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    एक साथ कई लक्ष्य भेदेगी अग्नि-6

    नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। अग्नि-5 की ताकत और पनडुब्बी से प्रक्षेपास्त्र प्रहार क्षमता के सफल प्रदर्शन के बाद भारत ने अब एक साथ कई लक्ष्यों को भेदने में सक्षम अग्नि-6 मिसाइल कार्यक्रम का एलान किया है। नाभिकीय हथियारों से हमला करने में सक्षम यह बैलिस्टिक मिसाइल देश की रक्षा क्षमताओं को नई ताकत देगी।

    By Edited By: Updated: Fri, 08 Feb 2013 09:50 PM (IST)

    नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। अग्नि-5 की ताकत और पनडुब्बी से प्रक्षेपास्त्र प्रहार क्षमता के सफल प्रदर्शन के बाद भारत ने अब एक साथ कई लक्ष्यों को भेदने में सक्षम अग्नि-6 मिसाइल कार्यक्रम का एलान किया है। नाभिकीय हथियारों से हमला करने में सक्षम यह बैलिस्टिक मिसाइल देश की रक्षा क्षमताओं को नई ताकत देगी।

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    रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन [डीआरडीओ] के प्रमुख और रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार डॉ वीके सारस्वत के अनुसार नई मिसाइल मल्टीपल टारगेट रीएंट्री [एमआइआरवी] तकनीक से लैस होगी। यानी एक ही प्रक्षेपास्त्र से हम एक साथ कई लक्ष्यों पर प्रहार कर सकेंगे। सारस्वत ने शुक्रवार को बताया कि नई मिसाइल का डिजाइन तैयार कर लिया गया है और हार्डवेयर पर काम चल रहा है।

    सारस्वत ने हालांकि अभी यह बताने से इन्कार कर दिया कि अग्नि-6 कितनी दूरी तक मार कर सकेगी? लेकिन, माना जा रहा है कि नए प्रक्षेपास्त्र की मारक क्षमता अग्नि-5 से अधिक होगी, जो 5500 किमी तक नाभिकीय हमला कर सकती है। रक्षा वैज्ञानिकों के मुताबिक एमआइआरवी तकनीक वाली मिसाइल बना लेने के बाद भारत चुनिंदा देशों की कतार में शामिल हो जाएगा। अभी तक सिर्फ रूस और अमेरिका के पास ही इस तकनीक से लैस मिसाइलों के निर्माण की क्षमता है। उल्लेखनीय है कि अग्नि-5 के सफल परीक्षण के बाद ही सरकार ने डीआरडीओ को एमआइआरवी तकनीक से लैस मिसाइल विकसित करने की इजाजत दी।

    डीआरडीओ वैज्ञानिकों के मुताबिक भारत उन्नत क्रूज मिसाइलें भी विकसित करने की तैयारी कर रहा है। इससे सशस्त्र सेनाओं को कम ऊंचाई पर चलकर हमला करने वाली मिसाइलों को नष्ट करने और दुश्मन के विमानों को मार गिराने में मदद मिलेगी। इस कड़ी में अगले कुछ दिनों में देश की पहली सब-सोनिक 'निर्भय' मिसाइल के परीक्षण की तैयारी चल रही है। इस मिसाइल को दुश्मन के रडार नहीं पकड़ पाएंगे।

    सारस्वत ने किया डीआरडीओ का बचाव

    बेंगलूर। रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार वीके सारस्वत ने स्वदेशी सैन्य परियोजनाओं में देरी को लेकर हुई आलोचना पर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन [डीआरडीओ] का बचाव किया है। वायुसेना प्रमुख एनएके ब्राउन की आलोचना को उन्होंने महज हथियार के इस्तेमाल करने वाले की सोच करार दिया। सारस्वत डीआरडीओ के मुखिया भी हैं।

    एयरो इंडिया शो में आए सारस्वत ने यह तो माना कि परियोजनाओं को लेकर कुछ देरी हुई है, लेकिन यह भी कहा कि विकास परियोजनाओं मे देरी की शिकायत का मतलब यह नहीं है कि डीआरडीओ की आलोचना की गई है। सारस्वत ने डीआरडीओ, रक्षा मंत्रालय और हथियारों का इस्तेमाल करने वाली सैन्य शाखाओं को एक ही तंत्र का हिस्सा बताया।

    उन्होंने कहा कि स्वदेशी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए अत्यधिक मेहनत की जरूरत होती है और इसमें सफलता और नाकामी का खतरा बराबर रहता है। डीआरडीओ प्रमुख ने पके भोजन और भोजन पकाए जाने का उदाहरण देते हुए स्वदेशी विकास कार्यक्रम को भोजन पकाने जैसा बताया। और, इसी आधार पर कहा कि विकास प्रक्रिया में समय लगता है।

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