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    Yasin Malik Case: यासीन मलिक की सजा पर इस्लामिक सहयोग संगठन ने उठाया सवाल, भारत ने लगाई फटकार

    By Sanjeev TiwariEdited By:
    Updated: Sat, 28 May 2022 08:03 AM (IST)

    ओआइसी के स्वतंत्र स्थायी मानवाधिकार आयोग (आइपीएचआरसी) ने टेरर फंडिंग मामले में विशेष एनआइए कोर्ट द्वारा मलिक को उम्र कैद की सजा सुनाए जाने पर भारत की आलोचना की थी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि विश्व आतंकवाद के खिलाफ जीरो टालरेंस चाहता है।

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    टेरर फंडिंग मामले में विशेष एनआइए कोर्ट द्वारा मलिक को उम्र कैद की सजा (फाइल फोटो )

    नई दिल्ली, पीटीआई। भारत ने कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक मामले में शुक्रवार को इस्लामी सहयोग संगठन (ओआइसी) को फटकार लगाई। ओआइसी के स्वतंत्र स्थायी मानवाधिकार आयोग (आइपीएचआरसी) ने टेरर फंडिंग मामले में विशेष एनआइए कोर्ट द्वारा मलिक को उम्र कैद की सजा सुनाए जाने पर भारत की आलोचना की थी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि विश्व आतंकवाद के खिलाफ 'जीरो टालरेंस' चाहता है।

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    अरिंदम बागची ने कहा कि ओआइसी को इसे किसी भी तरह से सही नहीं ठहरना चाहिए। उन्होंने कहा कि यासीन मलिक मामले में फैसले के लिए ओआइसी-आइपीएचआरसी द्वारा भारत की आलोचना स्वीकार नहीं है। बागची ने कहा कि आयोग ने ऐसा बयान देकर मलिक की आतंकी गतिविधियों का समर्थन किया है। अदालत में मलिक के खिलाफ लगे आरोप साबित हुए हैं और उसके बाद ही उसे सजा सुनाई गई है।

    जानें- ओआईसी की विंग ने क्या कहा 

    बता दें कि यासीन मलिक के सजा पर इस्लामिक समूह की मानवाधिकार विंग ने मलिक को दोषी ठहराए जाने की निंदा करते हुए कहा था कि यह सिस्टेमैटिक भारतीय पूर्वाग्रह और कश्मीरी मुसलमानों के उत्पीड़न को दर्शाता है। ओआईसी- आईपीएचआरसी ने यासीन मलिक को कश्मीरी राजनीतिज्ञ बताते हुए उस पर लिए गए एक्शन को गलत कहा था।

    ये भी लगाया भारत पर आरोप

    ओआईसी ने भारत पर आरोप लगाते हुए ये तक कहा था कि निर्दोष कश्मीरियों के खिलाफ मानवाधिकारों के हनन के इस तरह के कृत्यों का उद्देश्य कश्मीरियों को उनके वैध अधिकार से वंचित करना है। यह न केवल भारतीय न्याय का उपहास है, बल्कि लोकतंत्र के दावों को भी उजागर करता है.