारत और चीन दोनों ने अभी तक इन दौरों की आधिकारिक घोषणा नहीं की है, लेकिन तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। ऐसे में भारत की कूटनीति एक बार फिर वैश्विक मंच पर अपनी चमक बिखेरने को तैयार है। इस दौरे को भारत, चीन और रूस की ओर से अमेरिका को सबक देने के तौर पर भी देखा जा रहा है।
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