COP15 : भारत ने जैवविविधता के लिए की कोष बनाने की मांग, पर्यावरण मंत्री ने कहा- समर्पित तंत्र की आवश्यकता
सम्मेलन में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा विकासशील देशों को वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराने के लिए एक नया और समर्पित तंत्र बनाने की आवश्यकता है। ऐसा कोष जल्द से जल्द बनाया जाना चाहिए ताकि सभी देश 2020 के बाद जीबीएफ का प्रभावी रूप से क्रियान्वयन कर सकें।
नई दिल्ली, पीटीआई। कनाडा के मांट्रियल में चल रहे संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता शिखर सम्मेलन (सीओपी15) में भारत ने कहा कि विकासशील देशों की जैव विविधता को हुए नुकसान को रोकने के लिए एक नया एवं समर्पित कोष बनाने की तत्काल आवश्यकता है। इससे नुकसान की भरपाई हो सकेगी और 2020 के बाद वैश्विक रूपरेखा को सफलतापूर्वक लागू किया जा सकेगा। भारत ने यह भी कहा कि जैव विविधता का संरक्षण 'साझा लेकिन अलग-अलग जिम्मेदारियों और संबंधित क्षमताओं' (सीबीडीआर) पर आधारित होना चाहिए, क्योंकि जलवायु परिवर्तन प्रकृति पर भी असर डालता है। सम्मेलन में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा, विकासशील देशों को वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराने के लिए एक नया और समर्पित तंत्र बनाने की आवश्यकता है। ऐसा कोष जल्द से जल्द बनाया जाना चाहिए, ताकि सभी देश 2020 के बाद जीबीएफ का प्रभावी रूप से क्रियान्वयन कर सकें।
सबसे ज्यादा बोझ विकासशील देशों पर पड़ रहा
जैव विविधता के संरक्षण का सबसे ज्यादा बोझ विकासशील देशों पर पड़ता है। 'जैव विविधता पर संधि' (सीबीडी) में शामिल 196 देशों ने '2020 के बाद वैश्विक जैवविविधता रूपरेखा' (जीबीएफ) पर बातचीत को अंतिम रूप दे दिया है। जीबीएफ में जैव विविधता को हुए नुकसान को रोकने और उसकी भरपाई के लिए नए लक्ष्य शामिल किए गए हैं। 196 देशों के प्रतिनिधि सात दिसंबर से शुरू जैव विविधता शिखर सम्मेलन में वैश्विक जैव विविधता रूपरेखा (जीबीएफ) पर वार्ता को अंतिम रूप देने के लिए एकत्रित हुए हैं।