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    देश के बिजलीघरों में 21 दिन का पर्याप्त कोयला, इलेक्ट्रिसिटी की डिमांड में भी आई कमी; कैसे उलट-पुलट गया गणित?

    Updated: Mon, 10 Nov 2025 08:30 PM (IST)

    कोयला खनन कंपनियों और कोयला मंत्रालय ने राहत की सांस ली है क्योंकि घरेलू कोयला उत्पादन बढ़ाने का दबाव कम हो गया है। अक्षय ऊर्जा उत्पादन में वृद्धि और बिजली की मांग में कमी ने कोयला क्षेत्र के समीकरण बदल दिए हैं। अधिकांश बिजली संयंत्रों के पास 21 दिनों का कोयला भंडार है, और कोयला कंपनियां निर्यात बढ़ाने की तैयारी में हैं। अक्षय ऊर्जा का योगदान बढ़ने से स्वच्छ ऊर्जा की ओर भारत की नीति सही दिशा में आगे बढ़ रही है।

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    बिजली की मांग में उम्मीद से कम वृद्धि ने कोयला सेक्टर के गणित को उलट-पुलट कर दिया है (फाइल फोटो)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश की कोयला खनन करने वाली कंपनियां राहत की सांस ले रही हैं और कोयला मंत्रालय के अधिकारी भी काफी राहत महसूस कर रहे हैं। वजह यह है कि लंब अरसे बाद घरेलू कोयला उत्पादन बढ़ाने का कोई दबाव किसी पर भी नहीं है। लगातार रिनीवेबल उर्जा उत्पादन में हो रही वृद्धि और देश में बिजली की मांग में उम्मीद से कम वृद्धि ने कोयला सेक्टर के गणित को उलट-पुलट कर दिया है।

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    देश की अधिकांश ताप बिजली संयंत्रों के पास 21 दिनों का पर्याप्त कोयला है। इसके अलावा भी देश के कोयला कंपनियों के पास 10 करोड़ टन कोयला का भंडार है जिसे वह बहुत ही कम समय में कहीं भी आपूर्ति कर सकते हैं। ऐसे हालात में वर्ष 2025-26 में भारत का कोयला निर्यात भी तेजी से बढ़ने की संभावना है।

    बिजली की मांग 2.40 से 2.45 लाख मेगावाट ही रही

    कोयला मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि पिछले दो वर्षों के बिजली की मांग के आधार पर वर्ष 2025-26 के पीक सीजन में बिजली की मांग के 2.70 लाख मेगावाट तक पहुंचने का अनुमान था। लेकिन इस साल देश के अधिकांश हिस्सों में मानसून की स्थिति उम्मीद से बेहतर रही है। पीक आवर बिजली की मांग 2.40 से 2.45 लाख मेगावाट ही रही है। यह पिछले वर्ष में दर्ज 2.50 लाख मेगावाट से भी कम है।

    दूसरी तरफ कोल इंडिया की तरफ से लगातार कोयला उत्पादन को बढ़ाया जाता रहा है। नतीजा यह हुआ है कि अधिकांश ताप बिजली संयंत्रों के पास 21 दिनों का कोयला स्टाक है। वर्ष 2025-26 के अप्रैल से अक्टूबर में देश में कुल कोयला उत्पादन 53.76 करोड़ टन रहा, जो पिछले वर्ष (2024-25) के समान अवधि से 6.04 फीसद अधिक था। हालांकि इस दौरान सबसे बड़ी कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) का उत्पादन 4.5 फीसद कम हो कर 38.55 करोड़ टन रही है।

    रिनीवेबल सेक्टर का हिस्सा 25 फीसद के आसपास

    कैप्टिव कोयला खदानों से 34 फीसद से ज्यादा की वृद्धि का सबसे बड़ा योगदान रहा है। इसके अलावा देश के कुल बिजली उत्पादन में रिनीवेबल ऊर्जा सेक्टर की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है। देश में बिजली की कुल उत्पादित क्षमता में रिनीवेबल की हिस्सेदारी भी बढ़ कर 50 फीसद से ज्यादा हो चुकी है। बिजली मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल से सितंबर के दौरान देश में रिनीवेबल सेक्टर (सौर, पवन, पनबिजली, परमाणु, बायोगैस आदि) से कुल 301.3 अरब यूनिट बिजली का उत्पादन हुआ जो इस अवधि में कुल उत्पादन का 31.3 फीसद है।

    पिछले साल यानी वर्ष 2024-25 में कुल बिजली उत्पादन में रिनीवेबल सेक्टर का हिस्सा 25 फीसद के आसपास था। इस वजह से भी ताप बिजली संयंत्रों पर ज्यादा बिजली उत्पादन का बोझ कम हुआ है। यह पूरी स्थिति यह भी बताती है कि भारत में स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन बढ़ाने की नीति सही दिशा में आगे बढ़ रही है।