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मोदी के नेतृत्व में भारत बदला, मजबूत हो कर उभरा; चीन ने भी देश की कूटनीति व मजबूत होती अर्थव्यवस्था का माना लोहा

मौजूदा समय मेंलोकतांत्रिक राजनीति की भारतीय जड़ों पर पहले से ज्यादा जोर दिया जा रहा है। लेख कहता है कि यह बदलाव भारत की ऐतिहासिक औपनिवेशिक छाया से बाहर निकलने और खुद को राजनीतिक व सांस्कृतिक तौर पर एक विश्वस्तरीय प्रभावशाली देश के रूप में स्थापित करने की महत्वाकांक्षा को दर्शाता है।इसके अलावाइस लेख में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में अपनाई गई रणनीतिक विदेश नीति की प्रशंसा की गई है।

By Jagran News Edited By: Babli Kumari Published: Thu, 04 Jan 2024 07:58 PM (IST)Updated: Thu, 04 Jan 2024 07:58 PM (IST)
पीएम मोदी के कार्यकाल में भारत बदला (जागरण ग्राफिक्स)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। क्या नये वर्ष में भारत के साथ अपने रिश्तों को लेकर चीन ज्यादा गंभीर और व्यवहारिक रवैया अपनाने जा रहा है? यह सवाल इसलिए उठा है कि चीन सरकार का मुखपत्र माने जाने वाले समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स के ताजे अंक में पीएम नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत की आर्थिक प्रगति, समाजिक विकास और वैश्विक ताकतों के साथ सामंजस्य बिठाने की कूटनीति की जम कर प्रशंसा की गई है।

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ग्लोबल टाइम्स आम तौर पर भारत की हर नीति और प्रगति पर विपरीत टिप्पणी करने के लिए जाना जाता है लेकिन साल के शुरू में ही फुतान विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर साउथ एशियन स्टजीज के निदेशक चांग च्यातूंग की तरफ से लिखे इस आलेख का कई निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। इसे चीन की आर्थिक विकास में भारी गिरावट से जोड़ कर भी देखा जा रहा है। यह आलेख मुख्य तौर पर पीएम मोदी के कार्यकाल में सरकार की तरफ से हर मोर्चे पर आत्मविश्वास दिखाने को रेखांकित किया गया है। पिछले चार वर्षों से भारत की उपलब्धियां उल्लेखनीय हैं।

'भारत का आर्थिक विकास जोरदार रहा'

भारत का आर्थिक विकास जोरदार रहा है और शहरी प्रशासन में आये सुधार को स्वीकार किया गया है। वैसे भारत व चीन के सीमा पर जारी विवाद का इसमें कोई जिक्र नहीं है लेकिन कारोबारी रिश्तों में आए बदलाव और भारतीय व्यापारियों के बढ़ते आत्मविश्वास का जिक्र जरूर किया गया है। इसमें कहा गया है कि, पहले जब चीन और भारत के बीच के व्यापार असंतुलन की चर्चा होती थी, तब भारतीय प्रतिनिधि व्यापार असंतुलन खत्म करने के लिए चीन की तरफ से किये जाने वाले उपायों पर जोर डालते थे लेकिन अब वो भारत से निर्यात बढ़ाने पर ज्यादा जोर देने लगे हैं।

'भारत रणनीतिक रूप से विश्वास से भरा है'

विदेश मंत्री एस जयशंकर की तरफ से भारत विमर्श की अवधारणा देने और भाजपा की तरफ से भारतीय परंपरा वाली लोकतांत्रिक व्यवस्था की बात करने का मुद्दा भी सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ लेखक ने उठाया है। इन अवधारणाओं के पीछे भारत के बढ़ते रणनीतिक विश्वास को कारक माना गया है। लेखक का कहना है कि अपने तेज आर्थिक और सामाजिक विकास के दम पर भारत रणनीतिक रूप से विश्वास से भरा है तथा 'भारत विमर्श' को स्थापित करने के लिए ज्यादा सक्रिय है। लेखक की टिप्पणी है कि “राजनीतिक और सांस्कृतिक पैमाने पर, भारत जहां पहले पश्चिम के साथ लोकतांत्रिक सहमति बनाने पर जोर देता था, अब वहीं वह लोकतांत्रिक राजनीति में 'भारतीय विशेषता' पर जोर देता है।

पीएम मोदी के नेतृत्व में अपनाई गई विदेश नीति की हुई प्रशंसा 

मौजूदा समय में, लोकतांत्रिक राजनीति की भारतीय जड़ों पर पहले से ज्यादा जोर दिया जा रहा है।'' लेख कहता है कि यह बदलाव भारत की ऐतिहासिक औपनिवेशिक छाया से बाहर निकलने और खुद को राजनीतिक व सांस्कृतिक तौर पर एक विश्वस्तरीय प्रभावशाली देश के रूप में स्थापित करने की महत्वाकांक्षा को दर्शाता है।इसके अलावा, इस लेख में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में अपनाई गई रणनीतिक विदेश नीति की प्रशंसा की गई है और अमेरिका, जापान एवं रूस जैसी प्रमुख वैश्विक शक्तियों के साथ संबंधों को मजबूत करने के लिए सामंजस्य बनाने की रणनीति पर प्रकाश डाला गया है।

भारत ने विकासशील देशों के साथ अपने आपको जोड़ा

रूस-यूक्रेन संघर्ष के मुद्दे पर भारत की कूटनीति को खास तौर पर तवज्जो देते हुए लिखा गया है कि, इस मामले में भारत ने पश्चिमी देशों से अलग होते हुए विकासशील देशों के साथ अपने आपको जोड़ा है। ग्लोबल टाइम्स आगे लिखता है कि भारत ने हमेशा से अपने आपको विश्व शक्ति के तौर पर माना है। लेकिन पिछले दस वर्षो में भारत ने अपनी नीति में बदलाव किया है। अब भारत बहु-संतुलन पर नहीं बहु-सहयोग की नीति पर आगे बढ़ रहा है। अब तो यह बहु-धुव्रीय दुनिया में एक धुव्र बनने की रणनीति पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। भारत अब स्पष्ट रूप से एक महान शक्ति वाली रणनीति की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

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