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    बंग्लादेश में जारी हिंसा के बीच भारत का बड़ा फैसला, ढाका में ही रहेंगे राजनयिक; परिवारों की होगी वापसी

    Updated: Wed, 07 Aug 2024 09:17 PM (IST)

    Bangladesh बंग्लादेश में जारी विरोध प्रदर्शनों और भारी हिंसा के बीच भारत ने फैसला किया है कि राजनयिकों को फिलहाल ढाका में ही रखा जाएगा। उन्हें स्थानीय पुलिस सुरक्षा मुहैया करा रही है। हालांकि राजनियकों के परिवारों को स्वदेश लौटने की इजाजत दी गई है। विदेश मंत्रालय के मुताबिक बंग्लादेश में अभी भी तकरीबन 19 हजार भारतीय रह रहे हैं।

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    भारतीय उच्चायोग को स्थानीय पुलिस से पूरी सुरक्षा दी गई है। (Image- Reuters)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बांग्लादेश के हालात लगातार गंभीर बने हुए हैं। इसके बावजूद भारत ने राजधानी ढाका व दूसरे शहरों में स्थित अपने उच्चायोग के कार्यालयों में उच्चायुक्त व दूसरे राजनयिकों को तैनात रखने का फैसला किया है। हालांकि वहां कार्यरत गैर-आवश्यक व अराजनयिक पदों पर तैनात कर्मचारियों व राजनयिकों के परिवार के लोगों को स्वैच्छिक तरीके से स्वदेश लौटने की इजाजत दे दी गई है।

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    ये लोग वाणिज्यिक फ्लाइटों से भारत लौट रहे हैं। सूत्रों ने बताया है कि भारतीय उच्चायोग काम कर रहा है। हालांकि उसे स्थानीय पुलिस से पूरी सुरक्षा दी गई है। भारत ने बांग्लादेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाई करने वाले छात्रों को लेकर दो टूक फैसला नहीं किया है। इनमें से अधिकांश छात्र वहां मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं। खास तौर पर जम्मू व कश्मीर के काफी छात्र बांग्लादेश में मेडिकल की शिक्षा हासिल कर रहे हैं।

    करीब 19 हजार भारतीय अभी भी बंग्लादेश में

    एक दिन पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि अभी भी बांग्लादेश में 19 हजार के करीब भारतीय हैं, जिनमें 9,000 भारतीय छात्र हैं। यह स्थिति तब है जब पिछले एक महीने में कई बार भारत सरकार ने बांग्लादेश को लेकर चेतावनी जारी की है। बताया जा रहा है कि जुलाई माह में 4500 भारतीय छात्र लौट आये हैं, लेकिन अभी भी बड़ी संख्या में वहां हैं।

    यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद बढ़ी छात्रों की संख्या

    वर्ष 2022 में यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद बांग्लादेश जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या बढ़ गई है। बताया जा रहा है कि भारत सरकार अभी वहां के हालात की निगरानी कर रही है। उच्चायोग की तरफ से टोल फ्री नंबर जारी किये गये हैं, जहां भारतीयों को संपर्क करने को कहा गया है। उच्चायोग के अधिकारी स्थानीय प्रशासन के साथ भी संपर्क हैं और जिन विश्वविद्यालयों में भारतीय छात्रों की संख्या ज्यादा है, वहां भी संपर्क साधा गया है।