हल्दी घाटी में अभ्यास, CDS की स्ट्रैटेजी... भारत को ऑपरेशन सिंदूर में कैसे मिली सफलता? पढ़ें Inside Story
भारत ने थलसेना नौसेना और वायुसेना के बीच बेहतर संचार के लिए हल्दी घाटी नामक त्रि-सेवा युद्धाभ्यास किया। इस दौरान नौसेना ने अरब सागर में ट्रोपेक्स अभ्यास किया जिससे उसकी तत्परता बढ़ी। पहलगाम हमले के बाद इस अभ्यास से मिले सबक को लागू किया गया। संयुक्त वायु रक्षा केंद्रों ने पाकिस्तानी ड्रोन हमलों को नाकाम करने में मदद की है।

एएनआई, नई दिल्ली। भारत ने 18 से 21 अप्रैल के बीच त्रि-सेवा युद्ध अभ्यास 'हल्दी घाटी' आयोजित किया। इसका मकसद था कि थलसेना, नौसेना और वायुसेना के बीच बिना किसी रुकावट के कम्यूनिकेशन स्थापित हो। इस अभ्यास में तीनों सेनाओं ने आपस में तालमेल बनाकर संवाद की प्रणाली (Conversation System) को मजबूत किया। इसी दौरान, भारतीय नौसेना ने अरब सागर में एक बड़ा थिएटर लेवल रेडीनेस अभ्यास 'ट्रोपेक्स' किया। इसमें नौसेना के लगभग सभी प्रमुख युद्धपोत हिस्सा ले रहे थे। इस अभ्यास ने नौसेना को हर तरह की स्थिति के लिए तैयार किया।
पहलगाम हमले के बाद संचार में सुधार
पहलगाम आतंकी हमले के बाद चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान के नेतृत्व में डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स ने 'हल्दी घाटी' अभ्यास से सीखे गए सबक को लागू किया। सूत्रों के मुताबिक, अधिकारियों ने तीनों सेनाओं के बीच बेरोकटोक संचार के लिए सफल परीक्षण किए।
7 मई को हुए असली हमले से पहले का समय संचार में संयुक्तता (जॉइंटनेस) को मजबूत करने में पूरी तरह इस्तेमाल किया गया। इससे सेनाओं के बीच तालमेल और बेहतर हुआ, जिससे आपात स्थिति में तेजी से फैसले लेने में मदद मिली।
संयुक्त वायु रक्षा केंद्र और ड्रोन हमलों का मुकाबला
भारत-पाकिस्तान सीमा के नजदीकी इलाकों में तीनों सेनाओं के संयुक्त वायु रक्षा केंद्र बनाए गए। इन केंद्रों में वायु रक्षा हथियार प्रणालियों और कमांड-कंट्रोल सिस्टम को एक साथ लाया गया।
इसकी वजह से 7, 8 और 9 मई को पाकिस्तानी सेना की ओर से किए गए ड्रोन हमलों का मुकाबला करने में बड़ी कामयाबी मिली। संचार की संयुक्त प्रणाली ने दिल्ली में मुख्यालय के कमांडरों को जंग के मैदान की वास्तविक स्थिति का साफ चित्रण दिया। इससे सही वक्त पर सही फैसले लेना आसान हुआ।
'ट्रोपेक्स' अभ्यास ने ऐसे की मदद
अरब सागर में 'ट्रोपेक्स' अभ्यास ने भारतीय नौसेना को तुरंत तैनाती करने में मदद की। नौसेना ने अपने सभी प्रमुख युद्धपोतों को अग्रिम स्थानों पर तैनात किया और अरब सागर के हर कोने में अपनी मौजूदगी दर्ज की। इसकी वजह से पाकिस्तानी नौसेना को अपने जहाजों को मकरान तट के करीब रखने पर मजबूर होना पड़ा।
भारतीय नौसेना पूरी तरह मुस्तैद थी और किसी भी कार्रवाई के लिए तैयार थी। संयुक्त संचार और रणनीति ने भारत की सैन्य ताकत को और मजबूत किया, जिससे दुश्मन की हर चाल का जवाब देने में कामयाबी मिली।
यह भी पढ़ें: दाने-दाने को तरस रहा पाकिस्तान, कृषि वैश्विक रिपोर्ट में खुलासा- सिंधु जल संधि स्थगित करने के बाद बदतर हालत
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।