अरुणाचल में इजरायली ड्रोन से चीनी सेना की हरकतों पर नजर, 30 हजार फीट की ऊंचाई से होगी निगरानी
अरुणाचल प्रदेश से लेकर लद्दाख तक भारत और चीन के बीच करीब 3400 किलोमीटर लंबी सीमा लगती है। चीन की सेना की तरफ से बार-बार सीमा का उल्लंघन किया जाता है। पिछले साल गलवन घाटी में दोनों सेनाओं के बीच खूनी संघर्ष हुआ था।
तेजपुर (असम), एएनआइ। अति संवेदनशील अरुणाचल प्रदेश सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन की सेना की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए सेना ने इजरायल निर्मित हेरोन ड्रोन तैयान किए हैं। चीनी सेना की हरकतों का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए बदली हुई रणनीति के तहत ये ड्रोन तैनात किए गए हैं।
अरुणाचल प्रदेश से लेकर लद्दाख तक भारत और चीन के बीच करीब 3,400 किलोमीटर लंबी सीमा लगती है। चीन की सेना की तरफ से बार-बार सीमा का उल्लंघन किया जाता है। पिछले साल गलवन घाटी में दोनों सेनाओं के बीच खूनी संघर्ष हुआ था। तब से दोनों देशों के बीच सीमा पर तनाव बना हुआ है और पूर्वी लद्दाख में दोनों तरफ हजारों सैनिक तैनात हैं।
हेरोन ड्रोन के बारे में सेना के नजर कार्तिक गर्ग ने बताया कि जहां तक निगरानी की बात है तो यह सबसे बेहतर विमान (ड्रोन) है। अपने निर्माण के बाद से यह निगरानी की रीढ़ बना हुआ है। यह ड्रोन 30,000 फीट की ऊंचाई तक पहुंच सकता है और वहीं से जमीन पर कमान और कंट्रोल केंद्रों को अहम डाटा और तस्वीरें भेज सकता है। इससे अहम क्षेत्रों में सैनिकों की तैनाती में मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि खराब मौसम में भी इससे दिन रात सीमा पर नजर रखी जा सकेगी।
हेरोन टीपी ड्रोन लीज पर लेगी सेना
सेना इजरायल से हेरोन टीपी ड्रोन के बेड़े को भी लीज पर ले रही है। ये ड्रोन 35,000 फीट की ऊंचाई पर लगातार 45 घंटे उड़ान भरने की क्षमता रखते हैं। इन्हें दूर रहकर ही उड़ाया और उतारा जा सकता है। बता दें कि हेरोन का मतलब बगुला होता है। बगुला ऐसा पक्षी है जिसे अपने शिकार पर पैनी नजर रखने के लिए ही जाना जाता है।
सीमा पर उन्नत हल्के हेलीकाप्टर रुद्र की भी तैनाती
जानकारों के मुताबिक हेरोन ड्रोन के साथ ही भारतीय सेना की उड्डयन शाखा इस इस सेक्टर में उन्नत हल्के हेलीकाप्टर रुद्र के एकीकृत हथियार प्रणाली (डब्ल्यूएसआइ) संस्करण को भी तैनात कर रही है। इससे सेना को इस क्षेत्र में अपने सामरिक मिशनों को पूरा करने में और मजबूती मिलेगी।