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LAC पर तनाव के बीच भारत-चीन जल्द ही 12वें दौर की सैन्य वार्ता के लिए राजी

विदेश मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि सितंबर 2020 में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच हुई बैठक में बनी सहमति के आधार पर आगे भी बातचीत को जारी रखा जाएगा ताकि सैन्य विवाद का शीघ्रता से हल निकाला जा सके।

By Nitin AroraEdited By: Published: Fri, 25 Jun 2021 11:44 PM (IST)Updated: Fri, 25 Jun 2021 11:44 PM (IST)
LAC पर तनाव के बीच भारत-चीन जल्द ही 12वें दौर की सैन्य वार्ता के लिए राजी

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। पूर्वी लद्दाख स्थित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के कई क्षेत्रों में तनाव की स्थिति जस की तस बनी हुई है। ऐसे में शुक्रवार को भारत और चीन के विदेश मंत्रालयों के अधिकारियों की अगुआई में सैन्य तनाव घटाने को लेकर बातचीत हुई। वर्किंग मैकेनिज्म फार कंसल्टेशन एंड कोआर्डिनेशन आन इंडिया-चाइना बार्डर अफेयर्स (डब्ल्यूएमसीसी) के तहत हुई इस बातचीत का कोई बहुत खास निष्कर्ष तो नहीं निकला, लेकिन दोनों पक्षों के बीच यह सहमति बनी है कि आगे भी वार्ता जारी रखी जाएगी ताकि एलएसी के करीब से सैनिकों की पूरी तरह से वापसी सुनिश्चित हो सके। मई, 2020 में चीनी सैनिकों द्वारा पूर्वी लद्दाख में एलएसी के अतिक्रमण के बाद भारत-चीन सैन्य व कूटनीतिक स्तर पर वार्ता कर रहे हैं। शुक्रवार की बैठक में यह भी फैसला किया गया कि जल्द ही सैन्य स्तर की 12वें दौर की वार्ता की जाएगी।

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विदेश मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि दोनों पक्षों के अधिकारियों के बीच बहुत ही खुले माहौल में बातचीत हुई। सितंबर, 2020 में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच हुई बैठक में बनी सहमति के आधार पर आगे भी बातचीत को जारी रखा जाएगा ताकि सैन्य विवाद का शीघ्रता से हल निकाला जा सके। तत्कालिक तौर पर दोनों पक्ष इस बात के लिए भी सहमत हैं कि एलएसी पर यथास्थिति बनाई रखी जाएगी और किसी तरह की अप्रिय घटना को नहीं होने दिया जाएगा।

भारत और चीन के बीच यह बैठक ऐसे समय हुई है जब पिछले कुछ दिनों के भीतर दोनों तरफ से काफी तल्खी भरे बयान सामने आए हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अ¨रदम बागची ने शुक्रवार को कहा था कि पश्चिमी सेक्टर (पूर्वी लद्दाख) में चीन की तरफ से बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती करने और यथास्थिति बदलने की उसकी कोशिश से हालात बिगड़े हैं। इससे सीमा पर अमन-शांति बनाए रखने की कोशिशों को नुकसान हुआ है। यह हमारे द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन है जिसमें हम सीमा पर भारी संख्या में सैनिक तैनात नहीं करने को राजी हुए थे। बागची के बयान से एक दिन पहले चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने भारत पर ही सैनिकों की तैनाती का आरोप लगाया था।

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