'गुलाम जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन बंद करो', पाकिस्तान को भारत की चेतावनी
भारत ने पाकिस्तान को आतंकवाद का स्रोत बताते हुए, उससे कश्मीर के उस हिस्से में मानवाधिकार उल्लंघन रोकने की मांग की है जिस पर उसने अवैध कब्जा किया है। भारतीय सांसदों ने संयुक्त राष्ट्र में आतंकवाद को मानवता के खिलाफ अपराध घोषित करने की बात कही। उन्होंने पाकिस्तान पर कश्मीरी नागरिकों पर अत्याचार करने का आरोप लगाया और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से इस मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया।

दो भारतीय सांसदों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा की कानूनी समिति के समक्ष कहा (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान को 'आतंकवाद, ¨हसा, कट्टरता, असहिष्णुता और चरमपंथ का स्त्रोत' बताते हुए भारत ने मांग की है कि वह कश्मीर के उस हिस्से में 'गंभीर और निरंतर मानवाधिकार उल्लंघन' शीघ्र बंद करे जिस पर उसने अवैध रूप से कब्जा कर रखा है। दो भारतीय सांसदों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा की कानूनी समिति के समक्ष कहा कि आतंकवाद को प्रायोजित करना मानवता के विरुद्ध अपराध घोषित किया जाना चाहिए।
केरल से रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के सांसद एनके प्रेमचंद्रन ने कहा, 'इस साल अप्रैल में पाकिस्तान द्वारा प्रशिक्षित और प्रायोजित आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 26 निर्दोष नागरिकों की हत्या कर दी।' उन्होंने कश्मीर के उस हिस्से में पाकिस्तान के क्रूर दमन को उजागर किया, जिस पर उसने अप्रैल, 1948 में पारित सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 47 का उल्लंघन करते हुए अवैध रूप से कब्जा कर रखा है।
'दोहन के खिलाफ खुलेआम विद्रोह कर रही जनता'
प्रेमचंद्रन ने कहा, 'हम पाकिस्तान से उसके अवैध कब्जे वाले इलाकों में गंभीर और लगातार हो रहे मानवाधिकार उल्लंघनों को रोकने का आह्वान करते हैं, जहां की जनता पाकिस्तान के सैन्य कब्जे, दमन, क्रूरता और संसाधनों के अवैध दोहन के खिलाफ खुलेआम विद्रोह कर रही है। पिछले कुछ हफ्तों में ही पाकिस्तानी सेना और उसके छद्म संगठनों ने कई निर्दोष नागरिकों की हत्या की है जो अपने मूल अधिकारों और आजादी के लिए आंदोलन कर रहे थे।'
आतंकवाद और इसके प्रायोजकों को मानवता के विरुद्ध अपराध घोषित करने का आह्वान करते हुए भाजपा सांसद एस. फांगनोन कोन्याक ने कहा, 'हम इस बात पर जोर देते हैं कि मानवता के विरुद्ध अपराध की किसी भी परिभाषा में आतंकवादियों और उनके प्रायोजकों द्वारा किए गए जघन्य अपराधों और अत्याचारों को स्पष्ट रूप से शामिल किया जाना चाहिए।'
मानवता के विरुद्ध अपराधों पर समिति की चर्चा के दौरान उन्होंने कहा, 'न्याय और जवाबदेही के लिए यह जरूरी है कि ऐसे कृत्यों को नजरअंदाज न किया जाए।' मानवता के विरुद्ध अपराधों को रोकने और दंडित करने के लिए प्रस्तावित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में आतंकवाद को शामिल करना जरूरी है। इसके कुछ पहलुओं पर आपत्तियां व्यक्त करते हुए कोन्याक ने कहा कि किसी भी संधि में 'कानूनी प्रणालियों की विविधता पर विचार किया जाना चाहिए और राष्ट्रीय संप्रभुता का स्पष्ट रूप से सम्मान किया जाना चाहिए'।
(न्यूज एजेंसी आईएएनएस के इनपुट के साथ)
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