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    पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन सैन्य कमांडरों के बीच 13वें दौर की वार्ता शुरू

    By Monika MinalEdited By:
    Updated: Sun, 10 Oct 2021 12:47 PM (IST)

    आज सुबह 10.30 बजे LAC के चीनी पक्ष पर मोल्डो सीमा बिंदु पर होगी। इस वार्ता से उम्मीद जताई जा रही है कि भारतीय पक्ष टकराव वाले शेष स्थानों से सैनिकों की जल्द-से-जल्द वापसी की मांग करेगा। दोनों देशों के बीच 12वें दौर की वार्ता 31 जुलाई को हुई थी।

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    पूर्वी लद्दाख में जारी है तनाव: भारत-चीन सैन्य कमांडरों के बीच 13वें दौर की वार्ता आज

    नई दिल्ली, एएनआइ। पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच जारी गतिरोध को खत्म करने के लिए 13वें दौर की उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता चल रही है। इस दौरान पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले शेष स्थानों से सैनिकों की वापसी प्रक्रिया में कुछ आगे बढ़ने पर ध्यान दिया जाएगा। यह वार्ता आज सुबह 10.30 बजे वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के चीनी पक्ष पर मोल्डो सीमा बिंदु पर शुरू हुई थी।  इस वार्ता से उम्मीद जताई जा रही है कि भारतीय पक्ष टकराव वाले शेष स्थानों से सैनिकों की जल्द-से-जल्द वापसी की मांग करेगा। दोनों देशों के बीच 12वें दौर की वार्ता 31 जुलाई को हुई थी।

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    पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से लगे कई क्षेत्रों में भारत और चीन की सेनाओं के बीच लगभग 17 महीने से गतिरोध बना हुआ है। वैसे कई दौर की वार्ता के बाद दोनों पक्ष टकराव वाले कई स्थानों से इस साल पीछे हटे हैं। 

    विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची (MEA spokesperson Arindam Bagchi ) ने अपने साप्ताहिक ब्रीफिग में कहा, 'यह हमारी उम्मीद है कि चीन जल्द से जल्द समस्या सुलझाने पर काम करेगा।' उन्होंने उम्मीद जताई  कि चीन से पूर्वी लद्दाख में द्विपक्षीय संबंधों और प्रोटोकाल का भी ध्यान  रखेगा। हालांक शनिवार को पूर्वी लद्दाख में समग्र स्थिति पर टिप्पणी के लिए कहे जाने पर जनरल नरवणे ने विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता की हालिया टिप्पणी का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि उन्होंने स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि उत्तरी सीमा पर जो कुछ भी हुआ है, वह चीन की ओर से व्यापक पैमाने पर सैन्य जमावड़े और विभिन्न प्रोटोकाल का पालन न करने के कारण है।सेना प्रमुख ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के बाद भारतीय सेना ने महसूस किया कि उसे आइएसआर (खुफिया, निगरानी और टोही) के क्षेत्र में और अधिक काम करने की जरूरत है। पिछले एक साल में हमारे आधुनिकीकरण की यही सबसे बड़ी ताकत रही है। अन्य हथियार और उपकरण जो हमने सोचा था कि हमें भविष्य के लिए चाहिए, उन पर भी हमारा ध्यान गया है।