राष्ट्रपति मुर्मु को भेजे चिनफिंग के 'गुप्त' पत्र संबंधी रिपोर्ट को भारत ने नकारा, रिपोर्ट को बताया गलत
विदेश मंत्रालय ने ब्लूमबर्ग की उस रिपोर्ट को खारिज कर दिया है जिसमें दावा किया गया था कि चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को एक गुप्त पत्र भेजा था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा हमने रिपोर्ट देखी है और हम पुष्टि कर सकते हैं कि पत्र वाली कहानी बिल्कुल गलत है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता बोले ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में पत्र की कहानी बिल्कुल गलत है।

एएनआई, नई दिल्ली। विदेश मंत्रालय ने ब्लूमबर्ग की उस रिपोर्ट को खारिज कर दिया है जिसमें दावा किया गया था कि चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को एक 'गुप्त' पत्र भेजा था।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में पत्र की कहानी बिल्कुल गलत
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ''हमने रिपोर्ट देखी है और हम पुष्टि कर सकते हैं कि पत्र वाली कहानी बिल्कुल गलत है।'' ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पत्र में अमेरिकी समझौतों पर चिंता जताई गई है जो चीन के हितों को प्रभावित कर सकते हैं।
रिपोर्ट में बीजिंग की कार्रवाइयों के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार एक प्रांतीय अधिकारी का नाम भी शामिल है। इन दावों के बीच, विदेश मंत्रालय ने दोनों देशों के बीच चल रही उच्च-स्तरीय बातचीत पर भी प्रकाश डाला।
2026 में होने वाले इस सम्मेलन की मेजबानी भारत करेगा
विदेश मंत्रालय ने बताया कि पिछले महीने 31 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग को ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था। 2026 में होने वाले इस सम्मेलन की मेजबानी भारत करेगा।
फिलहाल ब्रिक्स की अध्यक्षता ब्राजील के पास
फिलहाल ब्रिक्स की अध्यक्षता ब्राजील के पास है। राष्ट्रपति चिनफिंग ने निमंत्रण के लिए प्रधानमंत्री मोदी का धन्यवाद किया है और भारत की आगामी ब्रिक्स अध्यक्षता के लिए चीन के समर्थन की पेशकश की है।
विदेश मंत्रालय ने बताया कि सहयोग की यह भावना उनके हालिया आमने-सामने के संवाद में भी जारी रही। तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन से इतर अपनी बैठक के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने चीन की एससीओ अध्यक्षता और तियानजिन में शिखर सम्मेलन के लिए समर्थन भी व्यक्त किया।
रूस के कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में मिले थे दोनों नेता
इससे पहले दोनों नेताओं की मुलाकात 2024 में रूस के कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर हुई थी। दोनों नेताओं के बीच विचारों के ये आदान-प्रदान ब्रिक्स में भारत की बढ़ती भूमिका के मद्देनजर हुए।
जुलाई में रियो डी जेनेरियो में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने इस संगठन के लिए भारत के दृष्टिकोण को रेखांकित किया था। उन्होंने कहा कि भारत अगले साल ब्रिक्स को एक ''नया रूप'' देने का प्रयास करेगा।
उन्होंने ब्रिक्स को 'सहयोग तथा स्थिरता के लिए लचीलापन एवं नवाचार का निर्माण' के रूप में परिभाषित किया। साथ ही, उन्होंने जी-20 के अध्यक्ष के रूप में भारत के दृष्टिकोण के ही समान ग्लोबल साउथ के मुद्दों को भी प्राथमिकता देने पर जोर दिया था।
रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि पत्र में अमेरिकी समझौतों पर चिंता जताई गई है
इसी दृष्टिकोण ने 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के विचार-विमर्श को आकार दिया, जिसका विषय था - ''अधिक समावेशी और सतत शासन के लिए ग्लोबल साउथ सहयोग को मजबूत करना''। इस शिखर सम्मेलन में राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने वीडियो कान्फ्रेंस के माध्यम से भाग लिया था।
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